HC ने खारिज की 90 हिन्दुओं को ईसाई बनाने वाले भानु प्रताप सिंह की अग्रिम जमानत याचिका: नहीं काम आए वकील राजकुमार वर्मा के तर्क, पादरी विजय है मुख्य आरोपित

इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा सामूहिक धर्मान्तरण के आरोपित को अग्रिम जमानत नहीं (फाइल फोटो)

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 90 लोगों को ईसाई बनाने के आरोपित को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। आरोपित का नाम भानु प्रताप सिंह है जो एक पादरी बताया जा रहा है। यह मामला उत्तर प्रदेश के ही फतेहपुर जिले का है। धर्मांतरण के इस रैकेट में कुल 35 नामजदों के साथ कुल 55 आरोपित हैं। आरोपित की तरफ से मौके पर मौजूद न होने, अपराध में शामिल न होने और अपने आपराधिक इतिहास न होने की तमाम दलीलें दी गईं। हालाँकि, कोर्ट ने इसे अग्रिम जमानत का आधार नहीं माना और 9 जनवरी, 2023 को याचिका ख़ारिज कर दी।

बार एन्ड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, मामले की सुनवाई जस्टिस ज्योत्सना शर्मा की अदालत में हुई। आरोपित भानु प्रताप की तरफ से एडवोकेट राजकुमार वर्मा पेश हुए थे। उन्होंने कहा कि उनका मुवक्किल अपराध में शामिल नहीं था और जिस दिन यह धर्मांतरण हुआ उस दिन घटनास्थल पर भी उसकी मौजूदगी नहीं थी। आरोपित भानु प्रताप के वकील ने यह भी कहा कि उनके मुवक्किल का कोई भी आपराधिक इतिहास नहीं है और उसे राजनैतिक प्रतिद्वंदिता में फँसाया जा रहा है। हालाँकि, अदालत ने भानु प्रताप के तर्कों को नहीं माना।

अपने आदेश में न्यायमूर्ति ज्योत्सना शर्मा ने कहा कि अग्रिम जमानत तब देने का प्रावधान है जब कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग हो रहा हो। जज के मुताबिक, अग्रिम जमानत के लिए वादी द्वारा कोर्ट को अपने तथ्यों सबूतों से संतुष्ट करना होगा। वहीं इसी मामले में सरकारी वकील का कहना था कि आरोपित भानु प्रताप लोगों को पैसे दे कर धर्म-परिवर्तन करवाने में शामिल था। सरकारी वकील द्वारा बताया गया कि भानु प्रताप को मौके से ही गिरफ्तार किया गया था। इसी मामले में भानु प्रताप की पत्नी भी आरोपित हैं।

क्या है पूरा मामला

यह मामला 14 अप्रैल, 2022 का है जिसकी FIR अगले दिन फतेहपुर जिले के कोतवाली सिटी में दर्ज हुई थी। मामले में शिकायतकर्ता ‘विश्व हिन्दू परिषद (VHP)’ के सहमंत्री हिमांशु दीक्षित हैं। अपनी शिकायत में उन्होंने 35 नामजद और 20 अज्ञात पर फतेहपुर हरिहरगंज के इवेजलिकल चर्च ऑफ़ इंडिया में हिन्दुओं का लालच दे कर धर्मांतरण का आरोप लगाया है। इस मामले में मुख्य आरोपित चर्च का पादरी विजय मसीह बताया गया है। शिकायत में लिखा गया है कि आरोपितों ने लालच के साथ डरा धमका कर 90 हिन्दुओं को न सिर्फ ईसाई बनाया बल्कि उनके काजगात में भी छेड़छाड़ की।

हिमांशु दीक्षित ने अपनी शिकायत में बताया है कि धर्मान्तरण की प्रक्रिया 40 दिन चलने वाली थी और 14 अगस्त को उसका 34वाँ दिन था। इस ईसाई धर्मांतरण के रैकेट में फतेहपुर के ही मिशन अस्पताल के कर्मचारी भी शामिल बताए गए थे। केस में दर्ज सभी आरोपित देश के अलग-अलग हिस्सों से थे। पुलिस ने इस मामले में IPC की धारा 153A, 506, 420, 467, 468 और उत्तर प्रदेश की धारा 3/5 (1) के तहत धर्म अध्यादेश, 2020 के अवैध धर्मांतरण पर रोक के तहत FIR दर्ज किया था। ऑपइंडिया के पास इस केस की FIR कॉपी मौजूद है।

क्या है केस की वर्तमान स्थिति

ऑपइंडिया ने इस केस के विवेचक इंस्पेक्टर अमित मिश्रा से बात की। उन्होंने बताया कि इस FIR में दर्ज 9 लोग फ़िलहाल जेल में हैं। अमित मिश्रा के मुताबि,क हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका ख़ारिज होने के बाद भानु प्रताप सिंह ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। उन्होंने बताया कि भानु प्रताप की पत्नी अंजू रानी भी इस केस में नामजद आरोपित हैं। विवेचक ने बताया कि अभी इस मामले की जाँच चल रही है और कोर्ट में चार्जशीट पेश नहीं हुई है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया