राजनैतिक मुद्दे

पसमांदा से ही मुस्लिम ‘वोट बैंक’, मजहबी भीड़ भी इनसे ही: चाहिए दलितों का कोटा, पर वोट उनको जिधर मदरसे-मौलवी

कौन हैं पसमांदा मुस्लिम? 'सबका साथ-सबका विकास' के बाद क्यों चर्चा में पसमांदा प्लान? क्या 2024 के लिए ऐसे किसी प्रयोग की बीजेपी को सच में जरूरत है?

बालपन की कुछ सफेद कहानियाँ और काले कपड़ों वाली कॉन्ग्रेस…

कॉन्ग्रेस के कर्म ऐसे हैं कि काले कपड़ों में प्रदर्शन कर वह उन्हें ढक नहीं सकती। इसलिए संसद से सड़क तक जुमे पर उसने जो सियासी तमाशा किया, वह बेअसर…

1000 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव परिणाम तय करने वाला अल्पसंख्यक कैसे? संविधान में सभी समान, फिर विदेशी संप्रदाय के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय क्यों?

क्या उस समुदाय को अल्पसंख्यक कह सकते हैं जो भारत के लगभग लगभग 200 लोकसभा और 1000 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव परिणाम तय करता हो?

पंजाब से नहीं लिया ज्ञान, आपसी खींचतान से छत्तीसगढ़-कर्नाटक कॉन्ग्रेस हलकान: दिल्ली दरबार में पहुँचे CM बघेल, सिंहदेव भी पहुँचे बिगाड़ने खेल

छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन दोनों में राज्यों में कॉन्ग्रेस के बड़े नेताओं के बीच खींचतान शुरू हो गई है।

द्रौपदी मुर्मू की जीत तय थी, लेकिन कॉन्ग्रेस-ममता के टशन में ‘बलि का छागर’ बन गए यशवंत सिन्हा: क्रॉस वोटिंग से विपक्षी एकता की निकली हवा

राष्ट्रपति चुनावों में यशवंत सिन्हा के नाम पर बनाई गई विपक्षी दलों की एकता नजर नहीं आई और मतदान के दौरान जमकर क्रॉस वोटिंग हुआ।

अफवाह फैलाते राजनीतिक दल, गुमराह करती विदेशी कंपनियाँ: फिर भी भारत ने पार किया 200 करोड़ कोरोना टीकाकरण का आँकड़ा

इस सफलता तक पहुँचने में हमारे लाखों कोरोना वॉरियर्स का सम्पूर्ण समर्पण शामिल है। उन्होंने देशवासियों की सुरक्षा हेतु अपना बलिदान तक दे दिया।

मुफ्ती मोहम्मद नहीं चाहते थे, जल्दी रिहा हो बेटी रूबैया, सरकार गिराने के लिए रची थी साजिश: अपहरण कांड की कहानी

हिलाल वार के अनुसार, J&K की अब्दुल्ला सरकार को गिराने के लिए तत्कालीन गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने बेटी रूबैया के अपहरण की साजिश रची थी।

द्रौपदी मुर्मू से विपक्ष ही नहीं बेचैन, ईसाई मिशनरियों की भी नींद उड़ी: चुनाव राष्ट्रपति का, चोट धर्मांतरण के ठेकेदारों को भी

द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी ने न केवल यशवंत सिन्हा का समर्थन करने वाले दलों को व्याकुल कर दिया है, बल्कि हिंदुओं के धर्मांतरण में लिप्त ईसाई मिशनरियों को भी इससे…

अशोक के ‘धर्म स्तंभ’ से ‘धर्म’ को क्यों अलग करना चाह रहे लिबरल: पूजा से दिक्कत, लेकिन सड़क पर नमाज और लाउडस्पीकर पर चूँ तक नहीं

सड़क पर नमाज जायज, 5 बार माइक से अजान सुकून देता है, लेकिन वेदों की धरती पर वैदिक रीति-रिवाज से लिबरल गिरोह को दिक्क्त। खुद सम्राट अशोक ने इसे 'धर्म…