Thursday, April 25, 2024
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‘SIT करे बंगाल हिंसा की जाँच’: 146 रिटायर्ड अधिकारियों का राष्ट्रपति को पत्र, 2000+ महिला वकीलों की CJI से डिमांड

वहीं बंगाल के 23 जिलों में से 16 जिलों के बुरी तरह प्रभावित होने और 15000 से ज्यादा हिंसा के मामले प्रकाश में आने की बात पत्र में कही गई है

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद राज्य में कई जगहों पर हुई राजनीतिक हिंसा के बाद 146 सेवानिवृत्त अधिकारियों ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र लिखकर मामले में SIT गठित करने की माँग की है। साथ ही राज्य में हुई इस व्यापक राजनीतिक हिंसा के मद्देनजर 2093 महिला वकीलों ने भी भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना को पत्र लिखकर मामले में संज्ञान लेने की अपील की है।

राष्ट्रपति कोविंद को लिखे पत्र में जिन 146 सेवानिवृत्त अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं, उनमें 17 पूर्व न्यायाधीश, 63 नौकरशाह (31 पूर्व आईएएस व सिविल सर्विस ऑफिसर और 32 पूर्व आईपीएस अधिकारी), 10 राजदूत और 56 सशस्त्र बल अधिकारी शामिल हैं जबकि मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखने वाली सभी 2093 महिला वकील हैं।

सेवानिवृत्त अधिकारियों के पत्र में तमाम घटनाओं पर हुई मीडिया रिपोर्ट का हवाला देकर एक्शन लेने की माँग की गई। बताया गया कि हिंसा में महिलाओं समेत दर्जनों लोग मारे गए। वहीं बंगाल के 23 जिलों में से 16 जिलों के बुरी तरह प्रभावित होने और 15000 से ज्यादा हिंसा के मामले प्रकाश में आने की बात पत्र में कही गई है। इसके अलावा 4-5 हजार लोगों के घर-बार छोड़कर असम, झारखंड और ओडिशा जाने का उल्लेख भी रिपोर्ट में है।

‘बंगाल में स्थानीय पुलिस की गुंडों से साँठ-गाँठ’

पत्र में राष्ट्रपति से सेवानिवृत्त अधिकारियों ने कहा कि मामले की जाँच के लिए के लिए SC के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में एक टीम गठित होनी चाहिए ताकि निष्पक्ष तौर पर जाँच हो सके। इसके अलावा बंगाल चूँकि संवेदनशील सीमा वाला राज्य है इसलिए इस केस में राष्ट्रविरोधी तत्वों से निपटने के लिए इसे NIA को सौंपा जाना चाहिए।

वहीं महिला वकीलों ने मुख्य न्यायाधीश को लिखे अपने पत्र में हिंसा की निंदा करते हुए राज्य की स्थिति के बारे में CJI को बताया। अपने पत्र में वकीलों ने स्थानीय पुलिस की स्थानीय गुंडों से साँठ-गाँठ होने के आरोप लगाए। इसमें कहा गया है कि पीड़ितों की एफआईआर तक नहीं दर्ज की गई और राज्य में संवैधानिक ढाँचा पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है।

इसके अलावा निष्पक्ष जाँच के लिए बंगाल से बाहर पुलिस अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाने की माँग की गई और केस के जल्द निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन का आग्राह किया गया है। इसमें बंगाल के डीजीपी को हर स्तर पर शिकायतें दर्ज कराने की प्रणाली विकसित करने और विभिन्न चैनलों के जरिए आने वाली शिकायतों का विवरण प्रतिदिन SC भेजने का निर्देश देने की माँग भी की गई है।

बता दें कि 2 मई को बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद बड़े पैमाने पर टीएमसी समर्थकों ने उत्पात मचाया था। इस हिंसा में दर्जनों भाजपा कार्यकर्ताओं की जान चली गई थी। वहीं कई आमजन समेत बीएसएफ जवान और सीपीआई (एम) कार्यकर्ताओं पर भी हमले हुए थे। जिसके बाद कई लोगों ने टीएमसी गुंडों से जान बचाने के लिए लोगों ने असम में आश्रय लिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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