विचार

रवीश जी को पुरस्कार मिलने पर मोदी (नरेंद्र) ने क्यों नहीं दी बधाई? जलते हैं क्या?

यह ब्रह्मांड का पहला पुरस्कार है, जो जीतने वाले को उस चीज के लिए मिला है, जिसको वो गलत ठहराता और झूठ कहता रहा। देश में असहिष्णुता है, डर का…

दादा से राहुल-प्रियंका की चिढ़ पुरानी, इंदिरा ने भी डस्टबिन में फेंक दिया था ‘फिरोज गाँधी प्रेस लॉ’

ऐसा नहीं फ़िरोज़ गाँधी कॉन्ग्रेसी नहीं थे या राजनीति में उनकी हिस्सेदारी नहीं थी। गाँधी परिवार की परंपरागत सीट रायबरेली के पहले सांसद वही थे। फिर, बात-बात में नेहरू, इंदिरा…

‘प्लीज़ GDP वाली वीडियो पूरी देखो’ कहने वाले रवीश-भगत जब चलाते हैं PM मोदी की अधूरी क्लिप

चंद्रयान-2 की 'विफलता' की खबरों से उत्साहित लेफ्ट-लिबरल वर्ग की खुशियाँ ज्यादा देर तक नहीं बनी रह सकी क्योंकि इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इसरो वैज्ञानिकों का हौंसला बढ़ाने…

लेफ़्ट-लिबरल इकोसिस्टम की नई चाल को काटने के लिए कितने तैयार हैं आप?

लेफ़्ट-लिबरलों का एक नया खेल शुरू हो गया है। "फेक न्यूज़" चिल्लाने से काम बनता नहीं देख उन्होंने उसी शराब को नई बोतल में डालकर "मिसइंफॉर्मेशन" का लेबल लगा दिया…

बधाई हो रवीश जी, आज आपने विदेशियों को अंग्रेजी में बताया कि भारत नॉर्थ कोरिया बन गया है

पिछले पाँच सालों में रवीश की पूरी पत्रकारिता, सेलेक्टिव रही है। यह कह कर उन्माद फैलाने की कला सिर्फ रवीश को आती है कि जिसमें बार-बार एक समुदाय को कहा…

डियर शेहला डोंट वरी! कहना, कंडोम वाले लौंडों को चिढ़ा रही थी

तुम्हारे यूॅं चर्चे में आने से कन्हैया, राना अय्यूब, आरफा खानम शेनवारी सब रश्क कर रहे हैं। राना अय्यूब तो वाशिंगटन पोस्ट तक लिख आई। आरफा भी वायर लेकर तैयार…

एमनेस्टी इंडिया जैसे डकैत विदेशी एनजीओ दूसरे देशों को अपने बाप की खेती क्यों समझते हैं?

अगर एक अंतरराष्ट्रीय संस्था के लिए श्रीलंका की सरकार और लिट्टे समान हैं, इस्लामी देशों में महिलाओं को दोयम दर्जे के अधिकारों का मिलना सही लगता है, नेटिव अमेरिकन महिलाओं…

मानवाधिकार की आड़ में कश्मीर पर आवाज उठाने वाले Amnesty के काले करतूतों का कच्चा चिट्ठा

अर्बन नक्सलियों का साथ देने से लेकर तालिबान से संबंध होने तक के आरोप लग चुके होने के बावजूद Amnesty International सुधर नहीं रहा। अब वह कश्मीर के मुद्दे को…

बाढ़, चमकी बुखार और बेरोज़गार… हर दिन मर्डर और बलात्कार… आखिर ठीके कैसे है नीतीश कुमार?

बिहार पुलिस का आँकड़ा कहता है कि जनवरी 2019 से मई 2019 तक (सिर्फ 5 महीनों में) 1277 हत्याएँ, 605 बलात्कार, 3001 दंगे, 4589 अपहरण जैसे संगीन जुर्म इस राज्य…

रोमिला थापर जी, सीवी न सही सुरख़ाब के जो पर लगे हैं आप पर वही दिखा दीजिए हमें…

आखिर रोमिला थापर से सीवी क्यों न माँगी जाए? इसे ऐसे क्यों दिखाया जा रहा है कि विश्वविद्यालय ने रोमिला थापर के ऊपर कोई परमाणु हथियार डेटोनेट कर दिया है?…