‘भगवाकरण’ से परेशान मोदी-शाह ने लिया ऐतिहासिक निर्णय: इंद्रधनुष, तिरंगे से हटाया जाएगा भगवा

अब होगा भगवाकरण का अंत (प्रतीकात्मक चित्र)

विपक्ष के पास आजकल मुद्दों की इतनी कमी हो गई है कि उनका पूरा विमर्श अब ‘सेफ्रनाइजेशन’, यानी भगवाकरण, पर आ कर ठहर गया है। अब गाजर के हलवे को ‘सॉफ्ट शेड ऑफ सैफ्रन’ कहने से ले कर भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी तक में भाजपा और संघ का हस्तक्षेप बताने की बातें अत्यंत गंभीर और ‘डर का माहौल’ वाले चेहरे के साथ की जा रही है।

हाल ही में कॉन्ग्रेस ने, जो आजकल इस्तीफों की बारात बना कर, चूहों की तरह अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा डूबते जहाज को छोड़ने के कारण पार्टी में व्याप्त अराजकता संभालने में व्यस्त है, देश को नया विमर्श देने की कोशिश की जब उन्हें पता चला कि भारतीय क्रिकेट टीम इंग्लैंड के खिलाफ नारंगी रंग की जर्सी पहन कर खेलने उतरेगी। उसके बाद उन्होंने खूब बवाल काटा कि क्रिकेट टीम में भी अब भगवा घुस रहा है।

इनके समर्थक, जी, आज के डेट में भी कॉन्ग्रेस के समर्थक धरती पर हैं, सोशल मीडिया पर पिल पड़े कि ‘हाँ, सब कुछ सैफ्रन हो रहा है। देश को बर्बाद किया जा रहा है। ये सब नहीं चलेगा। मोदी हर चीज को भगवा बनाने के चक्कर में है।’ चूँकि, समर्थक कॉन्ग्रेस के हैं तो उनसे यह आशा करना गलत है, और शायद असंवैधानिक भी, कि वो आईसीसी के नए नियम पढ़ें, या नीली जर्सी को गौर से देखें कि उसमें देश का नाम, खिलाड़ी का नाम और उनके नंबर सहित कॉलर आदि का रंग क्या है। आम तौर पर जो कलर स्कीम होती है, उसी को उलट दिया जाता है, अगर आपको दो जर्सी रखनी हो तो।

उच्चस्तरीय बैठक में हुआ ऐतिहासिक फैसला

यह बात अब छिपी हुई नहीं है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, जो कि अब गृह मंत्री भी हैं, और नरेन्द्र मोदी, जो कि आजकल 2.0 में चल रहे हैं, उनका एकसूत्री अजेंडा देश ही नहीं कॉन्ग्रेस तक को कॉन्ग्रेस मुक्त करने का है। इसी संदर्भ में गुप्त सूत्रों के अनुसार, जो कि हमारे पास बहुतायत हैं, पता चला है कि कल शाम एक उच्चस्तरीय बैठक में भाजपा के आलाकमान ने एक निर्णय लिया है। हमारे सूत्रों ने बहुत देर तक यह नहीं बताया कि निर्णय क्या लिया गया है क्योंकि मोदी जी ने कहा कि वो खुद ही अनाउंस करेंगे, फेसबुक लाइव के जरिए।

मीटिंग में कॉन्ग्रेस समेत, तमाम विपक्ष आजकल जिस शब्द के पीछे छिप कर भाजपा पर वार करना चाहता है, उस शब्द और संदर्भ को ही गायब करने की बात हुई। इन विचारकों, उठौना लगा कर पाव भर आउटरेज हर दिन करने वाले फेसबुकिया बुद्धिजीवियों, और मोदी विरोधियों को एस साथ पटकने के लिए मोदी जी ने, इन असोसिएशन विद अमित शाह, यह फैसला लिया कि भारत से भगवा रंग को ही गायब कर दिया जाएगा।

मोदी जी ने ऑपइंडिया को दिए गए एक अप्रकाशित एवम् अप्रचारित इंटरव्यू में बताया, “जब मीटिंग चल रही थी तो मैंने बीच में ही कहा अगर भगवा रंग ही खत्म कर दिया जाए तो ये लोग किस बात पर घेरेंगे? फिर मैंने मीटिंग में मौजूद लोगों को कहा कि ये तो देशहित का सवाल है क्योंकि अगर भगवा वाला मुद्दा गायब हो जाएगा तो हो सकता है विपक्ष अपनी जिम्मेदारी भी निभाने लगे। तो राजनाथ सिंह जी ने बिना कड़ी निंदा किए कहा, ‘वाह मोदी जी वाह, एक ही दिल है कितनी बार जीतोगे।’ फिर मैंने उनको बताया कि डिफेंस से आगे आपके लिए जगह नहीं है, चिल कीजिए। आप बताइए, उन्हें चिल करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए।”

कैसे हटाया जाएगा भगवा रंग

उच्चस्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया कि शुरुआत तो अजय देवगन से की जाएगी क्योंकि उन्होंने देश के हर व्यक्ति की जुबाँ केसरी करने की कसम खा रखी है। गुप्त सूत्रों ने बताया है कि अब से विमल गुटखा (सॉरी, पान मसाला -एक आँख वाली स्माइली) अपने विज्ञापनों में ‘जुबाँ हरी हरी’ कहेंगे और अजय देवगन के मुँह से हरे रंग का द्रव गिरता नजर आएगा। साथ ही, राजस्थानियों का ‘केसरिया बालम’ अब ‘हरिया बालम’ या ‘करिया बालम’ के नाम से पधारने को कहा जाएगा। ऐसी सारी ग़ज़लों को उनके गायकों की कब्रों पर बैठ कर कोक स्टुडिओ वालों से रिकॉर्ड कराया जायेगा।

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पूरे देश में पुलिस को कहा गया है कि आने वाले दिनों में रातों-रात छापे मार कर केसरिया, भगवा, नारंगी, हल्का भगवा, बहुत हल्का भगवा, एकदम हल्का भगवा, गहरा भगवा, बहुत ज़्यादा गहरा भगवा आदि रंग बनाने वाले कारखानों से रंग जब्त कर लें। उन्हें या तो फेंक दिया जाएगा या फिर उनमें काला रंग मिला कर कोई और रंग बनाया जाएगा ताकि यह न कहा जाए कि मोदी सरकार ने गरीब फैक्ट्री वाले का काम खराब कर दिया।

आगे बताया गया कि नारंगी के फलों को पकने से पहले ही तोड़ लिया जाएगा ताकि वो बाहर से हरे और भीतर से सफेद ही दिखें और देश की सेकुलर फैब्रिक टाइट बनी रहे। नागपुर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय शिफ्ट करके वायनाड कर दिया जाएगा और उनके झंडे का रंग गहरा हरा होगा जो देश की हरियाली और किसानों की फसलों से प्रेरित होगा। साथ ही, संघ की एक शाखा देवबंद में भी स्थापित की जाएगी।

इन्द्रधनुष देखने के लिए दिए जाएँगे इसरो प्रदत्त चश्मे

मीटिंग के दौरान किसी ने याद दिलाया कि इन्द्रधनुष के ‘बैनीआहपिनाला’ में जो ‘ना’ है, वो तो नारंगी के लिए है, उससे कैसे निजात पाई जाएगी। इस पर गिरिराज सिंह जी ने कहा कि बारिश बंद करा दी जाएगी, तो इन्द्रधनुष बनेगा ही नहीं। लोगों ने देर तक उन्हें देखा और किसी ने कुछ नहीं कहा। फिर किसी ने सुझाया कि सरकार इसरो से कह कर ऐसे चश्मे बनवाए जिसे पहनने के बाद नारंगी रंग हरे जैसा दिखे। उसके बाद पाठ्यक्रम में भी बदलाव किए जाएँगे ताकि बच्चों को पता ही न चले कि इन्द्रधुनष में छठा रंग कौन सा होता है।

तिरंगा अब होगा दोरंगा

इसी बात पर जब भाजपा का थिंकटैंक, जो आप मानें या न मानें, अस्तित्व में है, विचार करते-करते इस बात पर आया कि भारत का झंडा भी तो एक तिहाई केसरिया है, उसका क्या किया जाए! बात देशहित की थी क्योंकि विरोधियों को सिवाय सैफ्रनायजेशन के कुछ सूझ नहीं रहा था तो सुझाव दिया गया कि संविधान संशोधन के ज़रिए झंडा बदल दिया जाएगा।

किसी ने कहा कि झंडे में से केसरिया हटा दिया जाएगा तो झंडा पतला हो जाएगा, फिर सुझाव दिया गया कि नीचे के हरे रंग को ही ऊपर भी रख लिया जाएगा ताकि सिमेट्री भी बरकरार रहे। साथ ही, हरा तो वैसे भी सेकुलर कलर है, तो आसानी से राज्यसभा और लोकसभा में भी विरोधी पार्टयों के सासंदों से स्वीकृति मिल जाएगी, ऐसा माना गया।

भाजपा समर्थकों ने कहा ‘ये होती है असली राष्ट्रवादी सरकार’

भाजपा के समर्थकों ने लोकसभा चुनाव के बाद इस कदम को नोटबंदी और जीएसटी सदृश राष्ट्रवादी कदम बताते हुए खुशी की लहर का संचार फील किया और मुख्यालय के बाहर लड्डू बाँटते एवं डीजे पर नाचते दिखाई दिए। इसकी विशेष कवरेज एनडीटीवी के महान पत्रकार रवीश कुमार ने की लेकिन वो आदतानुसार बहुत ही नाखुश दिखे। हमने उनसे बिना पूछे ही अंदाजा लगा लिया कि वो इस बात से नाराज होंगे कि भाजपा नेता तो छोड़िए, भाजपा समर्थक भी उनके मुँह नहीं लगना चाहते।

देवलसारी, गढ़वाल, से पैदल चल कर नाचने आए आशीष नौटियाल नामक एक समर्थक ने मुझसे निजी बातचीत करते हुए चुपके से बताया, “देखिए अजीत जी, मोदी जी जो हैं वो एक विजनरी आदमी हैं। विजनरी का मतलब होता है दूरद्रष्टा। उन्हें पता है कि राष्ट्रीय झंडे से तो कॉन्ग्रेसियों को वैसे भी कुछ लेना-देना है नहीं, उन्होंने बस झंडे के नाम पर देश को लूटा ही है। लोगों को पागल बनाने के लिए इन्होंने पार्टी के झंडे तक में तिरंगा घुसा दिया और कालांतर में बैलों से लेकर गाय-बछड़ा तक करते रहे हैं। इसलिए अमित चाणक्य शाह ने ये मास्टरस्ट्रोक खेला है कि ये जो भगवाकरण-सैफ्रनाइजेशन चिल्लाते हैं, इनसे ये भी छीन लिया जाए।”

एक लड्डू मेरी तरफ बढ़ा कर, मेरे लेने से पहले ही खुद खाते हुए, नौटियाल जी ने बात जारी रखी, “विरोधी बस किसी भी बात से विरोध करना चाहते हैं। इसलिए, इनके बेकार वाले मुद्दों को खत्म कर दिया जाए तो क्या पता ये पानी, सड़क, बिजली जैसे मुद्दों पर बात करने लगें। इसी कारण मुझे मोदी जी बहुत प्रिय हैं।”

जल्द ही लागू हो जाएगी यह योजना

सूत्र बताते हैं कि यह योजना जल्द ही लागू की जाएगी ताकि विपक्षी पार्टियों की नौटंकी बंद हो और राष्ट्रीय मुद्दों पर बात हो सके। कपड़ों की मिलों के मालिकों को कहा गया है कि या तो रंग फेंक दें या फिर अमित शाह पर्सनली उनके रंग के हौज में काला रंग फेंक कर भाग जाएँगे। बच्चों की किताबों पर अब भगवा से मिलते जुलते रंग की जिल्द नहीं लग सकेगी और टैंग से लेकर ऑरेंज फ्लेवर के ग्लूकोन-डी टाइप के पेय पदार्थ नींबू फ्लेवर में ही आएँगे।

आगे जैसे-जैसे हमें सूचना मिलेगी, हम आप तक पहुँचाते रहेंगे।

जय हिन्द, जय भारत, जय भारती

अजीत भारती: पूर्व सम्पादक (फ़रवरी 2021 तक), ऑपइंडिया हिन्दी