ऑल्ट न्यूज़ वाला प्रतीक सिन्हा: दोमुँहापन, नंगई और बेहूदगी का पर्याय

ऑल्ट न्यूज़ संस्थापक प्रतीक सिन्हा 'ऑड डे' और 'इवन डे' पर कलाकारी करते हुए

एक साइट है ऑल्ट न्यूज़, मसीहाई की हद तक अपने आप को मानवता की धरोहर बताता है। नैतिकता और प्राइवेसी पर ज्ञान इनके साइट पर इतना ज़्यादा है मानो इन्हें देख लें तो दस-पाँच जनम के पाप धुल जाएँ। इसके यीशु मसीह हैं प्रतीक सिन्हा, जिनकी आजकल, और पिछली हरकतों से उन्हें बहुत ज़्यादा सम्मान दिया जाए तो भी एक ही शब्द निकल कर आता है: चिरकुट!

‘चिरकुट’ शब्द इसलिए क्योंकि प्रतीक सिन्हा का यही काम है, चिरकुटई। ज्ञान देने में तो इस लम्पट की साइट, प्राइवेसी पॉलिसी से लेकर, प्राइवेसी पर कवर किए गए तथाकथित ‘एक्सपोज़े’ तक, उस ऊँचे स्तर पर ख़ुद को रख देती है, जहाँ आज की दुनिया में पहुँचना असंभव लगता है। यही कारण है कि हमने इसके दोमुँहेपन पर इसी की साइट पर, किसी ‘फ़ॉल्ट न्यूज़’ वाली रॉकेट साइंस और रीवर्स इमेज मैनिपुलेशन, सॉफ़्टवेयर के इस्तेमाल या क्लासिफाइड स्पेस साइंस का प्रयोग किए बग़ैर ही थोड़ा स्क्रीनशॉट और हाइपरलिंक बेस्ड ‘शोध’ किया। 

इनकी साइट पर जाकर अगर आप अंग्रेज़ी में ‘प्राइवेसी’ (privacy) लिखकर सर्च करेंगे तो कई लिंक आते हैं। इसमें से एक लिंक ‘प्राइवेसी पॉलिसी‘ का है, जो कि आपको प्रतीक सिन्हा की ज्ञानगंगा ऑल्ट न्यूज़ के उस पन्ने पर ले जाता है जहाँ वो बातें लिखी हुई हैं, जिनमें प्रतीक सिन्हा को स्वयं ही कोई विश्वास नहीं।

वहाँ लिखा है कि ‘हमारे लिए हमारे विज़िटर्स की प्राइवेसी अत्यंत महत्वपूर्ण है’। आगे वो टिपिकल बातें लिखी हैं जो रहती हर जगह पर, लेकिन कोई ध्यान नहीं देता। थोड़ी दूर नीचे आपको ये भी लिखा मिलेगा कि वो ऐसी कोई जानकारी इकट्ठी नहीं करते जो किसी की निजी पहचान को बाहर लाता हो। यानी, ऑल्ट न्यूज़ (प्रतीक सिन्हा जिसका संस्थापक है) प्राइवेसी और पर्सनल इन्फ़ॉर्मेशन को लेकर बेहद सजग और गम्भीर है। शायद, ये लम्पट जानता है कि किसी की निजी बातें कहीं और चली जाएँ तो वो घातक हो सकती हैं। 

प्राइवेसी पॉलिसी का स्क्रीनशॉट

प्रतीक सिन्हा इन ख़तरों को जानता तो है, लेकिन मानता नहीं। साइट पर लिखना और ज्ञान देना एक बात है, लेकिन उसकी हाल की हरकतों, या कहें कि घटिया हरकतों से लगता नहीं कि उसे इसका तनिक भी भान है कि प्राइवेसी के मायने क्या हैं, और किसी की निजी जानकारी बाहर ला दी जाए तो वो किस तरह से उसे मानसिक और भावनात्मक यातनाओं से रूबरू कर सकती है। ताज़ा उदाहरण स्क्विंट नियॉन नाम के एक ट्विटर यूज़र का है, जिसकी निजी जानकारी को प्रतीक सिन्हा ने ‘फ़ैक्ट चेक’ के नाम पर सार्वजनिक कर दी। 

फिर आप ग़ौर से पढ़ेंगे तो आप समझ जाएँगे कि प्रतीक सिन्हा के लिए कुछ लोगों के नाम, पता और पर्सनल डीटेल्स सार्वजनिक करने में थोड़ी भी शर्म क्यों नहीं आई: वहाँ लिखा है ‘आवर विज़िटर्स’। ये लोग तो ख़ैर ‘आवर विजिटर्स’ में आते भी नहीं, इनकी प्राइवेसी पर प्रतीक सिन्हा को घंटा फ़र्क़ नहीं पड़ता! 

ये दोगलापन है। और हाँ, दोगलापन गाली नहीं है, दोगलापन एटीट्यूड है, जहाँ आप लिखते कुछ हैं, करते कुछ और। दोगलापन इसलिए क्योंकि जिस ‘प्राइवेसी’ के सर्च में प्राइवेसी पॉलिसी आई, उसी में एक हेडलाइन दिखी जहाँ लिखा था कि ‘क्या पीएम मोदी का ऐप निजी जानकारियों को थर्ड पार्टी के साथ, आपकी सहमति के बिना, शेयर करता है? हाँ’। अंग्रेज़ी में चूँकि बड़े अक्षरों के प्रयोग से आप अपनी बात कहने के लिए ‘यस’ को ‘YES’ लिखते हैं, तो पता चलता है कि आप महज़ हेडलाइन नहीं बना रहे, अपने विचार भी इम्फ़ैटिकली (ज़ोर देकर) रख रहे हैं। मैं भी इस बात से इत्तेफ़ाक़ रखता हूँ कि किसी भी ऐप को मेरी जानकारी, मेरी सहमति के बिना, किसी को भी देना बिलकुल गलत है। 

पर्सनल डेटा को लेकर प्रतीक सिन्हा की चिंतनीय लेख

एक और ख़बर है जो सिन्हा ने ही तैयार की है जिसमें नरेन्द्र मोदी ऐप द्वारा ‘प्राइवेसी पॉलिसी’ पर यू-टर्न मारने की बात कही गई है। वहाँ भी यही तर्क दिया गया है कि इस ऐप के द्वारा किसी थर्ड पार्टी को ऐप उपयोगकर्ताओं की जानकारी भेजी जा रही है। ये सिर्फ़ आर्टिकल नहीं है, ये एक स्टैंड लेने जैसा है, और जो सही है, कि किसी भी ऐप द्वारा किसी की भी निजी बातें, कहीं भी, बिना उसकी सहमति से नहीं भेजी जानी चाहिए। फिर, स्टैंड लेकर प्रतीक सिन्हा ये भूल गए कि ट्विटर पर किसी की सारी निजी बातें बता देना भी ‘सहमति के बिना’ डेटा शेयर करने जैसा ही है। 

नरेन्द्र मोदी ऐप पर प्रतीक सिन्हा द्वारा ‘प्राइवेसी’ को लेकर उठाए गए सवाल

फिर प्रतीक सिन्हा ने क्या सोचकर इन लोगों की निजी जानकारी ट्विटर पर सार्वजनिक कर दी? ‘थर्ड पार्टी’ को ऐप की जानकारी जाने पर पूरा आर्टिकल लिखा, और स्वयं ही उससे भी घातक काम किया कि उस नवयुवक को गालियाँ, जान से मारने की धमकी और उसके परिवार को हिंसक बातें कही जा रही हैं! अबे, थोड़ी कन्सिसटेन्सी तो रख लो अपनी बातों में! ऑनलाइन जिहादियों को किसी की जानकारी दे दी क्योंकि उसके विचार तुमसे नहीं मिलते?

कैसे बेहूदा आदमी हो यार? ‘कन्सेन्ट’ शब्द सुना है कभी, उसका मतलब समझते हो? बिना पूछे किसी की जानकारी सार्वजनिक करना असंवैधानिक है, फ़ैक्ट चेकिंग के यीशु मसीह! ‘राइट टू प्राइवेसी’ और ‘विदाउट कन्सेंट’ जानकारी बाहर करने का परिणाम देखो नीचे। लेकिन क्यों, तुम्हें तो मजा आ रहा होगा क्योंकि कहीं न कहीं तुम्हारी मंशा भी यही थी!

ट्विटर यूज़र @squintneon को मिली धमकियों के स्क्रीनशॉट्स

‘पर्सनल’ और ‘पब्लिक’ शब्द पर ही पत्रकार राहुल कँवल द्वारा राहुल गाँधी की निजी तस्वीरें अपने फ़ेसबुक पेज पर शेयर करने के ऊपर एक पूरा आर्टिकल है जिसमें हेडलाइन से लेकर अंतिम पैराग्राफ़ तक कई ऐसी बातें हैं जो प्रतीक सिन्हा पढ़ ले तो उसे अपने ‘ऑल्ट न्यूज़ स्टाफ़’ पर गर्व होगा, और अपने बारे में ‘डाउनराइट पैथेटिक’ भी फ़ील कर पाएँगे। 

पर्सनल और पब्लिक बातों को ऑल्ट न्यूज़ का स्टाफ़ तो सीरियसली लेता दिखता है, प्रतीक सिन्हा नहीं

इसी आर्टिकल में प्राइवेसी के हनन पर पक्ष लेते हुए लिखने वाले ने पूछा है कि ‘आख़िर राहुल कँवल ने राहुल गाँधी की पर्सनल पिक्चर्स अपने फ़ेसबुक पर क्यों पोस्ट कीं? क्या मोटिव है उनका?’ सही सवाल है। इसी स्टाफ़ को अपने मालिक से यही सवाल पूछना चाहिए कि स्क्विंट नियॉन (@squintneon) की पर्सनल जानकारी अपने ट्विटर पर पोस्ट करने के पीछे क्या मोटिव है?

बिलकुल सही सवाल, आख़िर मोटिव क्या होता है ऐसी बातों को सार्वजनिक करने के पीछे?

इस आर्टिकल को लिखने वाला स्टाफ़ सिर्फ़ एक स्टाफ़ नहीं, जज़्बाती स्टाफ़ लगता है क्योंकि लिखते-लिखते वो अंतिम पैराग्राफ़ में यहाँ तक लिख गया, ‘किसी दूसरे ने किसी का फोटो पोस्ट किया और आपने इसी कारण कर दिया तो ये एक बिलकुल बेकार हरकत है’। उसने ‘डाउनराइट पैथेटिक’ लिखा है, जिसे सुनकर मुझे अब प्रतीक सिन्हा का ही चेहरा याद आता है।

प्रतीक सिन्हा का कुकर्म भी ‘डाउनराइट पैथेटिक’ की ही श्रेणी में आता है

राहुल गाँधी एक पब्लिक फ़िगर हैं, फिर भी मेरी सहमति है कि बिना सहमति के किसी की भी निजी तस्वीरों या जानकारियों को सार्वजनिक करना गलत है। स्क्विंट नियॉन एक कम उम्र का लड़का है, जो न तो पब्लिक फ़िगर है, न ही उसके पास इतनी शक्ति या सामर्थ्य है कि वो अपने ऊपर आने वाले ख़तरे से बचाव कर सके। ऐसे वल्नरेवल इन्सान की प्रोफ़ाइल से जुड़ी गोपनीय बातें सार्वजनिक करने के पीछे प्रतीक सिन्हा का क्या उद्देश्य है?

क्या प्रतीक सिन्हा ने यह मूर्खतापूर्ण कार्य बदले की भावना में आकर नहीं किया? क्या उसकी विचारधारा के ख़िलाफ़ जाने वालों के नाम सार्वजनिक करने के पीछे दुर्भावना नहीं? क्या वो अपने पास के संसाधनों का प्रयोग किसी की तरफ घृणा और हिंसा के पूरे इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा घोषित तरीक़ों को मोड़ने के लिए नहीं कर रहा है? एक नवयुवक की जानकारी पब्लिक किस बात पर? तुम होते कौन हो ये करने वाले? स्वयंभू फ़ैक्ट चेकर जिसके नाम तमाम फ़ेक न्यूज़ फैलाने की बातें हर जगह उपलब्ध हैं?

अच्छी बात है कि ऑल्ट न्यूज़ में ऐसे जज़्बाती स्टाफ़ भी हैं। यूँ तो मालिक ही अपनी हरकतों से एक बेग़ैरत इन्सान मालूम पड़ता है पर क्या पता एक-दो अच्छे स्टाफ़ की संगति में थोड़ा सुधार आ ही जाए। वैसे प्रतीक सिन्हा के कुकर्मों की शृंखला से यह संभावना तो लगती नहीं कि इसमें सुधार की गुंजाइश है, फिर भी उम्मीद पर दुनिया क़ायम है।

अजीत भारती: पूर्व सम्पादक (फ़रवरी 2021 तक), ऑपइंडिया हिन्दी