मंकीपॉक्स वायरस को लेकर अलर्ट, एयरपोर्ट्स पर बढ़ाई गई सतर्कता: जानिए कैसे फैलता है, क्या हैं लक्षण और कितना घातक

मंकीपॉक्स को लेकर भारत सरकार ने जारी किए निर्देश (प्रतीकात्मक चित्र)

दुनिया के कई देशों में फैल रहे मंकीपॉक्‍स वायरस ने भारत सरकार की भी चिंता बढ़ा दी है। कोरोना के बाद भारत सरकार अब इस नए वायरस के संक्रमण को लेकर किसी भी तरह का जोखिम उठाने के लिए तैयार नहीं है और इसे ही देखते हुए केंद्र ने नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (NCDC) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) को अलर्ट जारी किया है। 

केंद्र सरकार ने NCDC और ICMR को मंकीपॉक्‍स की स्थिति पर करीब से नजर रखने के लिए कहा है। सरकार ने मंकीपॉक्‍स के लक्षणों वाले ट्रैवलर्स के सैंपल तुरंत पुणे की नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) में जाँच के लिए भेजने को भी कहा है।

मनसुख मांडविया ने दिया निर्देश

भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) को स्थिति पर कड़ी नजर रखने का निर्देश दिया है। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस संबंध में हवाई अड्डों और बंदरगाहों के स्वास्थ्य अधिकारियों को भी सतर्क रहने का निर्देश दिया है। 

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि हवाई अड्डों को निर्देश दिया गया है कि मंकीपॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा कर लौटे किसी भी बीमार यात्री को तुरंत आइसोलेट कर, नमूने जाँच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की बीएसएल-4 सुविधा वाली प्रयोगशाला को भेजे जाएँ। बता दें कि भारत में अभी तक मंकीपॉक्स से संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है।

जानिए क्या है मंकीपॉक्स वायरस?

मंकीपॉक्स एक दुर्लभ, आमतौर पर हल्के संक्रमण वाला वायरस है। मंकीपॉक्स जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाला वायरस है, जिसमें स्मॉल पॉक्स जैसे लक्षण होते हैं। हालाँकि यह इलाज की दृष्टि से कम गंभीर है। मंकीपॉक्स वायरस एक डबल-स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस है जो पॉक्स विरिडे परिवार के ऑर्थोपॉक्स वायरस जीनस से संबंधित है। यह आमतौर पर अफ्रीका के कुछ हिस्सों में संक्रमित जंगली जानवरों में पाया गया था। साल 1958 में पहली बार एक बंदर को अनुसंधान के लिए रखा गया था जहाँ पहली बार इस वायरस की खोज हुई थी।

वहीं इंसानों में पहली बार इस वायरस की पुष्टि साल 1970 में हुई थी। यूके की एनएचएस वेबसाइट के अनुसार, यह रोग चेचक के वंश का है, जो अक्सर चेहरे पर शुरू होने वाले दाने का कारण बनता है।

ऐसे होता है मंकीपॉक्स वायरस का संक्रमण

मंकीपॉक्स वायरस किसी संक्रमित जानवर के काटने से, या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ या फर को छूने से हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि यह चूहों, खरगोशों और गिलहरियों जैसे जानवरों के काटने से फैलता है। अगर आप ऐसे किसी जानवर का अधपका मांस खाते हैं जो मंकीपॉक्स से संक्रमित हो तो भी इस बीमारी के संक्रमण के चांसेस ज्यादा रहते हैं। इंसानों में यह वायरस बहुत ही तेजी से फैलता है। एक तरह से कह सकते हैं कि ये भी छुआछूत की तरह ही है। अगर आप संक्रमित व्यक्ति के कपड़े या बिस्तर का इस्तेमाल करते हैं तो आपको मंकीपॉक्स हो सकता है। छींकने और खाँसने से भी यह वायरस फैल सकता है।

मंकीपॉक्स के लक्षण क्या हैं?

यदि आप मंकीपॉक्स से संक्रमित हो जाते हैं, तो आमतौर पर पहले लक्षणों के सामने आने में 5 से 21 दिनों के बीच का समय लगता है। इनमें बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, कंपकंपी और थकावट शामिल हैं। इन लक्षणों का अनुभव करने के एक से पाँच दिन बाद आमतौर पर चेहरे पर दाने दिखाई देते हैं। दाने कभी-कभी चिकनपॉक्स के साथ भ्रमित होते हैं, क्योंकि यह उभरे हुए धब्बों के रूप में शुरू होता है जो तरल पदार्थ से भरे छोटे पपड़ी में बदल जाते हैं। लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह के भीतर साफ हो जाते हैं और पपड़ी गिर जाती है।

क्या मंकीपॉक्स से जान जा सकती है, क्या है इलाज?

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, मध्य अफ्रीका में अध्ययन, जहाँ लोगों के पास गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक कम पहुँच है। इससे ये पता चलता है कि यह रोग 10 संक्रमित लोगों में से एक के लिए जानलेवा हो सकता है। हालाँकि, ज्यादातर मरीज कुछ ही हफ्तों में ठीक हो जाते हैं। मंकीपॉक्स के लिए मौजूदा समय में कोई विशेष इलाज नहीं है। मरीजों को एक विशेषज्ञ अस्पताल में रहने की आवश्यकता होगी ताकि संक्रमण न फैले और सामान्य लक्षणों का इलाज किया जा सके।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया