BJP ने संविधान में भगवान राम सहित हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरों को चित्रित किया – फैक्ट चेक

कांशीराम बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक और राष्ट्रीय सचिव अक्षयवर नाथ कनौजिया (साभार: namobudhseva Twitter handle | screengrab from the viral video)

कांशीराम बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक और राष्ट्रीय सचिव अक्षयवर नाथ कनौजिया का सोशल मीडिया पर एक विचित्र दावे के साथ एक वीडियो सामने आया है। इस वायरल वीडियो में वह यह दावा कर रहे हैं कि भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने आम जनता को बताए बिना संविधान में हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरें जोड़ीं।

जानकारी के अनुसार, यह वीडियो 9 अक्टूबर 2020 को लखनऊ में बसपा के संस्थापक कांशी राम की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान शूट किया गया था। कनौजिया ने दावा किया कि सरकार ने हिंदू भगवान की तस्वीरों जिसमें भगवान राम, माँ काली, भगवान हनुमान और कई अन्य शामिल हैं, उनको संविधान के नए संस्करण में जोड़ा है।

https://twitter.com/rajeevrana1/status/1322384953145847808?ref_src=twsrc%5Etfw

उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी 2024 के आम चुनावों में सत्ता में वापस आने और इन तस्वीरों को परमानेंट बनाने की उम्मीद कर रही है। कनौजिया ने आगे कहा कि उनकी पार्टी केबीएसपी का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इस तरह के परिवर्धन संविधान में शामिल नहीं हों।

इसके बाद उन्होंने लोगों को कहा कि यह तभी संभव हो सकता है, जब 2022 में उत्तर प्रदेश के राज्य चुनावों में और 2024 में आम चुनावों में भाजपा को सत्ता से हटा कर उसका स्थान लिया जाए। इस कार्यक्रम में केबीएसपी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सावित्री बाई फुले, उनके बगल में बैठी हुई थीं। वो खुद भी वीडियो में लोगों से संविधान की कॉपी की जाँच करने का आग्रह कर रही थीं।

दावे के पीछे की असल सच्चाई

वास्तव में कन्नौजिया जिन तस्वीरों को लेकर का दावा कर रहे थे कि उन्हें हाल ही में संविधान में जोड़ा गया है, वह असल में संविधान की पहली कॉपी में ही थे। प्रसिद्ध कलाकार नंदलाल बोस ने इन कलाकृतियों को संविधान के लिए डिज़ाइन किया था।

राज्यसभा में 4 फरवरी 2020 को अपने संबोधन के दौरान, भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने भारत के संविधान की मूल मैनुस्क्रिप्ट की एक कॉपी दिखाते कहा था कि जिस पेज पर मौलिक अधिकारों का उल्लेख है, वहाँ पहले से भगवान राम की तस्वीर को चित्रित किया गया है।

गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 2017 में बताया था कि कैसे नागरिकता के लिए ‘भारत का वैदिक जीवन’ को दर्शाया गया। फिर मौलिक अधिकारों को दिखाने के लिए ‘भगवान राम का श्रीलंका से माता सीता और लक्ष्मण के साथ लौटने’ वाले दृश्य को चित्रित किया गया। इसके बाद ‘‘भगवान कृष्ण ने महाभारत में गीता का उपदेश ‘राज्य नीति के प्रत्यक्ष सिद्धांतों के लिए और और वित्त, संपत्ति, अनुबंध और सूट के लिए ‘भगवान नटराज’ संविधान की मूल प्रति में जोड़े गए थे।

उन्होंने कहा, “अगर संविधान को आज फिर से लागू किया जाए और संविधान सभा को उसी रेखाचित्रों का उपयोग करना हो, तो लोगों को भारत को सांप्रदायिक कहने का एक बहाना मिल जाएगा! यह वह स्तर है, जिसने हमारी विरासत को कमज़ोर किया है।”

दिलचस्प बात यह है कि, कनौजिया ने उस हिस्से का उल्लेख बिल्कुल नहीं किया जहाँ संविधान की मूल मैनुस्क्रिप्ट में बुद्ध, रानी लक्ष्मी बाई, गुरु गोबिंद सिंह, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गाँधी, अकबर, टीपू सुल्तान और कई अन्य लोगों को चित्रित किया गया था।

पुलिस से मामले पर कार्रवाई करने की उठी माँग

कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने वायरल वीडियो को पोस्ट और रिट्वीट करते हुए यूपी पुलिस को भी टैग किया। और उनसे संविधान के बारे में भ्रामक जानकारी फैलाने के लिए कन्नौजिया के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के सूचना सलाहकार शलभ मणि त्रिपाठी ने भी यूपी पुलिस को टैग किया और उनसे अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की माँग की।

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इस संबंध में लखनऊ पुलिस ने जवाब दिया कि उन्होंने वीडियो को संबंधित विभाग को जाँच करने और आवश्यक कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया