हिंसा वही जो पिया मन भाए?
"जो है उसमें से अपने मतलब का सीन ही देखना है" से चलकर "कुछ नहीं दिख रहा है" - यही है वाम-तंत्री रिपोर्टिंग का क्रमिक विकास।
"जो है उसमें से अपने मतलब का सीन ही देखना है" से चलकर "कुछ नहीं दिख रहा है" - यही है वाम-तंत्री रिपोर्टिंग का क्रमिक विकास।
सफलता के इस शोर में एक महत्वपूर्ण कारण पर चर्चा शायद न हो और वह कारण है बांग्ला उप राष्ट्रवाद। अब इसे प्रशांत किशोर द्वारा बनाई गई रणनीति का हिस्सा…
यह टीवी मीडिया और छद्म बुद्धिजीवियों की बनाई दुनिया थी, जिसने भाजपा का सब कुछ बंगाल में दाँव पर बता दिया। भाजपा के पास खोने को था ही क्या?
ममता बनर्जी ने कोरोना को बहाना बताया था। बार-बार EVM पर सवाल उठाए थे। आज TMC जीत का जश्न मना रही।
असम में अल्पसंख्यक वोट पश्चिम बंगाल से ज्यादा है। फिर भी भाजपा विजय की ओर अग्रसर है, लेकिन बंगाल में वह संघर्ष कर रही है। क्यों?
राज्य बदले। नतीजे बदले। एक चीज जो नहीं बदली, वह है राहुल गाँधी का 'प्रदर्शन'। इसने कॉन्ग्रेस का संकट और गहरा कर दिया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कॉन्ग्रेस नेता पी चिदंबरम ने जनता को सुझाव दिया कि वह मोदी सरकार के विरुद्ध बग़ावत कर दे।
2011 के चुनावों में लेफ्ट के 34 साल के शासनकाल को खत्म करने वाली ममता बनर्जी ने की कौन-कौन सी गतलियाँ, जो बनी बीजेपी के उभार की वजह
सवाल बस इतना था कि क्या गाँधी परिवार ने अस्थायी क्वारंटाइन सेंटर्स, अस्पताल, ऑक्सीजन प्लांट्स बनवाने या प्रवासी मजदूरों के लिए भोजन की व्यवस्था करने में कोई योगदान दिया है?
जबसे टीकाकरण के तृतीय चरण की घोषणा हुई है तब से बहस और अफवाहों का बाजार फिर से गर्म है। अब कॉन्ग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने टीकाकरण के तृतीय…