‘राम मंदिर बन गया, कपिल सिब्बल कब करेंगे आत्महत्या’: रामलला के वकील रहे के पराशरण नहीं हैं ट्विटर पर

न सिब्बल ने किया था दावा, न ट्विटर पर हैं पराशरण

5 अगस्त 2020 को अयोध्या में भव्य राम मंदिर की नींव पड़ी। कई नाम ऐसे हैं जिनके कारण 500 साल चली यह लड़ाई कभी कमजोर नहीं पड़ी। इन नामों के बिना यह संघर्ष यात्रा अधूरी है। ऐसा ही एक नाम हैं 93 वर्षीय अधिवक्ता के पराशरण। उन्होंने राम जन्मभूमि की क़ानूनी लड़ाई लड़ी थी। सुप्रीम कोर्ट में रामलला विराजमान की पैरवी की थी।

राम मंदिर भूमि पूजन की तारीख आते ही सोशल मीडिया उन नामों की चर्चा बड़े पैमाने पर हुई जिन्होंने रामजन्मभूमि पाने की लड़ाई में अहम योगदान दिया। पराशरण की भी काफी चर्चा हुई। उनकी एक तस्वीर खूब वायरल हुई जिसमें दावा किया गया था कि वह अपने घर में बैठ कर भूमि पूजन देख रहे हैं। लेकिन उनके नाम की चर्चा केवल इतने तक सीमित नहीं थी। पिछले कुछ दिनों से उनके नाम का (@KPrasaran) एक सक्रिय ट्विटर अकाउंट सामने आया है।     

इस ट्विटर अकाउंट पर पराशरण की तस्वीर लगी थी। इसकी वजह से कुछ नेटिजन्स को लगा कि यह उनका वास्तविक अकाउंट है। कुछ ही देर में उस एकाउंट के फॉलोवर्स बढ़ गए। इस एकाउंट से पहला ट्वीट राम मंदिर भूमि पूजन से ठीक एक दिन पहले 4 अगस्त को किया गया था।

https://twitter.com/KPrasaran/status/1290664092592738304?ref_src=twsrc%5Etfw

इसके बाद 5 अगस्त को इस अकाउंट से दूसरा ट्वीट किया गया, जिसमें उन्होंने राम मंदिर का सपना पूरा होने की बात लिखी थी।  

https://twitter.com/KPrasaran/status/1290963219213778946?ref_src=twsrc%5Etfw

इस अकाउंट से किए गए सबसे ताज़ा ट्वीट में कपिल सिब्बल का ज़िक्र है। ट्वीट में लिखा है, “कपिल सिब्बल कह रहे थे कि वह राम मंदिर बनने पर आत्महत्या कर लेंगे। राम मंदिर बन गया, कब करेंगे आत्महत्या?”

https://twitter.com/KPrasaran/status/1291584360856993792?ref_src=twsrc%5Etfw

राम मंदिर का भूमि पूजन होने की खुशी में तमाम लोगों ने इस अकाउंट को फॉलो कर लिया। उन्हें ऐसा लगा कि यह के पराशरण का असली ट्विटर अकाउंट है। यह रिपोर्ट तैयार करने के दौरान इस ट्विटर अकाउंट के 3737 फॉलोवर्स थे।

ऑपइंडिया ने अधिवक्ताओं के उस समूह से संपर्क किया जो राम मंदिर की सुनवाई के दौरान के पराशरण के साथ थे। पराशरण के सहयोगी योगेश्वरन ने ऑपइंडिया से बातचीत में बताया कि यह ट्विटर एकाउंट फ़र्ज़ी हैं, क्योंकि वे अभी तक ट्विटर पर नहीं आए हैं।   

इसके अलावा के पराशरण के दो और सहयोगियों ने इस बात की पुष्टि की। सबसे पहले ट्वीट में जिस तरह की भाषा इस्तेमाल की गई थी उससे ही साफ़ था कि यह उनका आधिकारिक ट्विटर अकाउंट नहीं हो सकता है। इतना ही नहीं अकाउंट द्वारा कपिल सिब्बल पर किया गया ट्वीट भी फ़र्ज़ी निकला, क्योंकि कपिल सिब्बल ने कभी इस तरह का दावा ही नहीं किया था कि मंदिर निर्माण होने पर आत्महत्या कर लेंगे। कपिल सिब्बल के इस बयान का कोई आधिकारिक स्रोत तक नहीं मौजूद है।   

के पराशरण सर्वोच्च न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता हैं। इसके अलावा उनका पूरा न्यायिक करियर 6 दशक तक जारी रहा। वह साल 1983 से लेकर साल 1986 तक भारत के अटॉर्नी जनरल पद थे। वह 1976 में तमिलनाडु के एडवोकेट जनरल भी रहे। उन्हें साल 2003 में पद्म भूषण और साल 2011 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। साल 2012 में राष्ट्रपति ने उन्हें राज्यसभा के लिए निर्वाचित किया था।   

40 दिनों तक चली राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई के दौरान पराशरण ने अद्भुत ऊर्जा और इच्छा शक्ति का प्रदर्शन किया था। पराशरण सुबह 10:30 बजे से शुरू होने वाली सुनवाई में ठीक समय पर उपस्थित हो जाते थे। शाम 4 से 5 बजे तक चलने वाली सुनवाई में मौजूद रहते थे। पराशरण ने मामले से संबंधित हर ऐतिहासिक दलील का उल्लेख किया। उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा कि 433 साल पहले बाबर ने रामलला के जन्मस्थान पर मस्जिद बना कर गलती की थीऔर इतनी बड़ी गलती को सुधारने की ज़रूरत है।   

इसके अलावा पराशरण ने यह भी कहा कि मुस्लिम अयोध्या में किसी दूसरी जगह नमाज़ पढ़ सकते हैं। पूरी अयोध्या में 50 से 60 मस्जिद मौजूद हैं। लेकिन हिंदुओं के लिए श्रीराम का जन्मस्थान एक ही है, वह किसी भी सूरत में नहीं बदला जा सकता है। साल 2016 के बाद पराशरण ने सिर्फ 2 मामलों की पैरवी की। पहला सबरीमाला और दूसरा राम मंदिर। वह अक्सर इस बात का ज़िक्र करते थे कि यह उनकी अंतिम इच्छा है कि उनके जीते हुए इन मामलों की सुनवाई पूरी हो।  

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया