‘बलिदानी जवान की विधवा को नहीं मिल रहा मुआवजा’: ‘द वायर’ में याकूत अली की रिपोर्ट निकली फर्जी, पोल खुलने पर बदल दी हेडलाइन

'द वायर' के झूठे दावे की PIB फैक्ट-चेक में खुली पोल (फोटो साभार: X/@PIBFactCheck)

फेक न्यूज फैलाने के लिए कुख्यात वामपंथी प्रोपेगेंडा पोर्टल ‘द वायर’ का एक और झूठ सामने आया है। ‘द वायर’ ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि मणिपुर हिंसा में बलिदान हुए जवान रंजीत यादव के परिवार को अब तक किसी भी तरह का मुआवजा नहीं दिया गया है। PIB ने वायर के इस दावे को ‘झूठ’ करार दिया है।

‘द वायर’ के याकूत अली ने 1 सितंबर को एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इस रिपोर्ट को ‘मणिपुर हिंसा में बलिदान हुए बीएसएफ जवान की विधवा को अब तक कोई मुआवजा नहीं मिला, जीवनयापन के लिए उन्हें पैसे उधार लेने पड़ रहे हैं’ हेडलाइन के साथ पब्लिश किया गया था।

‘द वायर’ की खबर निकली फेक (फोटो साभार: X/@thewire_in)

अपनी इस रिपोर्ट में प्रोपेगेंडा पोर्टल ने बलिदानी जवान रंजीत यादव की विधवा कौशल्या के हवाले से लिखा था कि उन्होंने मुआवजे के लिए मणिपुर की राज्य सरकार व केंद्र सरकार से दो बार संपर्क किया है, लेकिन उन्होंने अब तक कोई मुआवजा नहीं मिला।

वायर ने यह भी दावा किया था कि कौशल्या यादव का कहना है कि अब घर में कमाने वाला कोई नहीं है, इसलिए उन्हें घर के बाकी 7 सदस्यों के जीवन-यापन के लिए भी कमाना पड़ रहा है। वहीं घर के खर्चों के लिए लोगों से उधार लेना पड़ रहा है।

झूठ फैलाने की ‘मशीन’ द्वारा किए गए इस दावे का प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो की फैक्ट-चेक यूनिट- पीआईबी फैक्ट-चेक (PIB FactCheck) ने जाँच की है। इस जाँच में ‘द वायर’ का यह दावा झूठा साबित हुआ। ‘द वायर’ की रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए PIB ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा है, “द वायर ने दावा किया है कि बीएसएफ के बलिदानी जवान रंजीत यादव के परिवार को कोई मुआवजा नहीं मिला। यह दावा फेक है।”

PIB ने आगे लिखा है, “बलिदानी बीएसएफ जवान के परिवार को स्वर्ण जयंती सीमा प्रहरी कल्याण कवच योजना से 16 लाख रुपए का मुआवजा मिल चुका है।”

‘द वायर’ ने अब अपनी इस रिपोर्ट की हेडलाइन बदलकर ‘मणिपुर में बलिदान हुए बीएसएफ के जवान की विधवा को अमित शाह के 10 लाख रुपए के मुआवजे का इंतजार’ कर दी है। लेकिन सोशल मीडिया के लिए हेडलाइन अब भी पुरानी ही है।

‘द वायर’ की खबर निकली फर्जी, BSF जवान को लेकर फैलाया झूठ
ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया