उम्मीद, इमोशन, मीम: सबसे बड़े IPO का सबसे खराब प्रदर्शन, पहले ही दिन निवेशकों को लगा ₹35000 करोड़ का चूना

पेटीएम के सीईओ विजय शेखर शर्मा *साभार: ET)

पेटीएम (Paytm) की मूल कंपनी One97 Communications भारत का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ लेकर आई है। गुरुवार (18 नवंबर 2021) को इसकी बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में लिस्टिंग हुई। इसको लेकर बाजार में पहले से काफी उत्साह दिख रहा था। जब पेटीएम के फाउंडर और सीईओ विजय शेखर शर्मा ( Vijay Shekhar Sharma) बोलने के लिए पोडियम पर आए तो इमोशनल हो गए। लेकिन पहले दिन ही कंपनी के शेयरों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा और निवेशकों के करीब 35 हजार करोड़ रुपए डूब गए। इसके बाद सोशल मीडिया में मीम की बाढ़ आ गई।

छोटे निवेशकों के लिए यह लिस्टिंग बेहद निराशाजनक रही, क्योंकि इसकी लिस्टिंग ने हाल में लिस्ट हुई अन्य न्यू ऐज कंपनियों की तरह उनको लाभ नहीं दे सकी। ज्ञात हो कि पिछले कुछ महीनों में लिस्ट हुई कंपनियों जैसे नायका, जोमाटो तथा अन्य ऐसी कंपनियों के शेयर की लिस्टिंग से छोटे निवेशकों को हुए लाभ से उनका उत्साह और विश्वास एक बार फिर से आईपीओ (IPO) पर वापस आता हुआ सा दिखाई दे रहा था।

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर Paytm की लिस्टिंग अपने इश्यू प्राइस यानी 2150 रुपए प्रति शेयर से करीब 9 प्रतिशत नीचे 1955 रुपए पर हुई। कंपनी के शेयर का दाम दोपहर तक और नीचे गिरकर अपनी लिस्टिंग के पहले दिन ही इश्यू प्राइस से लगभग 27.45 प्रतिशत नीचे तक गया। अपनी लिस्टिंग के दिन दोपहर तक शेयर का दाम 1582 रुपए तक गया था। तब शायद छोटे निवेशकों को यह अपेक्षा रही होगी कि शेयर बाद में कुछ रिकवर होकर अपने निचले स्तर से ऊपर बंद होगा। पर ऐसा हुआ नहीं और अंत में शेयर अपनी लिस्टिंग प्राइस यानी 1955 रुपए से 20 प्रतिशत नीचे गिरकर 1560 रुपए में सेलिंग फ्रीज हो गया।

इसी के साथ हाल में आए IPO से छोटे निवेशकों को होने वाले लाभ की कड़ी टूट गई। Paytm की ऐसी लिस्टिंग के पीछे अलग-अलग लोग अलग-अलग कारण बताएँगे। लेकिन सच यही है कि कंपनी के मैनेजमेंट की ओर से आईपीओ की प्राइसिंग महँगी रही। यही कारण था कि आईपीओ में पैसे लगाने को लेकर छोटे निवेशकों में उस तरह का उत्साह दिखाई नहीं दिया था, जैसा अन्य कंपनियों के आईपीओ को लेकर दिखा था। ऐसी लिस्टिंग के पीछे तमाम कारणों में मूल कारण रही कंपनी के वित्तीय आँकड़े और उसके बिजनेस के भविष्य को लेकर संदेह और धारणाएँ। कई वर्षों से कंपनी घाटे में जा रही है।

छोटे निवेशक ही नहीं बल्कि बाजार विशेषज्ञों के लिए सबसे बड़ी चुनौती रही है कंपनी के वैल्यूएशन के पीछे के कारणों को डिकोड करना। कंपनी अभी तक ऐसा बिजनेस और रेवेन्यू मॉडल नहीं दे पाई है जिसे उसके दीर्घकालीन योजनाओं का हिस्सा माना जाए। एक समय था जब Paytm के पास अपने बिजनेस क्षेत्र यानी डिजिटल पेमेंट स्पेस का काफी बड़ा हिस्सा था पर बाद में ऐसी और कंपनियाँ आईं जो डिजिटल पेमेंट स्पेस में Paytm के प्रतिस्पर्धा में उतरीं और आज उनके पास इस सेक्टर का काफी बड़ा हिस्सा है। नतीजा यह रहा कि डिजिटल पेमेंट स्पेस में Paytm का हिस्सा धीरे-धीरे कम हुआ है। दूसरी ओर कंपनी मैनेजमेंट अभी तक ऐसा कोई बिजनेस मॉडल देने में असफल रहा है जिसे देखकर छोटे निवेशक को कंपनी के भविष्य को लेकर विश्वास बढ़े।

कंपनी मैनेजमेंट सार्वजनिक तौर पर एक स्थायी बिजनेस और रेवेन्यू मॉडल देने की जगह बार-बार इस बात को मुख्य रूप से पेश करती रही है कि उसने जो सपना देखा उसे पूरा किया या आज उसके पास दुनिया भर के बड़े संस्थागत निवेशक हैं। लिस्टिंग के दिन भी कंपनी के सीईओ ने अपनी तमाम बातों में इसी बात को आगे रखा कि Paytm को देखकर और भी लोग प्रेरित होंगे और ऐसा कुछ करेंगे जो Paytm के मैनेजमेंट ने किया है। मैनेजमेंट को अपने बिजनेस मॉडल पर नहीं, बल्कि इस बात में गर्व है कि उसके पास कितने संस्थागत ब्लू चिप निवेशक हैं और कितने रिटेल निवेशक हैं।

पिछले कई महीनों में जिस तरह के आईपीओ आए हैं उसका असर शेयर बाजार पर साफ़ दिखाई देने लगा है। छोटे निवेशकों के हाथ से काफी पैसा निकल चुका है और अभी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) का आईपीओ आना बाकी है। ऐसे में इसका असर आने वाले समय में बाजार में लिक्विडिटी पर साफ़ दिखाई देगा। हाल में लिस्ट हुई कंपनियों के वैल्यूएशन और शेयर के दाम को अपने-अपने तरीके से सही साबित भले ही किया जा सकता है पर Paytm की ऐसी लिस्टिंग का बाजार पर असर दिखाई देगा और छोटे निवेशकों के लिए बाजार जोखिम बढ़ता हुआ नज़र आएगा।