HSTDV विकसित कर भारत महाशक्तियों में शामिल, हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने में होगा इस्तेमाल

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

भारतीय रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने भविष्य में स्वदेशी मिसाइल प्रोग्राम को ऊँचाईयों तक पहुँचाने की दिशा में बुधवार (जून 12, 2019) को हाइपरसोनिक रफ्तार हासिल करने लिए टेस्ट लॉन्च किया। इस हाइपरसोनिक टेक्नॉलजी डिमोन्स्ट्रेटर व्हीकल (एचएसटीडीवी) का भविष्य में न केवल हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल बनाने में इस्तेमाल होगा बल्कि इसकी मदद से काफ़ी कम खर्चे में सैटेलाइट लॉन्चिंग भी की जा सकेगी।

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इस परीक्षण की जानकारी एक प्रेस रिलीज के जरिए दी गई कि ओडिशा तट के निकट एक बेस से हाइपरसोनिक टेक्नॉलजी डिमोन्स्ट्रेटर व्हीकल को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया।

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गौरतलब है इस एचएसटीडीवी प्रोग्राम को अपने मिसाइलों के निर्माण के लिए डीआरडीओ पिछले 2 दशकों से आगे बढ़ा रहा है। इसमें SCRAMJET इंजन इस्तेमाल किया जाता है। जिसकी मदद से 6 मैक तक की रफ्तार हासिल की जा सकती है।

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इस परीक्षण में 1 टन वजन वाले और 18 फीट लंबे एयरव्हीकल को अग्नि मिसाइल से लॉन्च किया गया था। इस दौरान एचएसटीडीवी को विभिन्न रडार, टेलीमेट्री स्टेशन्स और इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग के जरिए ट्रैक किया गया। इस परीक्षण का उद्देश्य एचएसटीडीवी को एक खास ऊँचाई तक पहुँचाना था, जिसके बाद स्क्रैमजेट इंजन अपने आप चालू हो जाता है और व्हीकल को 6 मैक की रफ्तार तक ले जाता है।

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खबरों के मुताबिक यह परीक्षण रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और रक्षा सचिव संजय मित्रा की मौजूदगी में किया गया। खास बात ये है कि रूस, अमेरिका और चीन के बाद सिर्फ़ भारत ऐसा देश है, जिसने इस तकनीक को विकसित किया है। इस परीक्षण के साथ ही 6 मैक की रफ्तार हासिल करने वाला भारत चौथा देश बन गया है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया