27 दंगाइयों पर गैंगस्टर एक्ट, सरगना मोहम्मद ताहिर भी शामिल: जुमे की नमाज के बाद लखनऊ में हुई थी हिंसा

CAA विरोध के नाम पर यूपी में हुए थे हिंसक दंगे (फाइल फोटो)

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध की आड़ में उत्तर प्रदेश के कई शहरों में हिंसा हुई थी। दंगाइयों के खिलाफ राज्य की योगी सरकार सख्ती से कार्रवाई कर रही है। इसी कड़ी में लखनऊ पुलिस ने हिंसा के आरोपितों पर गैंगस्टर एक्ट लगा दिया है। 19 दिसंबर 2019 को जुमे की नमाज के बाद थाना ठाकुरगंज क्षेत्र में हिंसक भीड़ ने चौकी सतखंडा में आगजनी और पथराव किया था। इसको लेकर पुलिस ने 28 आरोपितों पर गैंगस्टर्स और एंटी-सोशल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट, 1986 लगाए हैं।

लखनऊ पुलिस द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि जाँच में पुष्टि हुई है कि उन्होंने ‘गैंग’ के रूप में ‘सरकार विरोधी गतिविधियों’ की साजिश रची थी। इससे जनता में अफरा-तफरी का माहौल हो गया और कानून-व्यवस्था गम्भीर रूप से प्रभावित हुई। इन पर लखनऊ के सतखंडा इलाके में पुलिस चौकी को आग लगाने के अलावा ‘हत्या करने के इरादे से’ पुलिस पर गोलीबारी का आरोप है। साथ ही अन्य सरकारी कार्यालयों को क्षतिग्रस्त करने और लूटने और सार्वजनिक/निजी वाहनों को आग लगाने का भी आरोप है।

अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) विकास चन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि 27 लोगों में उनका ‘गैंग लीडर’ मोहम्मद ताहिर भी शामिल है। उन्होंने कहा कि एक दर्जन से अधिक लोगों को मौके से गिरफ्तार किया गया था, जबकि अन्य को हिंसा की तस्वीरों और वीडियो फुटेज के माध्यम से पहचाना गया था। त्रिपाठी ने कहा कि गैंगस्टर एक्ट के तहत दर्ज FIR में अधिकांश आरोपित अभी भी जेल में हैं और जमानत पर बाहर रहने वालों को फिर से गिरफ्तार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जाँच में पुष्टि हुई कि इनलोगों ने हिंसा के दौरान समूह बनाकर जान-बूझकर पुलिस चौकी और पुलिस कर्मियों को निशाना बनाया। पुलिस के पास इनके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट लगाने को सही ठहराने के लिए पर्याप्त सबूत थे।

गौरतलब है कि योगी सरकार ने हिंसा अथवा दंगे के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को आगजनी या तोड़फोड़ के जरिए नुकसान पहुँचाने वालों के खिलाफ अध्यादेश लाने का फैसला किया है। 13 मार्च को यूपी सरकार ने कैबिनेट की बैठक में ‘उत्तर प्रदेश रिकवरी फ़ॉर डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट अध्यादेश-2020’ अध्यादेश के मसौदे को मंजूरी दे दी।

बता दें कि योगी सरकार ने हिंसा के आरोपितों के पोस्टर भी लगाए थे जिसे लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आपत्ति जताते हुए पोस्टर हटाने के आदेश दिए थे। इसके प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की दलीलों को सुनने के बाद मामला बड़ी बेंच को सौंप दिया था। इसी के बाद योगी सरकार ने इस संबंध में अध्यादेश लाने का निर्णय लिया।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया