…जब दाऊद के गर्दन में लगी थी गोली: दिलीप कुमार के जीजा, राम जेठमलानी और दुबई भागने की कहानी

मोस्ट वॉन्टेड अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम (फ़ाइल फ़ोटो)

भारत के मोस्ट वॉन्टेड अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से पूछताछ करने वाले विशेष जाँच अधिकारी बी.वी. कुमार ने एक किताब लिखी है। इस किताब में दाऊद को लेकर कई चौंकाने वाले ख़ुलासे किए गए हैं। उन्होंने अपनी किताब में लिखा कि डॉन एक सामान्य-सा दिखने वाला डरपोक आदमी है। पूछताछ के दौरान उसने अपने कई गुनाहों को क़बूल कर लिया था। ख़बर के अनुसार, भारतीय सीमा शुल्क विभाग के सुपर कॉप के रूप में प्रसिद्ध राजस्व ख़ुफ़िया निदेशालय के पूर्व महानिदेशक बी.वी. कुमार ने यह ख़ुलासा अपनी किताब ‘डीआरआई एंड द डॉन्स’ में किया।

अपनी किताब में उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि अंडरवर्ल्ड से जुड़े एक अपराधी राशिद अरबा ने उन्हें दाऊद इब्राहिम के ठिकानों की जानकारी दी थी। बता दें कि यह वही राशिद अरबा है, जिसने बॉलीवुड अभिनेता दिलीप कुमार की बहन से शादी की थी। पूर्व अधिकारी बी.वी. कुमार के अनुसार, अंडरवर्ल्ड के डॉन, ख़ासतौर पर दाऊद इब्राहिम और हाजी मस्तान पर किताब लिखने का उनका मक़सद दक्षिण एशिया के सबसे खूंखार गिरोहों के ख़िलाफ़ शुरुआती कार्रवाईयों में डीआरआई के योगदान को लोगों के समक्ष लाना था।

ज़मानत के बाद भाग गया था दुबई

बी.वी. कुमार ने समाचार एजेंसी IANS से बातचीत में बताया कि डीआरआई एक ऐसी प्रमुख एजेंसी थी, जिसने दाऊद को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ करने के लिए उसके ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया था। उन्होंने बताया कि वर्ष 1983 में जब उन्होंने दाऊद को गिरफ़्तार किया था तो गुजरात हाईकोर्ट में उस केस की तत्काल सुनवाई के लिए एक याचिका दायर की गई थी। उस समय कोर्ट में डॉन का केस वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने लड़ा था। इसके बाद दाऊद को ज़मानत मिल गई थी और वो दुबई भाग गया था। उसी समय से दाऊद इब्राहिम भारत की मोस्ट वॉन्टेड लिस्ट में है। बता दें कि यह मामला ख़ुद बी.वी. कुमार ने दर्ज किया था।

डीआरआई एंड द डॉन्स का कवर पेज

‘डीआरआई एंड द डॉन्स’ किताब के लेखक बी.वी. कुमार भारतीय राजस्व सेवा (IRS) के उन चुनिंदा अधिकारियों में से एक हैं, जिन्होंने डीआरआई के अलावा मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो (NCB) का भी नेतृत्व किया था। वो अपनी सेवा के दौरान कई खूंखार गिरोहों को सबक सिखा चुके हैं।

जब दाऊद इब्राहिम की गर्दन में लगी थी गोली

दाऊद इब्राहिम से हुई मुठभेड़ के बारे में पूर्व अधिकारी कुमार ने बताया कि 80 के दशक के मध्य में उनकी नियुक्ति अहमदाबाद में सीमा शुल्क आयुक्त के तौर पर हुई थी। उस वक़्त दाऊद और करीम लाला के गिरोहों के मध्य ख़ूनी जंग चल रही थी। इस वजह से उस क्षेत्र में दहशत का माहौल था। आलम यह था कि इस ख़ूनी जंग की वजह से महाराष्ट्र और गुजरात में शांति-व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई थी।

अपनी किताब में उन्होंने लिखा कि एक दिन दाऊद पोरबंदर से सड़क मार्ग से मुंबई लौट रहा था, तो उसकी कार में पीछे की सीट पर बैठे उसके साथी ने गोली चलाई, यह गोली ग़लती से दाऊद को लग गई थी, जबकि उसके साथी ने डी-कंपनी के विरोधी करीम लाला के क़रीबी आलमजेब पर निशाना साधा था। ग़लती से लगी गोली दाऊद की गर्दन में लगी थी, लेकिन उसे गंभीर रूप से कोई क्षति नहीं पहुँची थी। तभी उसे बड़ौदा के सयाजी हॉस्पिटल ले जाया गया था। इस घटना की जानकारी जब बी.वी. कुमार को मिली तो उन्होंने इस बारे में बड़ौदा के पुलिस आयुक्त पी.के. दत्ता से बात की थी।

दाऊद ने क़बूली थी नंबर दो का धंधा करने की बात

अपनी किताब में उन्होंने ख़ुलासा किया कि पूछताछ के दौरान दाऊद ने यह बात स्वीकार कर ली थी कि वो नंबर दो का धंधा करता है। यह पूछताछ लगभग आधे घंटे तक चली थी और इस दौरान वो एक शांत व्यक्ति के तौर पर दिख रहा था। पूछताछ के दौरान उसने हिन्दी में बातचीत की थी।

दाऊद सबसे ख़तरनाक डॉनों में कैसे शामिल हुआ? इस प्रश्न पर बी.वी. कुमार ने जवाब दिया कि दाऊद इब्राहिम ने सभी को पैसों से ख़रीद लिया था। उसकी राजनीतिक इच्छाएँ इतनी प्रबल थीं कि उसका नाम एशिया के सबसे ख़तरनाक डॉनों की लिस्ट में जुड़ गया। इसके अलावा बॉलिवुड कलाकारों से लेकर क्रिकेटर तक और बड़े राजनेता पर भी उसकी धाक जमती थी। यह कहना ग़लत नहीं होगा कि पैसों से उसने सबकी क़ीमत लगा रखी थी। पूर्व अधिकारी कुमार ने बताया कि भारत के संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के साथ प्रत्यर्पण संधि करते ही, दाऊद को दुबई छोड़ना पड़ा और पाकिस्तान में शरण लेनी पड़ी।

अपनी किताब में कुमार ने इस बात का ज़िक्र किया है कि दाऊद जब तक दुबई में था तब तक काफ़ी प्रभावशाली था, लेकिन अब उसका स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता और शायद वो अंपनी अंतिम साँस तक पाकिस्तान में ही रहेगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया