JNU टीचर्स असोसिएशन ने बिगाड़ा माहौल, बनाया ‘आजादी ब्रिगेड’ का केंद्र: पत्र लिख 113 टीचर्स हुए अलग

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जेएनयू में स्टूडेंट्स-प्रशासन के बाद अब शिक्षकों के मध्य भी मतभेद सामने आ गए हैं। दरअसल, गुरुवार (नवंबर 22, 2019) को विश्वविद्यालय के कुछ टीचर्स ने सार्वजनिक तौर पर ऐलान किया है कि वे 20 नवंबर 2019 से खुद को जेएनयू टीचर्स असोसिएशन (जेएनयूटीए) से अलग कर रहे हैं। इसके अलावा वे खुद को उस हर रेज्यूलेशन/बयान से भी अलग करते हैं जो JNUTA ने 1 नवंबर 2019 तक दिया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार इन टीचर्स का कहना है कि जेएनयूटीए प्रदर्शन कर रहे छात्र-छात्राओं को तो अपना समर्थन दे रहा है, मगर जिन शिक्षकों को स्टूडेंट्स ने कुछ दिनों पहले बंधक बनाया हुआ था या उनके और उनके परिवारजनों के साथ बदसलूकी की थी, उनके खिलाफ असोसिएशन कोई कार्यवाही तो दूर, निंदा तक नहीं कर रहा।

असोसिएशन से खुद को अलग करने वाले इन टीचर्स ने इस संबंध में पत्र भी जारी किया है। इस पत्र में वार्डन और उनके घर, परिवार, बच्चों पर देर रात हुए हमले का हवाला दिया गया है। साथ ही महिला प्रोफेसर और डीन पर हुए अटैक का भी इस पत्र में जिक्र है। इस पत्र में स्पष्ट बताया गया है कि छात्रों ने हमले के दौरान केवल टीचरों से बदसलूकी नहीं की बल्कि उस एंम्बुलेंस को भी स्वास्थ्य केंद्र की ओर जबरन मुड़वा दिया, जिसमें डीन को अस्पताल ले जाया जा रहा था।

JNUTA से अलग होने का ऐलान पत्र

इसके अलावा इन टीचर्स का ये भी कहना है कि प्रदर्शन की वजह से पूरी जेएनयू से जुड़े लोग परेशान हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जेएनयू प्रोफेसर डॉ अश्विनी मोहपात्रा ने बताया कि जेएनयूटीए से अलग होने के ऐलान पत्र में अब तक 113 टीचर्स ने हस्ताक्षर किए हैं और उन्हें लगता है कि जल्द ही इस ऐलान पत्र पर 150 से 200 के बीच शिक्षक अपने साइन करेंगे। बता दें जेएनयूटीए में करीब 584 मेंबर यानी शिक्षक हैं।

https://twitter.com/AswiniJNU/status/1197584244710596609?ref_src=twsrc%5Etfw

प्रोफेसर डॉ अश्विनी मोहपात्रा ने ट्वीट करके जेएनयू की हालिया स्थिति की मुख्य जड़ जेएनयूटीए को बताया है। उनके मुताबिक वामपंथियों की मंडली ने जेएनयू को आजादी ब्रिगेड का बड़ा केंद्र बना दिया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया