एक जनाजा, 150 लोग और 21 दिन में 21 मौतें: राजस्थान के इस गाँव में सबसे कम टीकाकरण, अब मौत का तांडव

सीकर के लक्ष्मणगढ़ स्थित खीरवा गाँव में मौत का तांडव (फोटो साभार: OneIndia Hindi)

राजस्थान के सीकर स्थित खीरवा गाँव में एक व्यक्ति के जनाजे में लापरवाही होने के कारण अब तक 21 लोगों की जान जा चुकी है। पिछले 21 दिनों में इस गाँव के 21 घरों से जनाजे उठ चुके हैं। पहले तो गाँव के ही लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे थे, लेकिन लगातार होती मौतों से अब वो भी दहशत में हैं। प्रशासनिक अमला भी देर से सक्रिय हुआ और अब लोगों की जाँच कर के उन्हें क्वारंटाइन करने की प्रक्रिया चालू की गई है।

खीरवा गाँव में संक्रमण की शुरुआत अप्रैल 21, 2021 से हुई। इस गाँव के मोहम्मद अजीज गुजरात में कारोबार करते थे। उनकी मौत वहीं हो गई। इसके बाद बॉडीकिट में पैक कर के उनके शव को गाँव लाया गया। लापरवाही ये की गई कि शव को सीधे कब्रिस्तान ले जाने की बजाए उनके घर ले जाया गया। वहाँ पर परिजनों ने शव को किट से बाहर निकाल दिया। साथ ही जनाने में 150 से भी अधिक लोग शामिल हुए।

शव को बॉडीकिट से बाहर निकाल कर कब्रिस्तान में दफनाने और जनाजे में 150 लोगों के शामिल होने का दुष्प्रभाव ये हुआ कि संक्रमण पूरे गाँव में फ़ैल गया। गाँव में रोज किसी न किसी की मौत होने लगी। पहले तो बुजुर्गों की मौत हुई, जिसे ग्रामीणों ने प्राकृतिक समझा और गंभीरता से नहीं लिया। लेकिन, मौतों का सिलसिला थमा नहीं। प्रशासन ने भी अपनी जाँच में ग्रामीणों को ही दोषी ठहराया है।

पिछले दिनों यहाँ गफूर खान (101 साल), जन्नत बानो (62 साल), हाफिजां बानो (95 साल), इलायची बानी (78 साल), सलामत बानी (65 साल), महताब खान (87 साल), बिहारलीलाल शर्मा (78 साल), जावेद खान (32 साल), बिस्मिल्ला (80 साल), मजीद खान (88 साल), बिस्मिल्लाह बानो (83 साल), जन्नत बानो (73 साल), छोटू खान (81 साल), ताज बानो (71 साल), बानू (70 साल), हाजरा बानो (81 साल) और आलम खातून (69 साल) की मौत हुई है। इसके बाद प्रशासन ने गाँव में निरीक्षण किया।

उपखण्ड अधिकारी डॉक्टर कुलराज मीणा ने बताया कि राज्य के शिक्षा मंत्री के निर्देश के बाद गाँव में एक जिला स्तरीय टीम भेज कर निरीक्षण की प्रक्रिया पूरी की गई। इसमें सामने आया कि पूरे प्रखंड में सबसे कम टीकाकरण खीरवा गाँव में ही हुआ है। स्थानीय नागरिकों ने न सिर्फ शुरूआती लक्षणों को छिपाया, बल्कि डोर टू डोर सर्वे में भी सहयोग नहीं किया। उन्हें मुफ्त में मेडिकल किट दिए गए, लेकिन इसका उपयोग ही नहीं किया गया।

अब गाँव के लोगों को कहा गया है कि वो अधिक से अधिक संख्या में टीकाकरण और सैम्पिंग करवाएँ। पंचायत में और लोगों के घरों में भी सैनिटाइजर का छिड़काव कराया जा रहा है। जिन परिवारों में मृत्यु हुई है, वहाँ खास नज़र रखी जा रही है। लक्ष्मणगढ़ विधानसभा क्षेत्र में हुई इस घटना को लेकर राज्य के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि ये उनके लिए सीख है, जो कोरोना को गंभीरता से नहीं लेते।

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‘पत्रिका’ की खबर के अनुसार, गाँव के लोग अब भी कह रहे हैं कि सभी मौतें कोरोना से नहीं हुई होंगी, इनमें से कई प्राकृतिक भी हो सकती है। गाँव के अरशद अयूब पठान का कहना है कि संक्रमित शव के साथ जो 30 लोग आए थे, उनमें से कोई कोरोना पॉजिटिव नहीं आया है। उन्होंने अंदेशा जताया कि शव से संक्रमण फैलने की सूचना गलत हो सकती है। गाँव के 6 कोरोना संक्रमित अभी साँवली अस्पताल में भर्ती हैं लेकिन फिर भी लोग कह रहे कि हम जागरूक हैं और जो मरे हैं, उनमें से अधिकतर की उम्र 70 से अधिक थी।

गाँव के सरपंच हाकिम अली का कहना है कि इस गाँव में किसी-किसी साल में एक भी मौत नहीं होती थी और ज्यादा से ज्यादा 5-6 लोग मरते थे, लेकिन ये आँकड़ा काफी ज्यादा है। गोविंद सिंह डोटासरा ने अपने ट्वीट डिलीट कर लिया है, जिसमें उन्होंने शव के छूने से संक्रमण फैलने की बात कही थी। संक्रमण के प्रभाव की जाँच के लिए 157 RT-PCR सैम्पल लिए गए हैं। अब डोटासरा ने स्थानीय प्रशासन के हवाले से दावा किया है कि उक्त शव कोरोना संक्रमित का नहीं था।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया