जुबैर ने ट्वीट के बदले पैसे लेने की बात कबूली, जुमे पर भड़काने के लिए इस्तेमाल: सुप्रीम कोर्ट में UP सरकार, AltNews को-फाउंडर को बेल

ज़ुबैर की याचिका पर SC में सुनवाई (फाइल फोटो)

ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को, उत्तर प्रदेश में दर्ज केसों में सुप्रीम कोर्ट ने आज (20 जुलाई) बेल दे दी है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने केस में सुनवाई करते हुए अपना यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को लगातार हिरासत में रखना ठीक नहीं है वो भी तब जब यूपी पुलिस में हुई एफआईआर और दिल्ली पुलिस की एफआईआर में गंभीरता एक समान है।

कोर्ट ने जुबैर को 20 हजार रुपए के बेल बॉन्ड पर रिहा किया। कोर्ट ने कहा कि उन्होंने जो जुबैर को राहत दी है वो केवल अभी के मामलों में काम नहीं करेगी बल्कि इस संबंध में अगर अन्य एफआईआर हुईं तो उनमें भी अतंरिम बेल का यह आदेश काम करेगा। कोर्ट ने जुबैर के विरुद्ध जाँच के लिए गठित की गई एसआईटी को रद्द किया और सभी एफआईआर को एक जगह क्लब करके दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को ट्रांस्फर करने को कहा।

कोर्ट ने बताया कि आगे यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट में सुना जाएगा क्योंकि उन्होंने किसी एफआईआर को रद्द नहीं किया है। अगर याचिकाकर्ता इन्हें रद्द करवाना चाहते हैं तो वो सीआरपीसी की धारा 226 और 482 के तहत दिल्ली हाई कोर्ट जाएँ।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर की याचिका पर सुनवाई के दौरान अपना यह निर्णय दिया। अपनी इस याचिका में जुबैर ने माँग की थी कि यूपी में उनके विरुद्ध जितनी एफआईआर हैं सबको रद्द किया जाए। साथ ही उनकी याचिका पर फैसला आने तक उन्हें अंतरिम जमानत मिले।

जुबैर के विरुद्ध SC में UP सरकार

हालाँकि यूपी सरकार की ओर से पेश वकील गरिमा प्रसाद ने इस याचिका का विरोध किया। उन्होंने कोर्ट को बताया है कि जुबैर अपने ट्वीट के बदले पैसे चार्ज करता था और जुमे पर लोगों को भड़काने का व सांप्रदायिक हिंसा फैलाने का काम करता था। उन्होंने कहा कि जुबैर इस बात को स्वीकार चुका है कि उसे एक ट्वीट के बदले 12 लाख रुपए और एक के बदले 2 करोड़ भी मिले।

यूपी सरकार की वकील ने कोर्ट को ये भी बताया कि वो जुबैर ही थे जिन्होंने 26 मई 2022 को हुए डिबेट शो की क्लिप शेयर करके लोगों से पूछा था कि वो प्रदर्शन के लिए क्यों नहीं आगे आ रहे। बाद में उनका ट्वीट ही जुमे की नमाजों के बाद लोगों को भड़काने के लिए पैम्पलेट में इस्तेमाल किए गए।

प्रसाद ने कोर्ट में यह भी कहा था कि जुबैर कोई पत्रकार नहीं है। वो खुद को फैक्टचेकर कहता है। लेकिन वो फैक्ट चेकिंग की जगह प्रोपेगेंडा फैलाता है। उसने ही ऐसे पोस्ट किए जिनसे लोगों में जहर फैला। उसे ऐसे ट्वीट करने के पैसे मिलते थे। उसने एक ट्वीट के 2 करोड़ और एक के 12 लाख रुपए लिए थे। वह उन वीडियोज का इस्तेमाल करता था जिनसे नफरत फैले।

जुबैर की गिरफ्तारी

बता दें कि मोहम्मद जुबैर को पिछले महीने दिल्ली पुलिस ने एक पुराने ट्वीट के आधार पर गिरफ्तार कर लिया था, उनपर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप था। वहीं जुबैर के खिलाफ यूपी में 6 एफआईआर दर्ज थी। इनमें दो केस हाथरस, एक-एक केस गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर, लखीमपुर खीरी और सीतापुर में दर्ज किए गए थे। इन्हीं याचिकाओं को रद्द कराने की अपील लेकर वह कोर्ट गया था और तत्काल सुनवाई की माँग की थी। हालाँकि सीजेआई ने तत्काल सुनवाई से मना करते हुए कहा था कि वह उस बेंच से तारीख माँगे जो पहले से ही इससे जुड़े मामलों की सुनवाई कर रही है।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया