जब अयोध्या में मिठाई बाँट रहे किसान, राम मंडप सजा रहे अखिलेश यादव, तब ऑपइंडिया के सवालों से क्यों भाग खड़ा हुआ बाबरी का पैरोकार इकबाल

मथुरा और मुन्नन खाँ का नाम लेते ही क्यों भागने लगे इकबाल अंसारी (बाएँ) जबकि खुद को धन्य बता रहे हैं सरदार गुरमीत सिंह

अयोध्या में सोमवार (22 जनवरी, 2024) को भगवान राम की प्रतिमा विधि-विधान से उनके निर्माणाधीन मंदिर के गर्भगृह में स्थापित कर दी गई। इस अवसर पर देश-विदेश के अति विशिष्ट हस्तियों की मौजूदगी मंदिर परिसर में रही। दूसरी तरफ अयोध्या नगर की सीमाओं में लोगों का उत्साह अपने चरम पर था। देश के कोने-कोने से आए लोगों ने भगवान राम के प्रति अपनी श्रद्धा भिन्न-भिन्न रूपों में प्रकट की। ग्राउंड पर मौजूद ऑपइंडिया की टीम ने इनमें से कुछ लोगों से बात की।

मुन्नन खाँ और मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि की बात सुन कर भागने लगे इक़बाल अंसारी

जब भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा में 1 दिन बचा था, तब ऑपइंडिया ने अदालत में बाबरी का खानदानी पक्षकार इक़बाल अंसारी से कुछ सवाल दागे। वह श्रीराम अस्पताल के पास मीडिया को इंटरव्यू दे रहा था। इक़बाल ने अयोध्या को भाईचारे वाली नगरी बताते हुए कभी हिन्दू-मुस्लिम विवाद न होने की बात कही। इसी दौरान हमने पूछा कि मुन्नन खाँ के बारे में आपका क्या कहना है जिस पर कारसेवकों के परिजन पुलिस की वर्दी पहन कर गोलियाँ बरसाने का आरोप लगा रहे हैं? हमारे इस सवाल को सुन कर इक़बाल अंसारी असहज हो गए और बोले, “वो सब हम नहीं जानते।”

इसी दौरान हमने अगला सवाल किया कि अगर भाईचारे की बात है तो क्या उसे मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर नहीं दिखानी चाहिए? इस सवाल के बाद इकबाल अंसारी ने तेज कदमों से भागना शुरू कर दिया। हम उनके साथ चलते हुए बार-बार अपने सवाल को दोहराते रहे। मौका देख कर इकबाल श्रीराम अस्पताल के अंदर बने एक लोहे के दरवाजे में घुस गए। उनके साथ चल रहे पुलिस के सुरक्षाकर्मी ने हमें आगे जाने से रोक दिया।

अयोध्या दर्शन सरदार गुरमीत और निहंग सुखदेव का सौभाग्य

ऑपइंडिया को प्राण प्रतिष्ठा के दौरान नयाघाट क्षेत्र में सरदार गुरमीत सिंह और निहंग सिख सुखदेव मिले। ये दोनों पंजाब के तरनतारन जिले से आए थे। इन्होंने बताया कि राम मंदिर बनने से वो बेहद खुश हैं और इस दौरान अयोध्या दर्शन उनका सौभाग्य है। गुरमीत के मुताबिक हिन्दू-सिख भाईचारा हमेशा से रहा है और उसी के चलते सरदारों ने अयोध्या में लंगर भी लगाया है। दोनों ने यह भी दावा किया कि राम की उनके मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से पंजाब में ख़ुशी की लहर है।

सरदार गुरमीत और निहंग सुखदेव सिंह

हमने पूछा कि हिन्दू और सिखों में दरार डालने की साजिश रचने वालों के बारे में उनका क्या कहना है? इस पर सरदार गुरमीत सिंह ने जवाब दिया, “ये वो लोग हैं जो चुनाव में हार जाते हैं। हारे लोग कोई न कोई खुराफात करते रहते हैं सभी लोग एक जैसे नहीं होते। कुछ गद्दार भी होते हैं।”

‘हम तो रामभक्त अखिलेश यादव, उनका पता नहीं’

राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से पहले जन्मभूमि के पास हमें इलेक्ट्रीशियन अखिलेश यादव मिल गए। वो भगवान राम के स्वागत मंडप में लाइटिंग आदि सजाने का काम कर रहे थे। अखिलेश यादव अयोध्या जिले के ही बाहरी इलाके में आने वाले मिल्कीपुर क्षेत्र के रहने वाले हैं। खुद को पक्का रामभक्त बताते हुए अखिलेश ने कहा कि वो मंदिर बनने से बेहद खुश हैं। उन्होंने ‘जय श्री राम’ का नारा लगाया। जब हमने उनसे समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के बारे में सवाल किया तो जवाब मिला, “उनका हमें नहीं पता।”

रामभक्त अखिलेश यादव

हम तो रामभक्त किसान, औरों का वो ही जानें

अयोध्या के लता मंगेशकर चौक पर हमें एक ट्रक के पास कुछ लोग जमा दिखे। जब हम पास गए तो पता चला कि किसानों की एक टोली वहाँ आ रहे श्रद्धालुओं को गुड़ बाँट रही थी। ट्रक पर ‘हिन्द मजदूर किसान समिति’ नाम से बैनर लगा था। सामने राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर पगड़ी पहने चंद्रमोहन की तस्वीर लगी थी। गुड़ बाँट रहे लोगों ने हमें बताया कि वो देश और राम के भक्त किसान हैं।

जब हमने दिल्ली को घेर कर हुए कथित किसान आंदोलन के बारे में उनसे पूछा तो उन्होंने कहा, “उनका वो ही जानें। हमारा उनका आपस में कोई वास्ता नहीं।” इस दौरान श्रद्धालुओं के साथ किसान ‘जय श्री राम’ के नारे भी लगा रहे थे। किसानों की यह टीम गुड़ बाँटने मेरठ और मुज़फ्फरनगर जिलों से आई थी।

श्रद्धालुओं को गुड़ बाँटते किसान

हर राज्य के कलाकार राम के अभिनय में

अयोध्या के तुलसी उद्यान में हमें एक नाट्य मंच पर अलग-अलग प्रदेशों के कलाकार दिखे। ये सभी किसी न किसी रूप में राम से जुड़े अभिनय कर रहे थे। इसमें कर्नाटक से आए कलाकारों में रावण बने पात्र ने ‘जय श्री राम’ का उद्घोष किया तो हनुमान ने गदा दिखा कर भगवान राम के दुश्मनों को चेतावनी दी। राजस्थानी कलाकारों में महिलाओं ने माँ सीता के उस संघर्ष को दिखाया कि कैसे उन्होंने अशोक वाटिका में अपनी गृहस्थी सजाई रही होगी।

इस संघर्ष में जंगल से लकड़ियाँ चुनना, फल आदि खोज कर लाना और पानी लेने नदी में जाना आदि काम शामिल था। राजस्थान के इन कलाकारों में भुट्टा खान भी शामिल थे जिन्होंने खुद को रामभक्त बताया। बकौल भुट्टा खान उन्हें लाखों रामभक्तों से भरी अयोध्या में सभी से सम्मान मिला।

कर्नाटक के कलाकार

हरियाणा से आए कलाकारों ने बताया कि उनके राज्य पर बजरंग बली की विशेष कृपा है इसीलिए वहाँ से पहलवान मेडल जीत कर जाते हैं। हरियाणा के कलाकारों ने भी राम के रूपों का अभिनय किया। उन्होंने बताया कि उनके कलाकारों में हिन्दू समाज की हर जाति के लोग हैं। ये लोग एक साथ रह कर काम करते हैं और एक साथ ही बैठ कर बिना किसी भेदभाव के खाना भी खाते हैं। सभी प्रदेशों से आई टीमों में एक खास बात ये थी कि उन्होंने सामूहिक रूप से स्वीकार किया कि उनके यहाँ महिला कलाकारों को श्रद्धालु सबसे अधिक सम्मान देते हैं।

मुस्लिम कलाकर भुट्टा खान

उज्जैन महाकाल मंदिर से पैदल चल कर आए 21 वर्षीय राज्यवर्धन

जब ऑपइंडिया की टीम अयोध्या के टेढ़ी बाजार इलाके में थी तब हमें एक युवक पैदल तेज कदमों से अयोध्या की तरफ बढ़ता दिखा। हमने उनका नाम पूछा तो उन्होंने परिचय राज्यवर्धन सिंह सिसोदिया के रूप में दिया। राज्यवर्धन ने बताया कि वो लगभग 13 दिसंबर, 2023 को ही अपने पैतृक जनपद उज्जैन से अयोध्या के लिए पैदल ही निकल पड़े थे। इस काम में राज्यवर्धन के परिजनों ने उनका उत्साह बढ़ाया। पीठ पर भगवा ध्वज बाँधे राज्यवर्धन ने कहा कि उनको अपने राम को देखने की बड़ी बेसब्री है।

उज्जैन से पैदल ही आ गए राजयवर्धन

राज्यवर्धन मैनेजमेंट का कोर्स कर रहे हैं। भविष्य में वो IAS बनना चाहते हैं। जब हमने पूछा कि रास्ते में कोई दिक्कत तो नहीं हुई तो इसके जवाब में उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में पुलिस का अपराधियों में इतना डर है कि कोई गलत आदमी आसपास भी नहीं फ़टका। राज्यवर्धन ने कहा कि आज या या भविष्य में कभी भी रामकाज करना होगा तो वो अपने सीने पर गोली खाने के लिए सबसे आगे खड़े मिलेंगे।

बलिदानी कारसेवकों का रथ 200 KM से खींच लाए वृद्ध हरिश्चंद्र

ऑपइंडिया की टीम को अयोध्या में रामघाट के पास एक वृद्ध मिले जो रथ को खींच रहे थे। लगभग 60 वर्ष की अवस्था वाले उन भगवाधारी वृद्ध का नाम हरिश्चंद्र विश्वकर्मा था। उन्होंने बताया कि वो रायबरेली जिले से लोहे का रथ ले कर अयोध्या के लिए निकले हैं। हरिश्चंद्र के एक पैर में चोट भी लगी थी। उनके रथ में ही उनके खाने-पीने और सोने का इंतजाम है। इस रथ पर कोठरी बंधुओं की तस्वीर बनी हुई थी जिन्हें मुलायम सरकार के आदेश पर सन 1990 में गोली मार दी गई थी।

हरिश्चंद्र विश्वकर्मा के मुताबिक वो महीने भर पहले रायबरेली से निकले थे और अयोध्या पहुँच कर उनकी यात्रा के साथ जीवन भी सफल हुआ।

बलिदानी कारसेवकों की तस्वीरों वाला रथ खींच कर लाए हरिश्चंद्र विश्वकर्मा

इन सभी के अलावा जगह-जगह पर भंडारे आयोजित किए गए थे जिसमें बिना कोई भेदभाव या किसी का नाम आदि पूछे बिना खाना परोसा जा रहा था। सभी यहाँ एक स्वर में एक साथ ‘भगवान राम की जय’ के नारे लगा रहे थे। कई लोग रामायण काल के पात्रों का वेश रख कर सड़कों पर घूमते दिखे।

राहुल पाण्डेय: धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।