कोरोना संकट में रेलवे बना लाइफ़लाइन: 10 लाख टन खाद्यान्न आपूर्ति, 3.2 लाख आइसोलेशन बेड की तैयारी, 1.4 लाख को हर रोज़ भोजन

कोरोना से लड़ने में रेलवे कर रही भरपूर सहयोग

भारतीय रेलवे एक ऐसा तंत्र है जिसके बिना आप देश को चलाने की कल्पना भी नहीं कर सकते। रेलवे केवल यातायात के लिए ही नहीं, बल्कि देश में जब गंभीर परिस्थितियाँ पैदा होती है तो देश सेवा में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। रेलवे की सेवा की तुलना किसी अन्य तंत्र से करना मुमकिन नहीं है। आज देश में कोरोना वायरस का प्रकोप फैला है जिससे देश पूरी तरह से बंद हो चुका है लेकिन इन गम्भीर व कठिन समय में भी रेलवे अपनी सेवाएँ देश को दे रहा है।

ज़रूरत के सामान की आपूर्ति: कोरोना वाइरस के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 दिन के लॉकडाउन का फ़ैसला लिया और आग्रह किया की लोग अपने घरों में रहे। अगर लोग घरों में रहेंगे तो सामान की ज़रूरत पड़ेगी, और ऐसे में जब देश की जनता अपने घरों में है तो उस समय भारतीय रेल अपने कार्य में लगी है।

रेलवे ने अपनी पैसेंजर ट्रेन तो बंद की लेकिन उसकी मालगाड़ी अभी भी चल रही है जो देश में ज़रूरी सामान की आपूर्ति को बनाए हुए है। लोगों की रोज़मर्रा का सामान जैसे सब्ज़ी, अनाज, दूध, चीनी, नमक आदि जैसी रोज़ उपयोग में आने वाली चीजों को देश के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुँचाने का काम भारतीय रेल कर रही है।

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने ट्वीट करके बताया, “कोरोना वायरस के खिलाफ जारी लॉकडाउन में भारतीय रेलवे ने अब तक रिकॉर्ड 352 रेक द्वारा @FCI_India के 10 लाख टन खाद्यान्न की आपूर्ति देश भर में की है।”

ज़रूरतमंदो को भोजन : जब लॉकडाउन किया गया तो उस समय हज़ारों ऐसे लोगों को खाना न मिलने की स्थिति उत्पन्न हुई जो अपने घरों से दूर थे या रोज़ कमाने वाले थे। इसके समाधान के लिए IRCTC ने अपने किचन में खाना बनाना शुरू किया और 28 मार्च तक क़रीब 1.4 लाख लोगों को वो हर रोज़ भोजन की व्यवस्था कर चुके है।

आइसोलेशन बेड : रेलवे भारत की लाइफ़लाइन है इसका सबसे मज़बूत उदाहरण यह है कि रेलवे ने अपने ख़ाली 5,000 कोचेज को मॉडिफाई करने का काम शुरु कर दिया है। जिससे अभी 80,000 आइसोलेशन बेड की व्यवस्था होगी। भारतीय रेल के इस बहुत बड़े एवं महत्वपूर्ण सहयोग से कोरोना वायरस से बचाव के लिए रेलवे 3.2 लाख आइसोलेशन बेड तैयार करने की तैयारी में जुट चुका है। जो कि देश के लिए एक बहुत बड़ी मदद साबित होगी।

PPE’s बनाने में सहयोग: एक अन्य कार्य में भारतीय रेल की प्रोडक्शन यूनिट ने कोरोना से बचाव के लिए जरूरी सामान जैसे मास्क और इन हाउस सैनिटाइजर बनाने का कार्य भी शुरू कर दिया है। जिससे जरूरी PPE’s की सप्लाई भी वह देश के लिए कर सकेंगे। रेलवे की प्रोडक्शन यूनिट ने अस्पतालों के बेड, वेंटिलेटर आदि बनाने का भी ज़िम्मा उठाया है।

हेल्पलाइन नम्बर 138 व 139 : यात्रियों की मदद के लिए रेलवे ने पहले ऑटमैटिक टिकट कैन्सिल करने का निर्णय लिया, जिससे खिड़की से ली गई टिकट को स्टेशन पर आए बिना ही रेलवे ऑटोमैटिक कैन्सिल कर देगा। इसके साथ ही रेलवे बोर्ड के कंट्रोल सेल ने हेल्पलाइन नंबर 138 भी जारी किया है, जिससे यात्री जानकारी के लिए सीधे अपने लोकल डिविज़न से कनेक्ट हो पाएँगे व यात्रा से जुड़ी कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। इसके अलावा रेलवे ने एक ईमेल आईडी  railmadad@rb.railnet.gov.in भी जारी किया है। यह नागरिकों को सूचना, सहायता, और जानकारी देने के लिये शुरू किया गया है। 139 नम्बर वैसे ही काम करेगा जैसे पहले करता था।

PM-Cares फंड में रेलवे का योगदान : ना केवल अपनी सेवाओं से बल्कि रेलवे आर्थिक स्तर पर भी देश की मदद कर रहा है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कोरोना वायरस जैसी आपदा से निपटने व भविष्य में ऐसी कोई स्थिति पैदा हो तो उसके लिए देश आर्थिक स्तर पर तैयार रहे इसके लिए डोनेशन कैंपेन चलाया। जिसके माध्यम से छोटी से छोटी रकम भी एक आम आदमी दान दे सकता है।

रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट करके बताया कि उन्होंने व रेल राज्य मंत्री ने अपनी एक महीने की सैलरी व रेलवे के 13 लाख कर्मचारियों व PSU के सभी कर्मचारियों ने अपनी 1 दिन की सैलरी PM-CARES फंड में देने का निर्णय किया। इसका कुल योगदान 151 करोड़ हुआ।

इसके अलवा रेलवे अपने अन्य कई प्रकार के सहयोग से भी कोरोना वायरस से लड़ने में मदद कर रहा है। RPF द्वारा कई जगह पर सब्ज़ी मंडियाँ लगवाई जा रही है जो कि पूर्ण रूप से सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करके लगाई गई है।

रेलवे दिल खोलकर कोरोना वायरस से लड़ने में सहयोग कर रहा है, जो कि तारीफ़ के काबिल है। UN ने भी रेलवे के आइसोलेशन बेड आइडिया की तारीफ़ की। एक बार फिर रेलवे ने साबित कर दिया की वह देश कि लाइफ़लाइन है। जिसके बिना देश में कई चीजों की व्यवस्था की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

Hitesh Bansal: Social Media | Writer| PR | Government policies |