छत्तीसगढ़: पंचायत भवन में बंद कर रखे गए 40 गायों की दम घुटने से मौत, सरपंच पर FIR

लापरवाही के कारण 40 गायों की दम घुटने से मौत (साभार: Twitter)

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के एक गाँव में 50 से अधिक गायों को पंचायत भवन में बंद कर रखा गया था। इनमें से 40 की दम घुटने के कारण मौत हो गई। बिलासपुर के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) डॉ. शरण मित्तर ने कहा है कि गाँव के सरपंच के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

https://twitter.com/SakalleyTanmay/status/1286900167010971653?ref_src=twsrc%5Etfw

स्थिति का आकलन करने के लिए वरिष्ठ अधिकारी भी मौके पर पहुँचे हैं। जिला अधिकारी ने बिलासपुर के तखतपुर के मेदापार गाँव में पंचायत भवन से 20 मवेशियों को बचाया है। हालाँकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि 40 नहीं बल्कि 50 से भी अधिक गायों की दम घुटने के कारण मौत हुई है।

रिपोर्ट के अनुसार, इस मुद्दे पर डॉ मित्तर ने कहा, “प्रारंभिक जानकारी से पता चला है कि सरपंच द्वारा पिछले कुछ दिनों से गाँव में 60 मवेशियों को क्लस्ट्रोफोबिक पंचायत भवन में रखा गया था। हमने उनमें से 20 को बचा लिया है, जबकि 40 की मौत दम घुटने के कारण हुई है।”

इस घटना के बाद पशु चिकित्सकों की एक टीम गाँव में पहुँच गई है और पंचायत भवन से सुरक्षित निकाले गए मवेशियों की जाँच कर रही है। इसके अलावा पुलिस भी मौके पर पहुँचकर गायों के शवों को पंचायत भवन से बाहर निकाल रही है।

https://twitter.com/Pradeep02452487/status/1286938630213099521?ref_src=twsrc%5Etfw

अधिकारियों ने कहा, “सरपंच ने मालिकों की अनुमति के बिना मवेशियों को पंचायत भवन के अंदर डाल दिया। सरपंच के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है और उनके मालिक पशुपालकों को पर्याप्त मुआवजा मिलेगा।”

पुलिस अधीक्षक (एसपी), बिलासपुर प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि गायों की मौत पर डीएम के निर्देश के अनुसार सरपंच के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है और जाँच शुरू हो गई है।

जून में छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के सभी गाँवों में ‘रोका-छेका अभियान’ शुरू किया था, जो पारंपरिक खेती के तरीकों को पुनर्जीवित करने और आवारा पशुओं द्वारा खुले में चराई से खरीफ की फसलों को बचाने के सम्बन्ध में था।

छतीसगढ़ की राज्य सरकार इस बात से अवगत है कि राज्य के कई गाँवों में आज तक भी गौशाला नहीं है और पशुपालकों को खरीफ की फसलों को बचाने के लिए चराई पर प्रतिबंध के कारण बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

इस मामले पर सरकार पशुपालकों के बचाव में आ गई है और सूरा गाँव योजना के तहत राज्य भर में 5,000 गौशालाओं का निर्माण कर रही है। सरकार ने सभी सरपंचों से अपील की है कि वे खुले में चराई के प्रतिबंध के दौरान गौशालाओं में ही मवेशियों के रहने की व्यवस्था करें।

लेकिन आवारा पशुओं और गायों को लेकर यह प्रबंध इतने अव्यवस्थित हैं कि पहले भी कई बार इन्हीं कारणों से राज्य में गायों के मरने की खबरें आ चुकी हैं और अभी तक भी स्थिति बदतर ही नजर आ रही हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया