‘राम भक्त हनुमान की जय’ से वसीम जाफर को दिक्कत, टीम कैंप में बुलाते थे मौलवियों को: कोच से इस्तीफे के बाद आरोप

वसीम जाफर घरेलू स्तर पर उत्तराखंड और IPL में पंजाब की टीम से जुड़े थे (फाइल फोटो)

पूर्व भारतीय क्रिकेटर वसीम जाफर संन्यास लेने के बाद से ही अक्सर अपनी ट्वीट्स को लेकर चर्चा में रहते हैं। भारत की जीत को लेकर विपक्षी देशों को हड़काना हो या फिर मजेदार मीम्स के जरिए रिप्लाई करना हो, वो सुर्ख़ियों में बने रहते हैं। लेकिन, अब वो एक मजहबी विवाद में फँस गए हैं। उन्होंने मंगलवार (फरवरी 10, 2021) को उत्तराखंड क्रिकेट संघ (CAU) के मुख्य कोच के पद से इस्तीफा दे दिया।

कहा जा रहा है कि सचिव महिम वर्मा और मुख्य चयनकर्ता रिजवान शमशाद के साथ हुए विवाद के बाद उन्होंने इस्तीफा सौंपा है। वसीम जाफर इस पद पर रहने की एवज में 45 लाख रुपए प्रति सत्र की फी लिया करते थे। उन्हें सीनियर टीम का कोच बनाया गया था। उन्होंने माहिम पर टीम चयन में दखल देने के कई आरोप लगाए। हालाँकि, सचिव ने उन पर कई सनसनीखेज आरोप लगाए हैं। वहीं रिजवान ने भी जाफर के आरोपों को बकवास करार दिया।

BCCI के उपाध्यक्ष रहे माहिम ने आरोप लगाया कि वसीम जाफर लगातार CAU के अधिकारियों से लड़ रहे थे और मजहबी गतिविधियों के आधार पर टीम को तोड़ने की कोशिश में लगे हुए थे। उन्होंने कहा कि जाफर का पूरा समर्थन किया गया और टीम चयन को लेकर उन्हें खुली छूट दी गई, लेकिन वो इकबाल अब्दुल्ला, समद सल्ला और जय बिस्टा को बतौर गेस्ट खिलाड़ी लेकर आ गए। कुणाल चंदेला की जगह इक़बाल को कप्तान बना दिया गया।

बता दें कि हाल ही में मुश्ताक अली ट्रॉफी में उत्तराखंड का प्रदर्शन काफी खराब रहा है और टीम 5 में से 4 मैच हार गई। अब CAU के अधिकारियों का कहना है कि घरेलू क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज होने के कारण सब उनकी बात मानते रहे। कहा जा रहा है कि विजय हजारे ट्रॉफी के लिए घोषित टीम में इक़बाल की जगह चंदेला को कप्तान बनाया गया, इसीलिए वसीम जाफर ने इस्तीफा दिया है।

सचिव ने बड़ा आरोप लगाया कि टीम के कैम्प के दौरान वसीम जाफर मौलवियों को बुलाते थे। मुश्ताक अली ट्रॉफी के दौरान टीम के मैनेजर रहे नवनीत मिश्रा के हवाले से ‘दैनिक जागरण’ ने अपनी खबर में लिखा है कि कैम्प के दौरान आयोजन स्थल पर तीन मौलवियों को बुलाया गया था। जाफर ने कहा था कि ये जुम्मे की नमाज पढ़ाने आए हैं। आरोप है कि 2 बार ऐसा हुआ। जाफर ने इस पर कोई बयान नहीं दिया है।

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बता दें कि पहले उत्तराखंड टीम का स्लोगन ‘राम भक्त हनुमान की जय’ हुआ करता था, लेकिन उन्होंने इसे बदल दिया और कहा कि ये धार्मिक है। जब अधिकारियों ने सुझाव दिया कि इसकी जगह ‘उत्तराखंड की जय’ स्लोगन रखा जाए तो उन्होंने इसमें भी ‘जय’ नाम से आपत्ति जताई। इसके बाद टीम का स्लोगन ‘गो उत्तराखंड’ रख दिया गया। आरोप है कि इक़बाल को आगे बढ़ाने के चक्कर में उन्होंने चंदेला को निचले क्रम का बल्लेबाज बना दिया।

मैनेजर ने एक और खुलासा किया है कि विजय हजारे ट्रॉफी के दौरान वसीम जाफर ने एक समानांतर टीम बना दी थी, जबकि टीम का चयन करना चयनकर्ताओं का काम है। साथ ही एक मेल लिख कर ये भी कहा कि मैं तुम लोगों का नौकर नहीं हूँ। मैनेजर ने उन पर बदतमीजी का आरोप लगाते हुए कहा कि अब उन्होंने जाफर के कॉल्स उठाने भी बंद कर दिए हैं। वहीं माहिम का कहना है कि बतौर कोच उनकी हर माँग पूरी की गई।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया