इजरायल की पुलिस ने पूर्वी जेरुसलम स्थित अल-अक़्सा मस्जिद में भीड़ जुटा कर नमाज पढ़ रहे मुस्लिमों पर हमला किया, जिसमें 205 रोजेदार घायल हो गए। इनमें से अधिकतर फिलिस्तानी थे। जेरुसलम को लेकर पिछले एक सप्ताह से फिर से इजरायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष चालू है। शुक्रवार (मई 7, 2021) को रमजान महीने का आखिरी जुमा था, ऐसे में अल-अक़्सा मस्जिद में हजारों लोग जुटे हुए थे।
वहाँ इजरायल के खिलाफ नारेबाजी हुई और फिलिस्तानियों ने आरोप लगाया कि यहूदियों ने मुस्लिमों को उनके घर से निकाल कर कब्ज़ा कर लिया है। नमाज के बाद भी कई लोग वहाँ रुक कर इजरायल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। ‘शेख जर्राह’ इलाके के लोगों के समर्थन में कुछ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कार्यकर्ता भी पहुँचे हुए हैं।
इजरायल की पुलिस और सेना ने पानी, आँसू गैस और रबर कोटेड बुलेट्स से हमला बोला है। साथ ही उन्होंने पिछले कुछ महीनों से फिलिस्तीन के खिलाफ ग्रेनेड्स का प्रयोग भी किया है। दर्जनों फिलिस्तीनियों को गिरफ्तार किया गया है।
अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट ने कहा है कि वो जेरुसलम में हिंसा को लेकर चिंतित है और दोनों ही पक्षों से तनाव कम करने के लिए निर्णायक कदम उठाने का आग्रह करता है। अमेरिका ने कहा कि रमजान के आखिरी हफ्ते में ऐसी हिंसा ठीक नहीं है और फिलिस्तीनी परिवारों के लिए वो चिंतित है।
https://twitter.com/SaadAbedine/status/1390727466919022596?ref_src=twsrc%5Etfwवहीं संयुक्त राष्ट्र ने इजरायल से कहा है कि जेरुसलम में उसकी गतिविधियाँ ‘युद्ध अपराध’ की श्रेणी में आ सकती है। UN ने इजरायल से ‘अवैध निष्कासनों’ पर रोक लगाने को कहा है। UN ने कहा कि पूर्वी जेरुसलम फिलिस्तीन में आता है और वहाँ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून लागू होते हैं।
इजरायल की पुलिस-सैनिक कार्रवाई में 88 फिलिस्तीनी रोजेदारों को रबर बुलेट्स लगे। अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। इजरायल ने कहा है कि उसके 17 पुलिस अधिकारी घायल हुए हैं।
कई इस्लामी मुल्कों ने इस घटना की निंदा की है। इजरायल की पुलिस का कहना है कि वहाँ दंगों और आगजनी को रोकने के लिए उसने ये कदम उठाया। पुलिस ने कहा कि मजहब या कुछ के भी नाम पर दंगे कर के पुलिसकर्मियों को चोट पहुँचाने की हरकतें बर्दाश्त नहीं की जाएँगी। इजरायल उस क्षेत्र को ‘टेम्पल माउंट’ कहता है।