कोरोना पर काबू पाने के लिए मुंबई में 10 दिनों का ‘मिलिट्री लॉकडाउन’: PIB ने फर्जी दावों का किया भंडाफोड़

मुंबई में कोरोना पर काबू पाने के लिए मिलिट्री लॉकडाउन के दावों का पीआईबी ने किया खंडन

पीआईबी ने उन दावों का खंडन किया है जिसमें कोरोना संक्रमण पर काबू पाने के लिए मुंबई में 10 दिनों के मिलिट्री लॉकडाउन की बात कही जा रही थी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी इसे अफवाह करार दिया है।

दरअसल, Tech9587 नामक यूट्यूब चैनल द्वारा अपलोड किए गए एक विवादास्पद वीडियो में दावा किया गया था 8 से 17 मई के बीच मुंबई शहर में सेना की तैनाती की जाएगी। इस दौरान शहर में सैन्य तालाबंदी की जाएगी।

व्हाट्सएप पर तेजी से वायरल हो रहे एक संदेश में दावा किया जा रहा था कि मिलिट्री लॉकडाउन के दौरान शहर में केवल दूध, दवाइयों की दुकानों और अस्पताल खुले रहेंगे।

वीडियो में जो व्यक्ति मराठी में मिलिट्री लॉकडाउन की सार्वजनिक घोषणा कर रहा था वह एक ऑटोरिक्शा की पिछली सीट पर बैठा था। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सूचना दूर-दूर तक फैले लाउडस्पीकर भी ऑटो पर लगा था। उस शख्स का कहना था कि सामान की खरीदारी के नाम पर लोग घरों से बाहर निकलकर लॉकडाउन के नियमों उल्लंघन करते हैं। इसके चलते शहर के हर कोने में कोरोना पॉजिटिव केस हैं।

वीडियो में आगे दावा किया कि अगर मुंबई को पूरी तरह से बंद नहीं किया गया तो देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 1 करोड़ तक हो सकती है। हालाँकि लगातार उठते सवालों के बाद यह वीडियो को डिलीट कर दिया गया।

https://twitter.com/PIBMumbai/status/1258692903645429761?ref_src=twsrc%5Etfw

वीडियो में किए जा रहे भ्रामक दावों को खारिज करने के लिए शुक्रवार को पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) ने ट्विटर का सहारा लिया और लिखा “कानून व्यवस्था बनाने के लिए मुंबई शहर में सेना या नौसेना के जवान तैनात नहीं किए जाएँगे। शहर में सैन्य लॉकडाउन लगने जैसी बात पूरी तरह से गलत है।”

लगातार फैल रही अपवाहों पर शुक्रवार को महाराष्ट्र सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा, “पिछले 2-3 दिनों से अफवाह है कि मुंबई में सेना तैनात की जाएगी। यहाँ सेना की तैनाती की कोई आवश्यकता नहीं है। मैंने आज तक जो भी किया है वह राज्य की जनता को जानकारी देकर किया है। आप सभी को अनुशासित रहना चाहिए और यही काफी होगा। राज्य में सेना बुलाने की कोई जरूरत नहीं है।”

https://twitter.com/ANI/status/1258769272769110016?ref_src=twsrc%5Etfw

आपको बता दें कि इससे पहले पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने एक तस्वीर पोस्ट की थी, जिसमें कुछ बच्चों के फटे हुए, खुरदरे पैरों को दिखाया गया था। उन्होंने कहा था, “मदर इंडिया के पाँव देखे हैं कभी”? जिसका अर्थ है कि क्या आपने कभी भारत माता के पैर देखे हैं? जैसा कि ट्विटर यूजर @theFirstHandle द्वारा बताया गया है। दरअसल पुण्य प्रसून बाजपेयी ने जिस फोटो का प्रयोग किया था वह फोटो 2018 में लंदन पोस्ट की एक रिपोर्ट, जिसका शीर्षक “रियल फेस ऑफ पाकिस्तान डेमोक्रेसी- चिल्ड्रन नीड ए स्पोंसर फोरमेडिकल ट्रीटमेंट” में लगा था।

8 मई को हुसैन नाम के एक ट्विटर यूजर ने एक वीडियो जारी किया था, जिसमें दावा किया गया कि भारत का राष्ट्रीय कैरियर एयर इंडिया ने अपने यात्रियों से सोशल डिस्टेंसिंग के बहाने सामान्य से तीन गुना अधिक वसूला है। शुक्रवार को पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) ने ट्विटर पर साफ किया कि विवादास्पद वीडियो, जिसमें यात्रियों से सोशल डिस्टेंसिंग के नाम पर अधिक किराया वसूलने की शिकायत करते हुए देख गया, दरअसल वह वीडियो पड़ोसी देश पाकिस्तान का है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया