सेना को सलाम: पत्थर खाकर भी चलाते हैं गुडविल स्कूल, 100% बच्चे 10वीं में पास, हिज़्बुल नाराज़

जम्मू कश्मीर के बच्चों की शिक्षा-दीक्षा के लिए भारतीय सेना कर रही प्रयास

जम्मू कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा चलाए जा रहे आर्मी गुडविल स्कूलों का पासिंग पर्सेंटेज 100% रहा है। सोमवार (मई 6, 2019) को सीबीएसई ने दसवीं के परीक्षा परिणाम जारी किए। बता दें कि राज्य में कुल ऐसे 43 गुडविल स्कूल संचालित किए जाते हैं, जिनमें से 3 सीबीएसई से सम्बद्ध हैं। राजौरी स्थिति गुडविल स्‍कूल के छात्र हित्‍ताम अयूब ने 94.2% अंक पाकर टॉप किया है। जम्मू कश्मीर में संचालित किए जा रहे इन गुडविल स्कूलों में 15,000 से भी अधिक छात्रों की शिक्षा-दीक्षा हो रही है। इनमें से अधिकतर जम्मू कश्मीर एजुकेशन बोर्ड स जुड़े हुए हैं। भारतीय सेना के अथक प्रयासों के कारण ये स्कूल अशांति के दौर में भी खुले रहते हैं व यहाँ पढ़ाई-लिखाई पर कोई असर नहीं पड़ता।

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इन गुडविल स्कूलों से काफ़ी प्रतिभावान छात्र भी निकल कर सामने आए हैं। इनमें से एक छात्र ताजमुल इस्लाम ने किक-बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीत कर राज्य और स्कूल का नाम रोशन किया था। 2017 में कश्मीरी अलगाववादियों ने इन स्कूलों में दी जा रही शिक्षा को आड़े हाथों लिया था। अलगाववादी सैयद अली शाह गिलानी ने कहा था कि ये संस्थान कश्मीरी छात्रों को अपने धर्म एवं संस्कृति से विमुख कर रहे हैं। उन्होंने अभिभावकों को गुडविल स्कूलों को नज़रअंदाज़ करने की सलाह दी थी। गिलानी ने कहा था कि थोड़े फायदों के लिए हम अपनी अगली पीढ़ी को गँवा रहे हैं। गिलानी ने कहा था, “एक देश जो आज़ादी के लिए लड़ रहा है, वो कब्जेदारों को अपने बच्चों की देखरेख करने की इज़ाज़त नहीं दे सकता।” यह अलग बात है कि खुद गिलानी के सभी बच्चे शानदार शिक्षा पाकर जीवन के हर सुख-सुविधा का आनंद उठा रहे हैं।

बता दें कि कश्मीरी स्कूल और शिक्षा हमेशा से अलगाववादियों व आतंकियों के निशाने पर रहे हैं। 2016 में इनके द्वारा फैलाई गई अशांति के कारण कई सरकारी व प्राइवेट स्कूल 6 महीने तक बंद रहे थे लेकिन फिर भी गुडविल स्कूल चलते रहे थे। 2013 में भी गिलानी ने गुडविल स्कूलों के विरुद्ध ज़हर उगला था। गिलानी ने 2013 में कहा था कि सेना द्वारा चले जा रहे सद्भावना स्कूलों में सनक और बेहूदगी फैलाई जा रही है, जिसे बंद किया जाना चाहिए। इधर गुडविल स्कूलों के अच्छे परफॉरमेंस से ख़फ़ा हिज़्बुल मुजाहिदीन ने छात्रों के विरोध में पोस्टर्स चिपकाएँ हैं और कहा है कि ऐसा नहीं चलेगा।

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2016 में भारतीय सेना ने घाटी में स्कूल चलो अभियान चलाया था, जिसमें छात्रों को स्कूलों में दाखिला लेने के लिए कहा जाता था और उन्हें मुफ़्त में कोचिंग की सुविधा भी दी जाती थी। इतना ही नहीं, इन छात्रों को पढ़ाई के अलावा खेल-कूद सहित अन्य क्रियाकलापों में भी बढ़-चढ़ कर भाग लेना सिखाया जाता है। इन स्कूलों में प्रशिक्षित एवं योग्य शिक्षक होते हैं। 1998 में 4 गुडविल स्कूलों के साथ शुरू हुए शिक्षा के इस पवित्र सफ़र को सेना नित नए आयाम दे रही है। इससे न सिर्फ़ 15,000 बच्चों को शिक्षा मिल रही है बल्कि 1000 शिक्षक एवं अन्य कर्मचारियों को भी रोज़गार मिला है। डिजिटल क्लासरूम, आधुनिक लाइब्रेरी और ढाँचागत सुविधाएँ इन स्कूलों की ख़ासियत है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया