‘मेडल लाने पर बधाई देते हैं केजरीवाल, जरूरत पड़ने पर फोन भी नहीं उठाते’: कॉमनवेल्थ मेडल लाने वाली पहलवान का दर्द, बताया- आज तक दिल्ली CM से कुछ नहीं मिला

दिव्या काकरान ने दिल्ली सीएम से की शिकायत

कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में पहलवानी में देश को ब्रॉन्ज मेडल दिलाने वाली दिव्या काकरान को आज पूरा देश बधाई दे रहा है। इसी क्रम में दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी आगे आकर उन्हें सराहा है। दिव्या ने इस बधाई को पाने के बाद सोशल मीडिया पर अपना दर्द बयां किया।

दिव्या काकरान ने केजरीवाल को धन्यवाद देते हुए अपने ट्वीट में बताया कि कैसे मुख्यमंत्री कॉमनवेल्थ गेम्स में मेडल लाने के लिए सोशल मीडिया पर उनकी तारीफ कर रहे हैं, लेकिन हकीकत में उन्होंने दिव्या को आगे बढ़ाने के लिए कभी कोई मदद भी नहीं की।

उन्होंने एक ट्वीट में अरविंद केजरीवाल को कहा, “मेडल की बधाई देने पर दिल्ली के माननीय मुख्यमंत्री जी को तहे दिल से धन्यवाद। मेरा आपसे एक निवेदन है कि मैं पिछले 20 साल से दिल्ली मे रह रही हूँ। और यहीं अपने खेल कुश्ती का अभ्यास कर रही हूंँ। परंतु अब तक मुझे राज्य सरकार से किसी तरह की कोई इनाम राशि नही दी गई न कोई मदद दी गई।”

उन्होंने कहा, “मैं आपसे इतना निवेदन करती हूँ कि जिस तरह आप अन्य खिलाड़ियों को सम्मानित करते हैं जो दिल्ली के होकर किसी ओर स्टेट से भी खेलते है उसी तरह मुझे भी सम्मानित किया जाए।”

2018 में भी अरविंद केजरीवाल को दिव्या ने खरी-खरी सुनाई थी

ये पहली बार नहीं है जब दिव्या काकरान ने केजरीवाल से अपनी शिकायत की हो। साल 2018 में एशियन गेम्स में जब वह मेडल लेकर आई थीं तब भी उन्होंने सार्वजनिक तौर पर अपना दर्द जाहिर किया था। उन्होंने कहा था, “मैंने 19 साल की उम्र में देश को गोल्ड मेडल दिया। लगातार दिल्ली को 12 मेडल दिए। आपने कहा था कि मुझे भविष्य में मदद मिलेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एशियन गेम्स में जब गोल्ड मेडल लाई थी तब भी मेरे लिए कुछ नहीं हुआ था। आज मैं यहाँ आई हूँ। तब तो आप कर रहे हो लेकिन जो गरीब बच्चे हैं आप उनके लिए भी कुछ सोचें। आज तो आपने हम सबको यहाँ पर इकट्ठा किया है, पर जिस समय पर हमें जरूरत होती है उस वक्त हमारी सहायता कोई नहीं करता है।”

उन्होंने अरविंद केजरीवाल को कहा था, “भले ही यहाँ पर आप हमारे लिए कम कर दीजिए, लेकिन जिस समय हमें जरूरत होती है न अगर उस समय वो पूरी हो तो हम गोल्ड भी लाकर दे सकते हैं। आप सोचो मेरे कोच ने मेरे लिए कितना किया। मैं लकी हूँ कि उन्होंने मुझसे मेरी अपनी जॉब छुड़ाकर अखाड़े में पहलवानी करवाई है। मेरे गुरुजी मुझे बादाम तक देते थे। अब क्या है। आपने तब बुलाया है जब मैं मेडल लाई हूँ। आपने कहा था कि आप हमारी मदद करेंगे। मैंने कहा था कि एशियन गेम्स की तैयारी के लिए मुझे कुछ चाहिए। लेकिन उसके लिए नहीं हो पाया। मैंने लिखकर भी दिया पर किसी ने मेरा फोन भी नहीं उठाया।”

उन्होंने कहा था, “हम बेशक गरीब हैं पर हमारे अंदर कुछ करने की इतनी ज्वाला है कि उसे आप सोच भी नहीं सकते। मैं आज पानी में भी पहलवानी कर रही हूँ। अगर आप सपोर्ट करेंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा। मैं आज यहाँ पहुँची हूँ तो सब साथ दे रहे हैं। लेकिन जिस समय जरूरत थी न उस समय किसी ने सपोर्ट नहीं किया था। दिल्ली में बहुत कम मेडल आए हैं। हरियाणा में जाकर देखिए वहाँ कितने मेडल आए हैं। वहाँ उनके साथ समर्थन है। 3 करोड़ रुपए का बजट बहुत होता है। यहाँ तो अब तक जाकर 1 करोड़ रुपए का बजट आया है। नहीं तो 20 लाख मिलते थे। 20 लाख रुपए कुछ भी नहीं होता। हरियाणा को लेकर कहते हैं कि वहाँ दूध-दही है। वहाँ कुछ नहीं है। करने की ज्वाला हम में भी है। यहाँ भी दूध-दही है। पर हमारे पास सपोर्ट नहीं है।”

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया