यह सही है कि विज्ञान प्रमाण और सबूतों पर आधारित होता है। आम तौर पर कहा जाता है कि मंदिर के अनुष्ठानों की प्रकृति के बारे में सबूत अपर्याप्त हैं। हो सकता है कि उनका ये कहना सही हो कि लॉन्च से पहले मंदिर में जाना एक 'अवैज्ञानिक परंपरा' है, लेकिन ऐसा करने में हर्ज ही क्या है? इससे इतने सारे लोग परेशान क्यों हैं?