प्राइमरी स्कूल में 26 जनवरी, मुस्लिम टीचर का भारत माता को पुष्प अर्पित करने से इनकार: मजहब का दे रहा था हवाला, देखिए Video

व्हाइट जैकेट और ब्लू जींस में प्राइमरी स्कूल का टीचर हसमुद्दीन (फोटो साभार: ABP)

अलीगढ़ के एक प्राइमरी स्कूल के मुस्लिम टीचर ने गणतंत्र दिवस (26 जनवरी 2023) के मौके पर भारत माता पर पुष्प चढ़ाने से इनकार कर दिया। इसका वीडियो वायरल है। शरुआत में बीमारी और मजहब का हवाला देकर इनकार कर रहा शिक्षक बाद में दबाव पड़ने पर मान गया। शिक्षक की पहचान हसमुद्दीन के तौर पर हुई है।

यह स्कूल अलीगढ़ के इगलास थाना क्षेत्र के लखटोई गाँव में है। वीडियो में देखा जा सकता है कि हसमुद्दीन बैठा हुआ है और कुछ लोग उसे पुष्प चढ़ाने को कह रहे हैं। शुरुआत में हसमुद्दीन बीमारी का बहाना बनाता है और बाद में अपने मजहब का हवाला देते हुए कहता है कि हम सिर्फ ऊपर वाले के सामने मत्था टेकते हैं।

वीडियो में साथी अध्यापक उसे समझाते हुए कह कह रहे हैं कि यह बात ठीक नहीं है। हम लोग भी मुस्लिमों के कार्यक्रम में जाते हैं। हम भी वहाँ मत्था टेकते हैं। इस पर हसमुद्दीन कहता है कि हमारे मजहब में यह नहीं सिखाते। हम किसी के सामने मत्था नहीं टेकते। हम सिर्फ ऊपर वाले के सामने मत्था टेकते हैं। फिर वहाँ मौजूद लोग हसमुद्दीन से कहते हैं कि यह तो संविधान के अनुसार है। जब आप यहाँ आए हो तो भारत माता पर पुष्प चढ़ा दो। फिर हसमुद्दीन फूल चढ़ाने जाता है।

स्कूल के प्रधानाध्यापक राजेंद्र कुमार ने बताया है कि ध्वजारोहण के समय भी हसमुद्दीन एक तरफ बैठा हुआ था। कुछ लोगों ने उससे फूल चढ़ाने को कहा तो उसने पेट में दर्द होने की बात कह इनकार कर दिया। बाद में काफी समझाने पर उसने फूल चढ़ाए। वीडियो वायरल होने पर पुलिस और बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी मामले में जाँच की बात कह रहे हैं। वहीं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सतेन्द्र कुमार का कहना है, “वायरल वीडियो के संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी को सूचित किया गया है। जानकारी मिली है कि हसमुद्दीन नाम के शिक्षक ने राष्ट्रगान गान गाने, सरस्वती प्रतिमा और भारत की प्रतिमा पर फूल चढ़ाने करने से मना किया है। इसकी जाँच की जा रही है। अगर मामले में सच्चाई मिलती है तो इनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।”

इस पूरे प्रकरण पर सफाई देते हुए हसमुद्दीन ने कहा है, “मेरी तबियत खराब थी। मैं तीन दिन से बीमार था और मेरे नाक से खून आ रहा था। इसलिए मैं दवाई खाकर वहाँ बैठा था। मेरे पेट में दर्द हो रहा था। इसलिए जब मास्टर साहब वहाँ आए तो मैंने कहा कि मेरे पेट में दर्द है। वहीं मजहब वाले सवाल पर हसमुद्दीन ने कहा कि जब कुछ लोग घेर लेते हैं तो दबाव आ जाता है और कुछ ऐसा कहना पड़ जाता है।” उसने कहा कि मुझे माँ सरस्वती की प्रतिमा में फूल चढ़ाने में कोई हर्ज नहीं है और मैं बाद में भी ऐसा कर सकता हूँ।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया