पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा मामले में अनुसूचित जाति/जनजाति (SC/ST) वर्ग के 114 प्रोफेसरों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखा है। इस पत्र में टीएमसी पर कार्रवाई की अपील की गई है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार रोहन दुआ ने यह पत्र ट्विटर पर शेयर किया है। इस पत्र के मुताबिक चुनाव के बाद राज्य में भड़की हिंसा ने 11 हजार लोगों को बेघर कर दिया है। इनमें अधिकांश अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग से हैं। पत्र बताता है कि, 40,000 लोग इस हिंसा से प्रभावित हुए और 1627 बर्बर हमले दर्ज किए गए।
https://twitter.com/rohanduaTOI/status/1400391819116965892?ref_src=twsrc%5Etfwइसमें लिखा है कि हिंसा के दौरान 5000 से अधिक घर जला दिए गए। वहीं 26 लोग मारे भी गए। इसके बाद 2000 से अधिक लोगों को जो असम, झारखंड और ओडिशा में शरण लेनी पड़ी।
पत्र के मुताबिक, तृणमूल कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ताओं ने राज्य पुलिस के साथ मिलकर उस दौरान अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों पर न केवल जमकर अत्याचार किया बल्कि वहाँ हिंसा भड़काई, लोगों को मारा, औरतों से रेप किया और जमीन पर कब्जा कर लिया। इसलिए वह चाहते हैं कि एससी/एसटी समुदाय को बचाने के लिए मामले में हस्तक्षेप किया जाए।
साथ ही पत्र में कहा गया है कि एससी/एसटी समुदाय के जो लोग इससे प्रभावित हुए हैं उनके घर दोबारा से बनवाकर उनके पुनर्वास पर काम किया जाए। साथ ही पीड़ितों को तत्काल प्रभाव से मेडिकल व अन्य सुविधाएँ और सुरक्षा दिया जाए।
बता दें कि सेंटर फॉर सोशल डेवलपमेंट (सीएसडी) के बैनर के तहत यह पत्र लिखा गया है। इस पर डीयू के अफ्रीकन स्टडीज विभाग के पूर्व हेड प्रोफेसर सुरेश कुमार और डीयू में ही लाइब्रेरी साइंस से जुड़े प्रोफेसर केपी सिंह के पहले पन्ने पर हस्ताक्षर हैं।
गौरतलब हो कि इससे पहले इस मुद्दे 46 सेवानिवृत्त अधिकारियों ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र लिखकर मामले में SIT गठित करने की माँग की थी। साथ ही राज्य में हुई इस व्यापक राजनीतिक हिंसा के मद्देनजर 2093 महिला वकीलों ने भी भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना को पत्र लिखकर मामले में संज्ञान लेने की अपील की थी।