कश्मीरी पत्थरबाज का खूनी चेहरा अब किसान आंदोलन में प्रोपेगेंडा के लिए, इस्लामी-वामपंथी गैंग फैला रहे फेक न्यूज: ऐसे अकाउंट पर क्यों नहीं लगे बैन

आरजे सायमा और श्याम मीरा सिंह का झूठ (फोटो साभार- @_sayema/X और Shyam Meera Singh/FB)

किसान आंदोलन के बीच कानून व्यवस्था को बनाए रखना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती हो गई है। सुरक्षाकर्मी लगातार कोशिश कर रहे हैं कि अराजक तत्व सीमा से दूर रहें लेकिन वामपंथियों और लिबरलों को उनकी ये कोशिश खास रास नहीं आ रही। फेक न्यूज फैलाकर पुलिस के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है। हाल में यूट्यूबर श्याम मीरा सिंह ने कुछ यही किया, जिसपर उसे आरजे सायमा का भी समर्थन मिल गया।

श्याम मीरा सिंह ने दरअसल ये दिखाने के लिए पुलिस किस तरीके से पैलेट गन का प्रयोग करके प्रदर्शनकारियों पर अत्याचार कर रही है, एक फोटो शेयर की। इस फोटो में एक युवक के चेहरे पर पैलेट गन के निशान थे और आँख पूरी लाल थी। श्याम मीरा सिंह ने इसे शेयर करके लिखा- इस तस्वीर को देखना भी मुश्किल हो रहा है। ये तस्वीर किसान आंदोलन के घायल लड़की है।

श्याम मीरा सिंह का पुराना ट्वीट, जिसे आरजे सायमा ने भी रिपोस्ट किया

इसके बाद इस फोटो को आरजे सायमा ने भी तुरंत रिपोस्ट कर दिया, जैसे वो ऐसे किसी मौके के इंतजार में हों कि ऐसी तस्वीरें उन्हें कब देखने को मिलेंगी।

अपने आपको आरजे और पत्रकार कहने वाले इन दोनों ने लोगों ने एक भी बार इस फोटो को साझा करने से पहले इसकी प्रमाणिकता नहीं जानी। जब हमने इसकी पड़ताल की तो हमें 2016 की न्यू इंडियन एक्सप्रेस रिपोर्ट में इस लड़के की यही तस्वीर मिली।

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट

साफ है कि ये फोटो पुरानी और किसान आंदोलन से इसका कोई लेना-देना नहीं। इस खबर में बताया गया है कि युवक का नाम मोहम्मद इमरान पारे हैं। कश्मीर में पत्थरबाजी के खिलाफ जब सुरक्षाबलों ने अपना बचाव पैलेट गन से किया था, उसमें इसके ये चोट आई थी।

इस फोटो की हकीकत का पता लगाकर श्याम मीरा सिंह और सायमा को भी सचेत किया जिसके बाद दोनों ने अपने सोशल मीडिया से ये पोस्ट हटा लिए। लेकिन तब तक लोग इसका स्क्रीनशॉट ले चुके थे। आरजे सायमा से जब एक जब पूछा गया कि उन्होंने ऐसी हरकत क्यों की तो उन्होंने सफाई में कहा इसमें उनकी मंशा गलत नहीं थी इसलिए हकीकत पता लगने पर उसे हटा लिया।

श्याम मीरा सिंह का नया ट्वीट

वहीं श्याम मीरा सिंह ने तो बड़ी चालाकी से अपने ट्वीट को डिलीट किया। फेक न्यूज फैलाने की गलत जानकारी देने की माफी माँगने के बजाय उसने इस फोटो के साथ खुद को फैक्टचेकर बन दिखाते हुए कहा- ये तस्वीर अभी के किसान आंदोलन की नहीं है। कृपया इसे शेयर ना करें। ये तस्वीर जुलाई 2016 की है। तस्वीर में- Mohammad Imran Parray हैं। जो कश्मीर से हैं। चेहरे पर पैलेट गन के निशान हैं। जैसे अभी किसान आंदोलन के दौरान किसानों के शरीर पर मेडिकल जाँच में भी प्रूव हुए।

बता दें कि किसान आंदोलन के समय पुलिस के पैलेट गन के इस्तेमाल पर जो इतना बवाल मचाया जा रहा है। उसे लेकर मालूम हो कि कोर्ट भी यह कह चुका है कि अगर प्रदर्शन शांतिपूर्वक न हो और पुलिसकर्मियों पर भीड़ हमला करें तो बचाव में इन पैलेट गनों का इस्तेमाल किया जा सकता है। ये कहते हुए जम्मू-कश्मीर की कोर्ट ने पैलेट गन को बैन लगाने वाली याचिका को खारिज किया था। फैसला सुनाने वाले जजों का नाम जस्टिस धीरज सिंह ठाकुर और अली मोहम्मद मागरे था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया