सरकारी ठेका लेने के लिए क्या हिंदुओं को मुस्लिम बनना होगा?: कॉन्ग्रेस के घोषणा पत्र पर फिर उठ रहा सवाल, मंगलसूत्र और सोना पर हो चुका है विवाद

राहुल गाँधी (फोटो साभार : X_INCIndia)

कॉन्ग्रेस ने लोकसभा चुनाव 2024 के अपने घोषणा पत्र में जिस तरह के वादे किए हैं, उसकी तह में छिपी हुई उसकी तुष्टिकरण की नीति खुल-खुलकर सामने आ रही है। कभी मुस्लिमों की तुष्टिकरण के लिए बदनाम हो चुकी कॉन्ग्रेस इस दाग को धोना भी नहीं चाहती है। पीएम मोदी ने अपने भाषणों में कॉन्ग्रेस की घोषणा पत्र का पोल खोल दिया है।

उधर कॉन्ग्रेस बार-बार ये दोहरा रही है कि वह अपने घोषणा पत्र में किसी धर्म या मजहब का जिक्र नहीं किया है, लेकिन घोषणा पत्र पर शब्दों के साथ की गई जादूगरी को ध्यान से देखा जाए तो कॉन्ग्रेस की यह बात झूठ साबित होती है। कॉन्ग्रेस ने अल्पसंख्यक शब्द की आड़ में इस पूरे खेल को अंजाम दिया है।

भाजपा नेता अमित मालवीय ने कॉन्ग्रेस के इस खेल को अपने सोशल मीडिया हैंडल X पर साझा किया है। उन्होंने कॉन्ग्रेस के घोषणा पत्र के एक प्वॉइंट का स्क्रीनशॉट साझा किया है। इसमें लिखा है, “हम यह सुनिश्चित करेंगे कि अल्पसंख्यक शिक्षा, स्वास्थ्य, सरकारी ठेके, कौशल विकास, खेल और सांस्कृतिक विकास में बिना किसी भेदभाव के उचित साझेदारी का अवसर प्राप्त करें।”

शिक्षा-स्वास्थ्य आदि विषयों की बात तक तो ठीक है, लेकिन कॉन्ग्रेस सरकार यह कैसे सुनिश्चित करेगी की सरकारी ठेकों में मुस्लिम वर्ग को उचित भागीदारी का अवसर मिले। सार्वजनिक कार्यों का ठेका कई नियमों और दिशा-निर्देशों के तहत जारी किया जाता है। इसमें किसी तरह का धार्मिक भेदभाव की गुंजाइश नहीं होती है, लेकिन कॉन्ग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में इसका जिक्र करके तुष्टिकरण की एक नई कोशिश की है।

अमित मालवीय अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखते हैं, “कॉन्ग्रेस यह कैसे सुनिश्चित करेगी कि अल्पसंख्यकों (मुस्लिम पढ़ें) को ‘सार्वजनिक कार्य ठेका’ में उचित हिस्सा मिले? क्या तकनीकी और वित्तीय बोली के साथ अब धार्मिक कोटा भी होगा? क्या मुस्लिमों के पक्ष में योग्य बोलीदाताओं की अनदेखी की जाएगी?”

भाजपा IT सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कॉन्ग्रेस पार्टी से पूछा, “क्या सार्वजनिक ठेका हासिल करने के लिए हिंदुओं को अल्पसंख्यकों बनना होगा, भले ही वे स्वयं ऐसा करने में सक्षम हों? क्या यह ‘टेंडर घोटाला’ की नींव नहीं रख रहा है?”

उन्होंने आगे कहा, “कॉन्ग्रेस न केवल एससी/एसटी/ओबीसी की संपत्ति पर कब्जा करना चाहती है, सोना और उनके मंगलसूत्र सहित हिंदू महिलाओं की छोटी बचत को अपने कब्जे में लेना चाहती है और इसे अल्पसंख्यकों के बीच वितरित करना चाहती है, बल्कि उन्हें सम्मान के साथ आजीविका कमाने के अवसरों से भी वंचित करना चाहती है।”

बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह विरासत कर, सोना और मंगलसूत्र सहित कॉन्ग्रेस के विभाजनकारी मुद्दों को जनता के सामने ला चुके हैं। इन दोनों नेताओं ने अपनी कई जनसभाओं में इन मुद्दों का जिक्र किया है। कॉन्ग्रेस के घोषणा पत्र की वास्तविक सच्चाई सामने आने के पार्टी बौखलाई हुई भी नजर आ रही है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया