13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का लोकार्पण करेंगे पीएम मोदी: देव दिवाली की तर्ज पर होगी रोशनी, शहर भर में बाँटे जाएँगे लड्डू

600 करोड़ रुपए की लागत से पूरा हुआ काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (साभार: बिजनेस स्टैंडर्ड/ अमर उजाला)

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के विस्तारीकरण का कार्य अपने अंतिम चरण में है। काशी विश्ननाथ कॉरिडोर के नाम से बनाया जा रहा कॉरिडोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में से एक है। पीएम मोदी 13 दिसंबर को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दौरे पर जा रहे हैं। इस दौरान वो काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को देश को समर्पित करेंगे।

रिपोर्ट के मुताबिक, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर अब रंगीन लाइटों से अपनी अलग ही छटा बिखेरने लगा है। इस बार काशी को देव दीपावली की तर्ज पर सजाया जा रहा है। 13 दिसंबर को जब प्रधानमंत्री द्वारा कॉरिडोर का लोकार्पण करने के बाद चलो काशी माह की भी शुरुआत हो जाएगी।

5 लाख वर्गफीट से अधिक है विस्तार

रिपोर्ट के मुताबिक अभी से पहले भगवान काशी विश्वनाथ मंदिर का प्रांगड़ 5 हजार वर्गफीट से भी कम क्षेत्रफल में फैला था, लेकिन अब इसका क्षेत्रफल बढ़कर 5 लाख 27 हजार 730 वर्गफीट का हो गया है। श्रद्धालुओं की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए यहाँ कई सारी इमारतों का निर्माण किया गया है। इसके अलावा 27 मंदिरों की मणिमाला का भी निर्माण किया गया है।

इसके निर्माण में मुख्यत: तीन बातों पर फोकस किया गया है, मंदिर परिसर, चौक, पगडंडी और उसे लगी 23 बिल्डिंगें। यहाँ यात्रियों की सुविधा के लिए 3 केंद्र भी बनाए गए हैं। इसके अलावा वैदिक सेंटर, टूरिस्ट फैसिलिटेशन सेंटर, मल्टीपरपज हॉल, गेस्ट हाउस समेत कई अन्य सुविधाओं का निर्माण किया गया है। इस पूरे प्रोजेक्ट के निर्माण में करीब 600 करोड़ रुपए का इन्वेस्टमेंट किया गया है।

शहरभर में बाँटे जाएँगे लड्डू

प्रधानमंत्री के 13 दिसंबर का इस बार का वाराणसी का दौरा बेहद खास होने वाला है। 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री जब वाराणसी पहुँचेंगे तो हर बनारसवासी का लड्डू से मुँह मीठा करवाया जाएगा। काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के सीईओ सुनील वर्मा ने कहा है कि बेसन के लड्डू के लिए ऑर्डर दे दिए गए हैं। वहीं लड्डू बंटवाने की जिम्मेदारी खाद्य और रसद विभाग को सौंपी गई है। वाराणसी में करीब 7-8 लाख घर हैं, जहाँ प्रसाद पहुँचाया जाएगा।

गौरतलब है कि काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निमाण करीब 250 साल पहले महारानी अहिल्याबाई ने करवाया था और उसके बाद महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर के शिखर को स्वर्ण मंडित कराया था। अब पीएम नरेंद्र मोदी ने इसे ड्रीम प्रोजेक्ट के तौर पर लिया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया