बँटवारे की राजनीति पर फिर उतरे केजरीवाल: गुजरातियों को मराठियों के विरुद्ध भड़काया, बोले- चुनाव को क्रांति में बदलो

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) रविवार (1 मई 2022) को गुजरात में ‘आप’ के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए एक बार फिर बाँटने की राजनीति करते हुए नजर आए। केजरीवाल ने भाजपा पर मराठी व्यक्ति को गुजरात का प्रदेश अध्यक्ष बनाने पर सवाल उठाया।

उल्लेखनीय है कि 1 मई को गुजरात और महाराष्ट्र दोनों राज्यों का स्थापना दिवस मनाया जाता है। भारत की आजादी के समय यह दोनों राज्‍य बॉम्‍बे प्रदेश का हिस्‍सा थे। महाराष्‍ट्र और गुजरात का अलग अस्तित्‍व नहीं था। उस वक्‍त बॉम्‍बे प्रदेश में मराठी और गुजराती भाषा बोलने वाले लोगों की तादाद सबसे ज्‍यादा थी। अंग्रेजों के जाने के बाद इन राज्यों और प्रांतों को भारत के संघ में पुनर्गठित करने का काम राज्यों के पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के माध्यम से शुरू हुआ। अधिनियम ने क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषाओं के आधार पर राज्यों को पुनर्गठन करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन बाद में इसी भाषा के आधार पर अलग राज्‍य बनाने की माँग उठने लगी। गुजराती अपना अलग राज्‍य चाहते थे, वहीं मराठी भी अलग राज्‍य की माँग करने लगे थे। 1 मई 1960 को बॉम्बे को बाँटकर भाषा के आधार पर दो राज्य महाराष्ट्र और गुजरात बना दिए गए। इसलिए अरविंद केजरीवाल ने राज्य में अपने विभाजनकारी एजेंडे के लिए आज ही का दिन चुना।

अरविंद केजरीवाल ने कहा, “मैं एक बात से लंबे समय से आहत हूँ। गुजरात में बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष कौन है? सीआर पाटिल। वह कहाँ का रहने वाला है? वह महाराष्ट्र से है। तो क्या बीजेपी को 6.5 करोड़ गुजरातियों में से एक भी अध्यक्ष नहीं मिला? ये महाराष्ट्र के आदमी से गुजरात चलाएँगे? गुजरात के लोग इतनी बड़ी बेइज्जती बर्दाश्त नहीं करेंगे।”

अरविंद केजरीवाल यहीं नहीं रुके। उन्होंने यह कहकर अपने विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाया, “किसी भी पार्टी ने इससे बड़ी बेइज्जती नहीं की है। क्या ये लोग महाराष्ट्र से गुजरात पर राज करेंगे? क्या ये लोग महाराष्ट्र के एक शख्स के जरिए गुजरात चलाएँगे? गुजरात की जनता इसे बर्दाश्त नहीं करेगी। आगामी चुनाव को क्रांति में बदलें। इस बार चुनाव नहीं होंगे। बल्कि एक नए गुजरात की नींव रखी जाएगी।”

इस बारे में अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट भी किया। उन्होंने लिखा, “महाराष्ट्र के सीआर पाटिल गुजरात भाजपा अध्यक्ष हैं। क्या भाजपा को अपना अध्यक्ष बनाने के लिए एक भी गुजराती नहीं मिला? लोग कहते हैं, ये केवल अध्यक्ष नहीं, गुजरात की सरकार यही चलाते हैं। असली CM यही हैं। ये तो गुजरात के लोगों का घोर अपमान है। भाजपा वालों, गुजरात को गुजराती अध्यक्ष दो।”

संयोग से अरविंद केजरीवाल हरियाणा के रहने वाले हैं और वर्तमान में दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं। उनके मंत्रिमंडल में कई मंत्री मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। जब केजरीवाल गुजरात में महाराष्ट्र के लोगों के खिलाफ गुजरातियों को भड़काने की कोशिश कर रहे थे, उसी वक्त हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी के सोशल मीडिया चीफ हरप्रीत सिंह बेदी के पुराने ट्वीट्स, जिसमें उन्होंने खालिस्तान समर्थकों का समर्थन किया था, वह वायरल हो रहे थे। इसको लेकर सोशल मीडिया पर काफी विवाद भी हुआ था, जिसके बाद बेदी ने अपना ट्विटर अकाउंट डिलीट कर दिया था।

हिमाचल प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने हरप्रीत सिंह बेदी के एक ट्वीट का स्क्रीनशॉट साझा करते हुए ‘आप’ पर आरोप लगाया है कि ‘आप’ नेता ने सिखों के लिए एक अलग राष्ट्र खालिस्तान की माँग की। बग्गा ने कहा कि केजरीवाल खालिस्तान समर्थकों के प्रति नरम हैं। यह स्पष्ट है कि केजरीवाल का खालिस्तान समर्थकों के लिए सॉफ्ट कॉर्नर है, उन्होंने पिछले पंजाब विधानसभा चुनावों के दौरान उग्रवादी के आवास पर एक रात बिताई थी। केजरीवाल या पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पटियाला हिंसा में शामिल खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा है कि सख्त कार्रवाई की जाएगी।

यह पहली बार नहीं है जब अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी ने अपनी विभाजनकारी और अलगाववादी सोच को उजागर किया है। पंजाब विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करने वाली आम आदमी पार्टी पंजाब में खालिस्तान की माँग करने वालों का समर्थन करती हुई नजर आई थी। उन पर खालिस्तानी लोगों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया गया था, जिसका खुलासा खुद पार्टी के पूर्व नेताओं जैसे डॉ. कुमार विश्वास ने भी किया था। इससे पहले, ‘आप’ सुप्रीमो से ‘टुकड़े टुकड़े गैंग’ के सदस्यों कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य का कथित समर्थन करने को लेकर पूछताछ की गई थी, जब उन्हें फरवरी 2016 में जेएनयू परिसर में देश विरोधी नारे लगाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

गौरतलब है कि पंजाब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 17 फरवरी को प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठन SFJ (सिख फॉर जस्टिस) के नाम से सोशल मीडिया पर एक लेटर वायरल हुआ था। इसमें उस वक्त आम आदमी पार्टी (AAP) के पंजाब में मुख्यमंत्री चेहरे भगवंत मान को समर्थन देने की बात कही गई थी। गुरपतवंत सिंह पन्नू के नाम से पंजाबी में जारी इस पत्र में लिखा था, “हम सिख फॉर जस्टिस के सभी सदस्य पंजाब विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी के भगवंत मान को अपने समर्थन की घोषणा करते हैं। यह चुनाव बेहद अहम हैं। अगर आम आदमी पार्टी की सरकार पंजाब में बनती है तो हमें हमारे खालिस्तान के लक्ष्य को पाने में आसानी होगी। हमने 2017 के चुनावों में भी आम आदमी पार्टी का समर्थन किया था। सिर्फ आम आदमी पार्टी है जो हमारे टारगेट को पूरा करवा सकती है। उन्हें वोट दे कर हमें मजबूत करें।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया