पादरी ‘पुरुष वेश्याओं’ का भी लेते हैं सहारा, वेटिकन चर्च में 80% से ज़्यादा हैं समलैंगिक

चर्च के समलैंगिकता पर दोहरे रवैये का मामला एक लेखक अपनी किताब के माध्यम से सामने लेकर आए हैं। इस किताब में बताया गया है कि वेटिकन के पुजारियों का एक बड़ा प्रतिशत समलैंगिक है, जिनमें से कुछ स्थाई सम्बन्धों में हैं और अन्य ‘पुरुष वेश्याओं’ का सहारा लेते हैं। यह चौंकाने वाला ख़ुलासा लगभग 570 पन्नों की एक पुस्तक में किया गया है, जिसे अगले सप्ताह चर्च में यौन शोषण के विषय पर होने जा रहे पोप शिखर सम्मेलन में प्रकाशित किया जाएगा।

एक रिपोर्ट के अनुसार, इस पुस्तक में कैथोलिक चर्च के समलैंगिक सदस्यों से कथित गुप्त संबंधों, पुरुष वेश्याओं और चर्च के ऐसे वरिष्ठ अधिकारियों के दोहरे रवैये का ज़िक्र किया गया है, जो अक्सर कठोरता से समलैंगिकों के ख़िलाफ़ होने का दवा करते हैं।

फ़्रांसीसी पत्रकार फ्रेडरिक मार्टेल की नई किताब, ‘इन द क्लॉज़ेस्ट ऑफ द वेटिकन’ का दावा है कि चर्च के पुजारी (प्रीस्ट) जितने अधिक समलैंगिक विरोधी होंगे, उनके समलैंगिक होने की संभावना उतनी ही अधिक होगी। यह किताब 20 भाषाओं में 8 देशों में प्रकाशित की जाएगी।

कैथोलिक प्रकाशन द्वारा दी गई समीक्षा के अनुसार, हालाँकि किताब में शामिल किए गए सभी पुजारी (प्रीस्ट) अपने यौन प्राथमिकताओं में रूचि नहीं रखते, जबकि बहुत से लोग ऐसे हैं, जो अवैध रूप से ‘फादर’ के साथ सम्बन्ध बनाकर रह रहे हैं, वेश्यावृत्ति करने वाले पुरुषों की मदद ले रहे हैं और कुछ लोग सामान्य रूप से ही एक दूसरे के साथ संबंधों में जुड़े हुए हैं।

मार्टेल समलैंगिक हैं और फ़्रांसीसी सरकार के पूर्व सलाहकार थे। 4 साल तक 1,500 से अधिक लोगों के साथ साक्षात्कार करने के बाद ही फ्रेडरिक मार्टेल ने यह दावा अपनी किताब में किया है। इसके लिए उन्होंने 200 पुजारी, 41 कार्डिनल और 52 बिशप, राजनयिक अधिकारी, गार्ड और अन्य वेटिकन में रहने वाले अन्य  लोगों से जानकारी हासिल की।

प्रकाशकों ने मार्टेल की इस पुस्तक को ‘वेटिकन के अंदर भ्रष्टाचार और पाखंड का चौंकाने वाला वर्णन’ बताया है। किताब में एक यह भी ख़ुलासा किया गया है कि स्वर्गीय कोलंबियाई कार्डिनल अल्फोंसो लोपेज भी समलैंगिक वेश्याओं का इस्तेमाल करते थे, जबकि वो चर्च के समलैंगिकों के ख़िलाफ़ रहने वाले विचारों का समर्थन करते थे।

यह पुस्तक 21 फ़रवरी को पोप फ़्रांसिस के यौन शोषण पर होने वाले सम्मेलन के दिन ही प्रकाशित की जानी है। हालाँकि, यह पुस्तक कैथोलिक चर्च की बाल यौन शोषण की समस्याओं पर प्रकाश नहीं डालती है।

पोप फ़्रांसिस ने दिसंबर में कहा था, “समलैंगिकता का मुद्दा एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है, जिसे पुजारी (प्रीस्ट) पद के उम्मीदवारों के लिए शुरू से ही अच्छी तरह से ध्यान में रखा जाना चाहिए।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया