2 महीने की चारधाम यात्रा में ही गंगोत्री-यमुनोत्री से निकले 700 किलो कपड़े, भीगी साड़ियाँ छोड़ कर जा रहीं महिलाएँ: कहीं-कहीं खाली बियर बोतलों के ढेर भी

उत्तराखंड मेंपर्यटकों और तीर्थयात्रियों द्वारा फैलाया जा रहा भारी कचरा

उत्तराखंड के गंगोत्री और यमुनोत्री की साफ़-सफाई के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए बड़ा संकट खड़ा हो गया है। भागीरथी नदी के किनारे कई तीर्थयात्री अपने पुराने कपड़े छोड़ कर चले जा रहे हैं। बता दें कि भागीरथी नदी गंगोत्री से निकलती है। यमुना नदी के किनारे भी यही हाल है। यमुनोत्री जाने वाले तीर्थयात्री भी यही काम कर रहे हैं। इस साल की चारधाम यात्रा के मात्र 2 महीनों में 7 क्विंटल कपड़ों को नदियों से निकाला गया है।

ये कचरा केवल गंगोत्री और यमुनोत्री से निकला है। बाकी जगह जहाँ तीर्थयात्री नहीं बल्कि पर्यटक आ रहे हैं, वहाँ भी स्थिति बुरी है। बड़ी मात्रा में बियर की बोतलें पड़ी हुई मिल रही हैं। गंगोत्री और यमुनोत्री में कपड़ा छोड़ देने की घटनाएँ तब हो रही हैं, जब कई साइनबोर्ड लगा कर चेतावनी लिखी गई है और लाउडस्पीकर से घोषणा की जाती है कि जो भी यहाँ अपना कपड़ा छोड़ता हुआ पाया जाएगा, उसे 1000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।

अधिकारियों का कहना है कि इन चेतावनियों का कोई असर नहीं हो रहा है। गंगोत्री धाम के सेक्रेटरी सुरेश सेमवाल ने कहा कि भागीरथी से 4 क्विंटल कपड़े निकले हैं। रोज कर्मचारियों को वहाँ छोड़े गए कपड़ों को जमा करने के लिए भेजा जाता है। इसके बाद इन्हें नगर पंचायत को सौंप दिया जाता है, जो इसे डिस्पोज करने का काम करते हैं। यमुनोत्री में भी स्थिति अलग नहीं है। वैसे भी हर साल मई-जून ही यात्रा का पीक समय होता है, जब सबसे ज्यादा तीर्थयात्री आते हैं।

यमुनोत्री में 3 क्विंटल कपड़े निकाले गए हैं। इन कपड़ों में अधिकतर साड़ियाँ होती हैं, इसीलिए महिलाओं से बार-बार आग्रह किया जा रहा है कि वो ऐसा न करें। इससे सफाईकर्मियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। हालाँकि, वहाँ कपड़े छोड़ देना कोई परंपरा या प्रथा नहीं है। असल में कपड़े, खासकर साड़ियाँ पानी में भीगने के बाद भारी हो जाती हैं। कई पर्यटक भीगे कपड़ों के लिए थैले नहीं लाते। ऐसे में वो उन्हें वहीं छोड़ कर चलते बनते हैं।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया