मोदी सरकार द्वारा केंद्र सरकार के 312 कर्मचारियों को लापरवाही बरतने के चलते नौकरी से हटा देने की ख़बर सामने आई है। सरकार ने इन अधिकारियों को जबरन रिटायर किया है। नौकरी से हटाए गए इन अधिकारियों में कई वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं। वरिष्ठ अधिकारियों में ज्वॉइंट सेक्ट्रेरी रैंक के अधिकारियों को हटाया गया है। अलग-अलग स्तर की बात करें तो सरकार ने ग्रुप-ए के 125 और ग्रुप-बी के 187 अधिकारियों को जबरन रिटायरमेंट दिया है।
दरअसल, प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस बात की जानकारी डीएमके के सांसद ए राजा के सवाल पर दी। ए राजा ने लोकसभा में सवाल पूछा था कि सरकार ने कितने अधिकारियों को जबरन रिटायर किया और इनके ख़िलाफ़ किस आधार पर एक्शन लिया गया? इसी सवाल के जवाब में जितेंद्र सिंह ने बताया कि लागू अनुशासनात्मक नियमों के अंतर्गत सरकार के पास उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ़ कार्रवाई का अधिकार है।
https://twitter.com/AdityaRajKaul/status/1148854698075545600?ref_src=twsrc%5Etfwसरकार को पूरा अधिकार है कि वह सार्वजनिक हित को देखते हुए सत्यनिष्ठा की कमी और लापरवाही दिखाने वाले अफसरों पर मौलिक नियमों के प्रावधान (एफआर) 56 (j) (i), केंद्रीय सिविल सर्विस के नियम 48, पेंशन नियम 1972 और सिविल सेवा नियम 16 (3) (संशोधित) के तहत कार्रवाई कर सकती है।
अपने जवाब में केंद्रीय मंत्री सिंह ने कहा कि जुलाई 2014 से मई 2019 की अवधि में ग्रुप-ए के 36,756 और ग्रुप-बी के 82,654 अधिकारियों की समीक्षा की गई थी। इसके बाद समीक्षा के दौरान दोनों ग्रुप के 312 अधिकारी भ्रष्ट पाए गए। उन्होंने इस बात की भी जानकारी दी कि मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में आने के बाद कई अधिकारियों के ख़िलाफ़ एक्शन लिया गया है। कई विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन रिटायरमेंट पर जाने के लिए कहा गया है।
जबरन रिटायरमेंट दिए जाने वाले अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और अक्षमता के आरोप के अलावा कुछ पर यौन उत्पीड़न का भी आरोप है।