महाभारत का मुर्शिदाबाद वर्जन: जब द्रौपदी के चीरहरण के समय श्रीकृष्ण ने Tweet कर लिबरलों से पूछे सवाल

मुर्शिदाबाद काण्ड को समझिए द्रौपदी के चीरहरण वाले दृश्य से

सहसा ही राजसभा में शांति छा गयी। ज्येष्ठ भ्राता के निर्देश पर पाञ्चाली को केश से घसीटते हुए दुःशासन सभा में ले आए। परमवीर परन्तु पराजित पाँचों पति नतमस्तक बैठे थे और दुर्योधन के मुख पर क्रूर स्मित थी। राजवधू के क्रंदन से समस्त सभासदों का ह्रदय द्रवित था। दुर्योधन ने चीरहरण का आदेश दिया। युधिष्ठिर ने बिना कौरवों का नाम लिए घोर आपत्ति जताई और बोले- “ऐसे भी कुछ लोग हैं जो परस्त्रियों को निर्वस्त्र करना चाहते हैं। विश्व समुदाय को इनका संज्ञान लेना होगा। अमेरिका को भी अवश्य इन पर कार्यवाही करनी चाहिए।” उसके पश्चात धर्मराज ने कौरवों को सम्बोधित करके कहा कि हम अपनी हारी हुई संपत्ति से आपको छात्रवृत्ति देंगे, हमें आपका विश्वास जीतना है।

धर्मराज युधिष्ठिर ने उद्घोष किया- ‘सबका साथ, सबका विश्वास।‘ पराजित किन्तु रोमांचित पांडव सेना ने उनके आह्वान के साथ स्वर मिला कर नारा दोहराया। यह कह कर पाँचों पांडव पुनः नतमस्तक हुए और ‘वैष्णव जन तो तेने कहिए‘ की धुन पर चरखा कातने लगे। द्रौपदी ने उन्हें शांत देख कर अपने पाँचों पतियों को पुनः मदद के लिए पुकारा। तत्पश्चात भीम ने सिंह गर्जना की।

टीवी चैनलों के कैमरे लिंचोन्मुखी भीम के क्लोज शॉट लेकर असहिष्णु पांडवों पर बहस करने लगे। सहसा ही खिचड़ी दाढ़ी वाले पुरुष, और कॉटन की साड़ी वाली महिलाएँ प्रकट होकर गंभीर स्वर में भीम की भर्त्सना करने लगीं। सबने ध्वनिमत से भीष्म की हिंदुत्ववादी विचारधारा को नाजीवादी बता कर निंदा की जो पांडवों की एंटी-माइनॉरिटी नीति पालिसी में परिलक्षित हो रही थी।

किसी ने कौरवों को अल्पसंख्यक कहे जाने का विरोध किया, तो कश्मीर में वर्ग विशेष को अधिकता में होने के बावजूद अल्पसंख्यक कहे जाने का उदाहरण दे कर शांत करा दिया गया। धर्मराज ने सबको शांत किया, और योगेंद्र यादव सुलभ व मधुर स्वर में बोले- “महाबली भीम जैसे फ्रिंज एलिमेंट्स का संज्ञान न लिया जाए और उनके हिंसक प्रलापों को पार्टी लाइन से जोड़ कर न देखा जाए।

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निराश द्रौपदी ने भीष्म की ओर देखा। चीरहरण की प्रक्रिया के असंवैधानिक होने की गुहार लगाई। भीष्म कुछ बोलें इससे पूर्व राज नृतकों, संगीतकारों एवं गायकों के समूह ने उन्हें पांडवों के नाज़ीवाद के विरुद्ध एक ताड़ पत्र पर ज्ञापन प्रस्तुत कर दिया। भीष्म जनभावना के समक्ष चुप रहने को विवश हो गए। गान्धारी की आँखों पर बँधी पट्टी का संज्ञान लेते हुए और उन्हें दीदी कह कर प्रेम करने वाले बुद्धिजीवी वर्ग का क्रोध पितामह को चुप करा गया। तब विवश हो कर द्रौपदी ने श्रीकृष्ण का स्मरण किया। श्री कृष्ण के प्रकट होते ही द्रौपदी की साँस में साँस आयी और उसे लगा की अब उसके सम्मान की रक्षा हो सकेगी।

दुःशासन ने द्रौपदी की ओर कदम बढ़ाया ही था कि प्रभु बोल पड़े- “कहाँ हैं वो लिबरल जो विपरीत दल के समर्थकों के उत्पीड़न पर प्रश्न उठाते थे? क्या वे वामपंथी बुद्धिजीवी द्रौपदी की इस स्थिति पर प्रश्न उठाएँगे? क्यों विपक्षी दल आज इस महिला पर हो रहे अत्याचार पर मौन है?” सभागार में उनके प्रश्नो पर ‘साधु, साधु’ के स्वर उठने लगे। केशव बोले- “गान्धारी मेरी बड़ी बहन सामान है, परन्तु उन्हें इस सब के लिए क्षमा माँगनी चाहिए। वेद व्यास जी को ऐसे प्रसंग लिखने के लिए क्षमा माँगनी चाहिए।

तभी उन्हें ध्यान आया कि व्यास जी रमन मैग्सेसे पुरस्कार लेने गए हैं। केशव ने तुरंत इस कथन को भी ट्वीट किया, और भक्तों के लाइक और रीट्वीट पा कर हर्षित हुए। इसके पश्चात अपने स्मार्टफोन पर अपने वायरल होते ट्वीट को देखते हुए प्रफुल्लित प्रभु अंतर्ध्यान हो गए। द्रौपदी निराश हो कर असाहय अपनी दुखद नियति की प्रतीक्षा करने लगी।

Saket Suryesh: A technology worker, writer and poet, and a concerned Indian. Writer, Columnist, Satirist. Published Author of Collection of Hindi Short-stories 'Ek Swar, Sahasra Pratidhwaniyaan' and English translation of Autobiography of Noted Freedom Fighter, Ram Prasad Bismil, The Revolutionary. Interested in Current Affairs, Politics and History of Bharat.