डीपफेक वीडियो और ऑनलाइन फेक न्यूज़ पर लगेगी लगाम, ‘मोदी 3.0’ लेकर आ रहा ‘डिजिटल इंडिया बिल’: डेटा प्रोटेक्शन के बाद अब YouTube और AI पर नज़र

डिजिटल सुरक्षा के लिए बिल ला रही मोदी सरकार, AI-डीपफेक के गलत इस्तेमाल पर कार्रवाई

आजकल हैकिंग जैसी समस्याएँ बढ़ गई हैं, AI का इस्तेमाल कर के डिफेक वीडियो बना दिए जाते हैं, ऑनलाइन फ्रॉड की कई घटनाएँ होती हैं और YouTube जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए फर्जी खबरें फ़ैलाने वालों की बाढ़ आ गई है। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार डिजिटल सुरक्षा के लिए बिल लाने जा रही है, ताकि इन नई समस्याओं से नए तौर-तरीके से निपटा जाए। ये ‘मोदी 3.0’ के बड़े निर्णयों में से एक होगा। इसका नाम ‘डिजिटल इंडिया बिल’ हो सकता है।

AI का कैसे हम बेहतर तरीके से सकारात्मक इस्तेमाल कर सकें, इसमें इस पर भी चर्चा की जाएगी। इसे संसद में पेश किए जाने से पहले सभी दलों से विचार-विमर्श कर आम सहमति बनाने का प्रयास किया जाएगा। आगामी संसद सत्र में ही इसे पेश किया जा सकता है। 18वीं लोकसभा का पहला सत्र सोमवार (24 जून, 2024) से शुरू होगा और 3 जुलाई तक चलेगा। हालाँकि, इसके बाद 22 जुलाई को मॉनसून सेशन भी शुरू होने वाला है जो 9 अगस्त तक चलेगा।

पिछली सरकार में केंद्रीय इलेक्टॉनिक्स एवं IT राज्यमंत्री रहे राजीव चंद्रशेखर ने भी इस ओर इशारा किया था। उन्होंने कहा था कि सभी चीजें लगभग तैयार हैं, लेकिन चुनाव तक इस पर बहस नहीं हो पाएगी इसीलिए अगली सरकार में इसे लाया जाएगा। बता दें कि डीपफेक वीडियो के जरिए कई हस्तियों को निशाना बनाया गया है। अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, रश्मिका मंदाना, आलिया भट्ट और आमिर खान तक इसका शिकार बन चुके हैं। किसी को भी बदनाम करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

AI का इस्तेमाल कर के डिफेक वीडियो बना कर किसी से कुछ भी कहलवा देना, किसी भ्रामक सामग्री का विज्ञापन करा देना, किसी के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करा देना या फिर अश्लील रूप में दिखा देना संभव है। इसी तरह लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का वीडियो वायरल कर दिया गया और दावा किया गया कि वो आरक्षण खत्म करने की बात कर रहे हैं। असम से लेकर महाराष्ट्र और तेलंगाना तक, कॉन्ग्रेस से संबंधित कई हैंडलों ने ये कुचक्र चलाया, जिसका भाजपा को नुकसान भी हुआ।

नए डिजिटल बिल के जरिए AI ने जेनेरेट किए जाने वाले फर्जी कंटेंट्स पर लगाम लगेगी। YouTube के माध्यम से ध्रुव राठी, पुण्य प्रसून वाजपेयी और अजित अंजुम जैसे कई लोग फर्जी खबरें फैलाते हैं, जिस पर अलग-अलग लोग कई भ्रामक और फेक दावों के साथ वीडियो बनाते हैं। ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर मोहम्मद ज़ुबैर जैसे लोग यही काम करते हैं। विपक्षी नेता कई बार फर्जी खबरें फैला चुके हैं। नए बिल में सोशल मीडिया पर को भी रेगुलेट किए जाने की व्यवस्था होगी।

हालाँकि, इससे पहले भी सरकार इस दिशा में कदम उठाते हुए ‘डेटा प्रोटेक्शन बिल’ पेश कर चुकी है। कई कंपनियाँ यूजर्स के डेटा का इस्तेमाल उनसे अनुमति के बिना करती रही हैं, डेटा बेच तक देती हैं। अब इसके लिए कंपनियों पर 500 करोड़ रुपए तक के प्रावधान किए गए हैं। पीएम मोदी खुद भी डीपफेक वीडियो और AI संबंधित समस्याओं पर बात कर चुके हैं। डीपफेक और फर्जी खबरों पर लगाम लगाने के लिए सरकार द्वारा लाए जा रहे इस बिल में अब क्या होता है, ये कुछ ही दिनों में पता चल जाएगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया