ब्लड डिसऑर्डर से पीड़ित चंद्रशेखर आजाद ने किया रक्तदान, उसके डॉक्टर ने भी छिपाई बीमारी: AIIMS के पत्र में खुलासा

चंद्रशेखर आजाद उर्फ़ 'रावण' में ख़ून की बीमारी छिपा दूसरे का जीवन दाँव पर लगाया

हाल ही में एक्टिविस्ट प्रेरणा थिरुवाईपट्टी ने स्वास्थ्य मंत्रालय और एम्स दिल्ली को पत्र लिख कर ‘भीम आर्मी’ के मुखिया चंद्रशेखर आजाद उर्फ़ ‘रावण’ द्वारा हाल ही में किए गए रक्तदान की जाँच कराने को कहा था। प्रेरणा ‘ऑल इंडिया दलित यूथ एसोसिएशन’ की सदस्य हैं। उन्होंने दावा किया था कि आजाद ख़ून की एक ऐसी बीमारी से पीड़ित हैं, जिससे उन्हें रक्तदान नहीं करना चाहिए था। अब एम्स ने प्रेरणा को लिखित में बताया है कि चंद्रशेखर आजाद ने रक्तदान के समय बीमारी होने की कोई बात नहीं बताई थी

यहाँ तक कि चंद्रशेखर आजाद के डॉक्टर हरजीत भट्टी ने भी इस बारे में एम्स प्रशासन को कुछ नहीं बताया। एम्स दिल्ली ने बताया है कि चंद्रशेखर आजाद उर्फ़ रावण और डॉक्टर हरजीत सिंह भट्टी जैसे लोगों ने रक्तदान अभियान में स्वेच्छा से आकर ब्लड डोनेट किया। आजाद ने जानकारी दी कि उन्होंने पिछली बार 6 महीने पहले रक्तदान किया था और वो ऐसी किसी भी बीमारी से पीड़ित नहीं है, जिससे उनका ख़ून लेने वाले को कोई नुकसान पहुँचे।

एम्स ने इस पत्र में बताया है कि जब सोशल मीडिया पर इसे लेकर हंगामा हुआ कि चंद्रशेखर आजाद पॉलिसाइथीमिया से पीड़ित है। उनका ओपीडी कार्ड भी सोशल मीडिया पर हाइलाइट किया गया। इसके बाद एम्स ने उनके ख़ून को डिस्कार्ड कर दिया, अर्थात किसी अन्य व्यक्ति को वो ख़ून नहीं चढ़ाया जाएगा। अब लोग जवाब माँग रहे हैं कि चंद्रशेखर आजाद ने 6 महीने पहले कहाँ और किसे ब्लड डोनेट किया था?

प्रेरणा ने पिछले महीने ही एम्स और स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिख कर इस बीमारी के बारे में आगाह किया था। उन्होंने सोशल मीडिया में चंद्रशेखर का रक्तदान करते हुए फोटोज देख कर ये पत्र लिखा था। प्रेरणा द्वारा जाँच की माँग के बाद डॉक्टर प्रशांत शर्मा ने इस ओर ध्यान दिलाया था कि ऐसी बीमारी से पीड़ित लोगों को रक्तदान नहीं करना चाहिए। उन्होंने ट्विटर पर बताया कि ऐसा कर के आजाद ने दूसरे की ज़िंदगी दाँव पर लगा दी है।

उन्होने आजाद के ब्लड डिसऑर्डर की बात करते हुए कहा था कि उनका रक्तदान पब्लिसिटी स्टंट से ज्यादा कुछ भी नहीं था। उन्होंने आजाद का डॉक्टर होने के नाते डॉक्टर भट्टी को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था। जबकि अदालत में जमानत के लिए डॉक्टर भट्टी ने ही इस बीमारी के बारे में बताया था। न तो रक्तदान के समय डिक्लेरेशन में ये डाला गया और न ही भट्टी ने आजाद को रक्तदान करने से रोका।

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डॉक्टर भट्टी वही डॉक्टर हैं, जिन्हें न्यूज़लॉन्ड्री और बरखा दत्त जैसों ने लोगों को गुमराह करने के लिए एम्स का प्रतिनिधि बना कर पेश कर दिया था। वो एम्स में कार्यरत नहीं हैं लेकिन एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के हेड रहे हैं। जेएनयू हिंसा के समय उन्होंने बयान दिया था कि एबीवीपी के छात्रों के घाव दिखावटी हैं जबकि वामपंथी छात्रों को सही में चोट लगी है और वो घायल हुए हैं।

डॉ हरजीत सिंह भट्टी कॉन्ग्रेस पार्टी के अखिल भारतीय चिकित्सा सेल के राष्ट्रीय संयोजक हैं। पिछले साल फरवरी में उन्हें कॉन्ग्रेस पार्टी में इस पद पर नियुक्त किया गया था। भट्टी सिर्फ कॉन्ग्रेस पार्टी ही नहीं बल्कि भीम आर्मी के भी काफी नजदीकी हैं। वह न केवल आजाद के डॉक्टर हैं, बल्कि वो उनके समर्थक भी हैं, क्योंकि उन्हें हैशटैग #AzaadiForAzad के साथ ट्वीट पोस्ट करते हुए देखा गया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया