जिस साल बलिदान हुए टंट्या भील, उस साल पैदा ही हुए थे RSS के संस्थापक: राहुल गाँधी निकले झूठे, कहा था- संघ ने फाँसी पर चढ़वाया

राहुल गाँधी ने आरएसएस पर लगाए फर्जी इल्जाम (तस्वीर साभार: हिंदुस्तान)

कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान मध्यप्रदेश में दिया गया भाषण विवादों में है। अपने भाषण में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को घेरने के लिए कई बातें कहीं। इसी क्रम में वह आरएसएस पर भी बरसे और ऐसी बातें बोलते गए जो बिलकुल निराधार थीं।

राहुल गाँधी ने बोला कि जनजातीय समुदाय के क्रांतिकारी टंट्या मामा को अंग्रेजों ने फाँसी पर चढ़ाया और अंग्रेजों का साथ देने वाले आरएसएस थी। उन्होंने इस दौरान आदिवासी और वनवासी शब्द को भी मुद्दा बनाया। राहुल ने कहा कि वो लोग जनजातीय समुदाय के लोगों को देश का पहला नागरिक मानते हैं इसलिए आदिवासी कहते हैं जबकि भाजपा उन्हें जंगल में रहने वाला मानती है इसलिए वनवासी बुलाती है।

बता दें कि कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी के इस बयान के बाद उनका जमकर मजाक उड़ रहा है। भाजपा के कुछ नेताओं ने उन्हें दोबारा से पप्पू कहना शुरू कर दिया है। इसका कारण है राहुल गाँधी का भाषण देते समय अर्जित किया गया अल्पज्ञान। 

उन्होंने मध्य प्रदेश में क्रांतिकारी टंट्या मामा की जन्मस्थली में भाषण देने के दौरान 24 मिनट 51 सेकेंड के स्लॉट पर कहा कि आरएसएस की मदद पाकर अंग्रेजों ने टंट्या मामा को फाँसी पर चढ़वाया। जबकि यदि तथ्यों पर गौर करें तो इस बात का हकीकत से दूर-दूर तक वास्ता नहीं है।

क्रांतिकारी टंट्या भील ने साल 1889 को बलिदान दिया था। वहीं संघ की स्थापना करने वाले डॉ केशव हेडगेवार उसी वर्ष जन्मे थे। उन्होंने टंट्या भील के बलिदान के 36 साल (1925) बाद जाकर राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ को स्थापित किया। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कैसे संघ ने अंग्रेजों की मदद की होगी।

इसी भाषण में राहुल गाँधी ने बिरसा मुंडे के बलिदान का उदाहरण देकर भी आरएसएस को कोसा…बिना ये बात जाने कि क्रांतिकारी बिरसा मुंडा का जन्म 1875 में हुआ था और उन्होंने बलिदान 1900 में दिया था।

राहुल गाँधी के भाषण की क्लिप अब सोशल मीडिया पर वायरल है। लोग उनका यह बयान ट्वीट करते हुए कह रहे हैं, “इसलिए लोग तुमको पप्पू कहते हैं।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया