शिक्षित व्यक्ति समझदार ही हो- ये हर बार जरूरी नहीं होता। कई दफा पढ़े-लिखे इंसान भी ऐसी जाहिलियत भरी बातें करते हैं कि मानवता भी स्तब्ध रह जाए।
अशोक स्वैन इस बात का बिलकुल सटीक उदहारण हैं। जो साबित करते हैं कि कुत्सित मानसिकता वाला व्यक्ति केवल किताबों के सहारे पद को हासिल करना जानता है, उसका संवेदनाओं से कोई सरोकार नहीं होता।
एक ओर जहाँ अमिताभ बच्चन के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद पूरा देश उनकी सलामती की कामनाएँ कर रहा है। प्रशंसक हों या आलोचक उन्हें जल्द ठीक होने का संदेश दे रहे हैं। वहीं स्वीडन की उपसला यूनिवर्सिटी में पीस एंड कॉन्फ्लिक्ट के प्रोफेसर अशोक स्वैन उन्हें मोदी का चमचा कहकर उनपर अपनी कुँठा निकाल रहे हैं।
https://twitter.com/ashoswai/status/1282298173537562625?ref_src=twsrc%5Etfwअशोक स्वैन अपने ट्वीट में अमिताभ बच्चन के लिए लिखते हैं- “ये मोदी चमचा, कोरोना के हल्के लक्षण पाए जाने के बाद अस्पताल में भर्ती हुआ है। इसने आयुष मत्रालय की voodoo दवाइयाँ क्यों नहीं ली। ये धोखेबाजी बिलकुल ऐसी है, जैसे भाजपा नेता कैंसर होने पर सीधे अमेरिका भागते हैं। मगर, बेवकूफों को गौमूत्र पीने को कहते हैं।”
बात इस अकेले ट्वीट की नहीं है। स्वीडन के इस प्रोफेसर को अमिताभ बच्चन से या उनकी बॉलीवुड यात्रा से कोई लेना-देना नहीं है। उनका गुस्सा तो मोदी सरकार और हिंदुओं पर है, जिसके चलते वह सदी के महानायक को भी नहीं बख्शना चाहते और उनके काम को नजरअंदाज करके सिर्फ़ उन्हें मोदी के प्रशंसक के तौर पर घेर रहे हैं।
अशोक स्वैन क्या है, इसके लिए आपको उसके कुछ अन्य ट्विट्स देखने होंगे। जो बताते हैं कि आखिर मोदी सरकार की नीतियों की तारीफ करने वाले अमिताभ बच्चन को हुआ कोरोना उनके लिए संवेदना व्यक्त करने का मसला न होकर जहर उगलने का विषय क्यों है? अशोक के ट्विटर से गुजरते हुए मालूम चलता है कि उन्हें केवल हिंदुओं से नफरत नहीं है। बल्कि चीनियों के प्रति भी उनके मन में अपार प्रेम है।
इसके अलावा उन्हें मोदी सरकार के एक अन्य प्रशंसक व बॉलीवुड एक्टर अनुपम खेर से भी इतनी दिक्कत है कि वो तबलीगी जमात पर उठे सवालों को काउंटर करने के लिए अनुपम खेर की माता व भाई के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर निशाना साधने से नहीं चूकते और पूछते हैं कि आखिर ये लोग कौन सी जमात से हैं।
https://twitter.com/ashoswai/status/1282277595275579393?ref_src=twsrc%5Etfwअशोक स्वैन के जहर उगलने का सिलसिला इतने पर नहीं थमता। वह आगे छत्रपति शिवाजी का अपमान करने वाली कॉमेडियन के प्रति अपनी सहानुभूति दिखाते हैं। लेकिन अर्णब गोस्वामी समेत भारतीय पत्रकारों के प्रति उनके मन में कुँठा साफ नजर आती है। वो स्वीडन में बैठे-बैठे विकास दुबे के एनकाउंटर को स्पष्ट हत्या बताते हैं और भगवा को आतंक का पर्याय बताने में कोई कसर नहीं छोड़ते।