पर्दे का विदेशी 007 हिट, पानी का स्वदेशी 007 फ्लॉप: मोतीलाल और जवाहर लाल नेहरू के नाम से क्या है 007 का रिश्ता

पर्दे वाले 007 और दाएँ नेहरू पिता-पुत्र

007! इसका जिक्र होते ही आपके दिमाग में क्या कौंधता है? एक विदेशी फिल्म सीरिज का वो नायक जो पर्दे पर जेम्स बांड के नाम से छा जाता है। लेकिन, 007 से आपको भारत का रिश्ता पता है? चलिए सवाल और आसान करते हैं। इससे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और उनके पिता मोती लाल नेहरू का क्या रिश्ता है? आप जानकर हैरान रह जाएँगे कि जेम्स बांड की याद दिलाने वाला 007, भारत में परिवारवाद की कॉन्ग्रेसी राजनीति से जुड़ा है।

आगे बढ़ने से पहले 100 से ज्यादा जहाजों को बना चुकी भारत सरकार के स्वामित्व वाली कोच्चि शिपयार्ड लिमिटेड (Cochin Shipyard) के बारे में जानते हैं। यह कंपनी अब तक के सफर में कई उपलब्धियाँ हासिल कर चुकी है। सन् 1972 से शुरू हुई इस कंपनी का उद्देश्य प्रौद्योगिकी उन्नयन और क्षमता वृद्धि के माध्यम से जहाज निर्माण और जहाज मरम्मत गतिविधियों को बनाए रखना रहा है। इस कंपनी ने सन् 1981 में अपने पहले जहाज रानी पद्मिनी (001 M.V Rani Padmini) की डिलीवरी दी थी। इसे बनाने से लेकर डिलिवर करने तक में 66 माह लगे थे। 

इसके बाद समय बदला। क्षमता में विकास हुआ और अगला शिप 002 M.V Ratna Deep सिर्फ 45 माह में ही बनाकर डिलिवर कर दिया गया। ऐसे ही M.V. Maratha Mission, MV Maratha Majesty और M.V. AP.J Shalin नामक शिपों को भी तैयार किया गया। 1989 तक शिप बनाने के बाद कोच्चि शिपयार्ड ने सन् 1990 में ऑयल टैंकर को बनाकर एक नई उपलब्धि हासिल की। कोच्चि शिपयार्ड ने 43 महीनों के अंदर देश के पहले ऑयल टैंकर को दुनिया के सामने पेश किया। पंचादी वेंकटरमण ( Panchadi Venkataramana) की वर्कर पार्टिसिपेशन मैनेजमेंट नामक किताब के पृष्ठ नंबर 113 में बताया गया है कि इस ऑयल टैंकर को कंपनी ने मार्च 1987 में बनाना शुरू किया था और नवंबर 1989 में जाकर ये पूरी तरह तैयार हुआ।

साभार: पंचादी वेंकटरमण की वर्कर पार्टिसिपेशन मैनेजमेंट नामक किताब

इसके बाद इसकी डिलीवरी में करीबन एक साल का वक्त लगा था और 9 अक्टूबर 1990 को आखिरकार भारत के पास पहला स्वदेशी ऑयल टैंकर था। पर आपको शायद ही याद हो कि देश में निर्मित इस पहले ऑयल टैंकर का नाम क्या था?

आगे बढ़ने से पहले यह ध्यान रखें कि कोच्चि शिपयार्ड के अस्तित्व में आने से लेकर पहले ऑयल टैंकर तक के सफर में 18 साल लगे। सन् 1972- जब कंपनी की शुरुआत हुई, 1981 जब कंपनी ने पहला शिप तैयार किया और 1990-जब कंपनी ने पहला ऑयल टैंकर बनाकर इतिहास रचा… ये वही काल है जो भारतीय राजनीति में कॉन्ग्रेस की पैठ के लिए याद किए जाते हैं। ये जानकारी क्यों दी गई है इसका अंदाजा आपको आगे लगेगा।

जब 1981 में पहला शिप आया तो उसका नाम रानी पद्मिनी के नाम पर पड़ा। लेकिन एक दशक बाद हालात बदल गए और परिवारवाद की परिभाषा एक नए ढंग से लिखने का प्रयास शुरू हुआ। नतीजन सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी ने 2 साल के भीतर दो ऑयल टैंकर दिए और दोनों का नाम नेहरू परिवार से जुड़े लोगों पर रखे गए और इन दोनों को Shipping Corporation of India बॉम्बे, ने खरीदा।

कोच्चि शिपयार्ड द्वारा भारतीय जहाजरानी निगम को सबसे पहले 1990 में जो ऑयल टैंकर सौंपा गया था उसका नाम 007.M.T. Motilal Nehru था। इसकी क्षमता  94540 DWT (Dead Weight Tons) थी। इसके बाद 1992 में दूसरा टैंकर तैयार हुआ, वो भी मात्र 35 माह के भीतर (नवंबर 1989-फरवरी 1992) और उसका नाम जवाहर लाल नेहरू (007.M.T. Jawaharlal Nehru) के नाम पर रखा गया।

मोतीलाल नेहरू के नाम पर बना ऑयल टैंकर

अब एक के बाद एक बने ऑयल टैंकरों को ‘नेहरू उपनाम’ ही क्यों दिया गया, इसके अलग कारण होंगे। लेकिन ये तो जाहिर सी बात है कि जब पहली दफा भारत सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी ने एक ऑयल टैंकर को निर्मित करदेश को सौंपा होगा तो ये अपने आप में उपलब्धि मानी गई होगी। हालाँकि, इनमें क्या खामियाँ थीं, इनका पता बाद में चलना शुरू हुआ। जैसे कई रिपोर्ट्स में शिकायत हुई कि ये सिंगल हल और नॉन क्वॉयल्ड हैं और केवल तटीय क्षेत्रों में कच्चे तेल को लाने-ले जाने के लिए उपयुक्त हैं। अंतत: SCI ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को इसकी जानकारी देते हुए इसे बेच दिया।

मौजूदा जानकारी के अनुसार क्रूड ऑयल टैंकर MT. Motilal Nehru को शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने 12 दिसंबर 2013 को बेचा था। 2013-14 की शिप इंडिया वार्षिक परफॉर्मेंस रिपोर्ट में भी इसकी खामियों का जिक्र है। इसमें लिखा था कि मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू ऑयल टैंकर Single Hull और Non-coiled tanker केवल तटीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त थे। समय के साथ आई खामियों को देखते हुए  MT Motilal Nehru को हटा दिया गया। सिंगल हल (एकल पतवार) वाले टैंकरों को कोई मार्केट उपलब्ध नहीं है।