जब राहुल द्रविड़ को ‘क्रिकेट’ समझाने लगे ‘इतिहासकार’ रामचंद्र गुहा, गजब की हुई थी बेइज्जती: खुद बताया कैसे हुई बोलती बंद

रामचंद्र गुहा और राहुल द्रविड

इतिहासकार रामचंद्र गुहा इस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुलेआम पूजा न करने की सलाह देकर सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रहे हैं। यूजर्स, गुहा की हिपोक्रेसी उजागर करते हुए बता रहे हैं कि कैसे पूर्व प्रधानमंत्री भी हमेशा से धार्मिक स्थलों पर या मजहबी कार्यक्रम की तस्वीरें शेयर करते रहे थे, लेकिन उनके लिए कभी भी गुहा ने कुछ नहीं कहा।

ये पहली बार नहीं हुआ कि गुहा की हिपोक्रेसी ने उन्हें जलील करवाया हो। हर मुद्दे पर विशेषज्ञ बनने वाली उनकी आदत ने उन्हें एक बार भारत के पूर्व क्रिकेटर राहुल द्रविड़ से ‘डाँट’ पड़वा दी थी। ये किस्सा 2007 का है जिसका जिक्र गुहा ने अपनी किताब ‘द कॉमनवेल्थ ऑफ क्रिकेट’ में किया है। इसमें उन्होंने बताया कि एक बार वो क्रिकेट पर बिन माँगी सलाह दे रहे थे। तब राहुल ने उन्हें विनम्रता से कहा था कि वो चुप रहें और क्रिकेट के बारे में सोचने की बजाय इतिहास से चिपके रहें।

साल 2007 में, राहुल द्रविड़ इंग्लैंड के खिलाफ खेली जाने वाली श्रृंखला में भारतीय कप्तान थे। उनकी पहचान एक शानदार ख़िलाड़ी के तौर पर थी। उसी दौरान रामचंद्र गुहा ने उन्हें लिखा था, “आप भारतीय क्रिकेट के इतिहास में संभवत: सबसे सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज हैं और निस्संदेह ही इतने अच्छे स्लिप फील्डर हैं जो खेल की किसी भी विधा में अब तक भारत द्वारा दिया गया है। आपको ‘वहाँ’ फील्ड करना चाहिए। मैं मानता हूँ कि निरंतरता बनाए रखने के लिए गेंदबाजों को सलाह देने की जरूरत की वजह से आपको करीब में क्षेत्ररक्षण करने की आवश्यकता महसूस होती होगी।। खैर, सभी बातों पर विचार किया जाता है। मुझे लगता है कि स्लिप आपकी जगह है। भारत में आपके जैसा और कोई नहीं है इसलिए  यही वजह है कि शुरुआती ओवरों में सभी कैच गिर जाती हैं।”

इस मेल के बाद द्रविड़ ने रामचंद्र गुहा के लिए लिखा, “आप सही कह रहे हैं…ऐसा लगता है कि हमारा सारा इतिहास गाँधी पर रुक गया है जबकि ऐसा बहुत कुछ है जो हुआ, कि आज हम 60 साल बाद यहाँ हैं। मैंने 180 पेज खत्म किए हैं…। मैं इस पर और अन्य चीजों पर बात करना चाहूँगा।”

अब दिलचस्प बात यह है कि रामचंद्र गुहा का इस रिप्लाई को लेकर यह मानना है कि राहुल ने उन्हें विनम्र तरीके से कहा था कि उन्हें उनकी सलाह की जरूरत नहीं है और न वो इसे लेना चाहते हैं। अपनी किताब में गुहा ने माना कि द्रविड़ को उनका मेल अवांछित था।

वह लिखते हैं, “मुझे सबसे विनम्र ढंग से क्रिकेट रणनीति पर राय देने के बदले चुप होने को कहा गया और सलाह दी गई कि मैं इतिहास की किताबें ही लिखूँ।”  इस घटना के कई वर्ष बाद गुहा को बीसीसआई में प्रशासक के तौर पर भी नियुक्त किया गया था, लेकिन बाद में उन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया