राजनैतिक मुद्दे

तेजस्वी सूर्या के ट्वीट पर छाती पीटते लिबरलों को क्यों खटक रहे भारत-अरब के मैत्रीपूर्ण रिश्ते

तेजस्वी सूर्या प्रसंग में वामपंथी और कट्टरपंथी जमात एक हो गए। ऐसे प्रतिक्रिया कर रहे हैं जैसे वे भारतीय ना होकर सऊदी अरब के एजेन्ट हों।

कोरोना, इस्लामोफोबिया और पश्चिमी मीडिया: कुचक्रों के बावजूद जीतेगा भारत

कोरोना के खिलाफ लड़ाई एक लम्बी लड़ाई है। ये तय है कि मानवता के साथ-साथ भारत भी इस लड़ाई को जीत ही लेगा।

इमरजेंसी में स्नेहलता, आज अर्नब: विरोधियों के दमन का कॉन्ग्रेसी तरीका

वो कॉन्ग्रेस के इमरजेंसी का समय था। विरोध के कारण अभिनेत्री स्नेहलता को जेल में ऐसी यातनाएँ दी गईं कि उनकी मौत हो गई। अब अर्नब को...

कभी CAA विरोध, कभी चिदंबरम का बचाव, कभी जमातियों की रक्षा: ब्यूरोक्रेट्स जो कुकुरमुत्ते की तरह उग आते हैं

INX मीडिया केस और अगस्ता-वेस्टलैंड मामलों में कई ब्यूरोक्रेट्स तक जाँच की आँच पहुँच गई है। पत्र लिख-लिख कर.....

लेनिन: लाखों किसानों-निर्दोषों की लाश के ढेर पर कम्युनिस्ट सत्ता स्थापित करने वाला

रूस में गृहयुद्ध के दौरान लेनिन के सामने शासन और सर्वहारा में से किसी एक को चुनने का समय आया, तब उसने सर्वहारा में ही जार को देखा।

उम्माह के पैरोकार इक़बाल ने कैसे बदल दिया था ‘सारे जहाँ से अच्छा’ तराना: कट्टरपंथी थे Pak के जनक

अगर आप इस्लामी कट्टरपंथी अल्लामा इक़बाल का 'सारे जहाँ से अच्छा' गाते हैं तो आपको 'तराना-ए-मिल्ली' के बारे में जरूर जानना चाहिए।

‘वयं राष्ट्रे जागृयाम’- मोदी जी द्वारा बोले इन शब्दों का महत्व बहुत व्यापक है

प्रधानमन्त्री मोदी जी ने अपने संबोधन में कहा था- ‘वयं राष्ट्रे जागृयाम’ अर्थात् इस राष्ट्र यानी देश के हित में हम सब आलस्य और प्रमाद को छोड़कर सजग बनें।

मस्जिद के सामने जुटी भीड़, गूँजा अल्लाह का नाम, अलग-अलग बातें बोल रहे ‘बेस्ट CM’ और बेटे: PK का दिल्ली मॉडल?

मजदूर घर जाने के लिए जमा हुए हैं तो इनके हाथों में थैले या बैग वगैरह क्यों नहीं हैं? भीड़ मस्जिद के पास ही क्यों जमा हुई और अल्लाह का…

जहाँ हुआ जलियाँवाला नरसंहार, 8 महीने बाद कॉन्ग्रेस ने वहीं क्यों रखा अधिवेशन: 2 फाइल, एक लेटर में छिपा है राज

भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार की होम पॉलिटिकल विभाग की फ़ाइल संख्या जनवरी 1920/77 के अनुसार कॉन्ग्रेस ने अमृतसर को अपने अधिवेशन के लिए जानबूझकर चुना, जिससे एक खास राजनैतिक मकसद…

बाबासाहब आजादी से पहले ही भाँप गए थे वहाबियों के खतरे को, चंद कॉन्ग्रेसी नेताओं ने दबा दी थी उनकी आवाज

"मुस्लिमों के लिए हिंदू काफिर है। मुस्लिमों की दृष्टि में काफिर सम्मान के योग्य नहीं होता है, उसकी कोई सामाजिक स्थिति भी नहीं होती है। अत: जिस देश में काफिरों…