CM सिद्दारमैया का था कार्यक्रम, झंडा लगाने के लिए हम्पी के मंदिर में कर दिया ड्रिल: कर्नाटक सरकार को ASI का नोटिस

CM सिद्दारमैया के लिए ठोके गए हम्पी के विरूपाक्ष मंदिर के खम्भे में कील (साभार-न्यूज़ मिनट्स)

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कर्नाटक सरकार को हम्पी के विरूपाक्ष मंदिर में कील ठोकने को लेकर नोटिस जारी किया है। यह नोटिस 11 नवम्बर, 2023 को जारी किया गया है। दरअसल, यह मंदिर UNESCO द्वारा संरक्षित स्थान है और यहाँ बिना अनुमति के कोई भी छेड़छाड़ नियमों के विरुद्ध है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हम्पी के विरूपाक्ष मंदिर के एक खम्भे में यह कील कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के दौरे से पहले ठोकी गई। इसका उद्देश्य झंडा लगाना बताया जा रहा है। दरअसल, यह कील ठोकने के लिए ड्रिल मशीन का इस्तेमाल किया गया।

इस नोटिस में ASI के अफसर ने लिखा है, “श्री विरूपाक्ष मंदिर और इसका प्रांगण केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय के हम्पी क्षेत्र के कमालपुर अधिक्षेत्र की देखरेख के अंतर्गत आता है। हमें यह पता चला है कि आपने सीढ़ियों पर बैरीकेडिंग लगाकर इस मंदिर का उत्तरी प्रवेश द्वार बंद कर दिया है।”

आगे इस पत्र में कहा गया, “आपने श्रद्धालुओं के लिए एक अलग रास्ता बनाया और नए रास्ते को बनाने के लिए पाइप लगाए। इन पाइप को लगाने के लिए कील ठोके गए जो कि AMSR एक्ट, 2010 का स्पष्ट उल्लंघन है। इनमें किसी भी काम की अनुमति ASI से नहीं ली गई।”

दरअसल, हम्पी के कई मंदिरों की देखरेख केंद्र सरकार के हाथों में है और मंदिर में किसी भी बदलाव से पहले उसकी अनुमति लेनी होती है। यहाँ पर मात्र श्रद्धालुओं के प्रवेश का रास्ता ही नहीं बदला गया बल्कि मंदिर के ढाँचे से भी छेड़छाड़ की गई।

ASI ने स्पष्ट किया है कि उसके द्वारा संरक्षित किसी भी मंदिर या स्मारक में छेड़छाड़ पर 2 वर्ष की सजा या ₹1 लाख का जुर्माना लगाया जा सकता है। अब ASI के नोटिस का जवाब कर्नाटक सरकार के अंतर्गत स्मारकों की देखरेख करने वाला ‘कर्नाटक एंडोमेंट डिपार्टमेंट’ देगा।

गौरतलब है कि विरूपाक्ष मंदिर का निर्माण विजयनगर राज्य के राजा देव राय द्वितीय के निर्देश पर लक्काना दंदेषा जो कि एक सेनापति थे, ने करवाया था। इसका निर्माण 14वीं शताब्दी में पूरा हुआ था। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यह तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया