वजन: 340 ग्राम, कीमत: ₹61200000000, गिरफ्तार: 08; लखनऊ में पकड़ी गई ‘कैलिफोर्नियम’ क्या बला है

पकड़े गए इन लोगों के पास इतने बड़े पैमाने पर महँगा कैलिफोर्नियम कैसे पहुँचा?

इन दिनों दुनिया की दूसरी सबसे महँगी धातु कैलिफोर्नियम चर्चा में है। यह आम लोगों के लिए जाना-पहचाना नाम नहीं है। कैलिफोर्नियम से केवल विज्ञान क्षेत्र से जुड़े लोग ही परिचित होंगे क्योंकि यह प्राकृतिक नहीं, बल्कि प्रयोगशाला में तैयार होने वाला एक ऐसा रासायनिक तत्व है, जिसे क्यूरियम और अल्फा पार्टिकल्स को मिलाकर बनाया जाता है।

हाल ही में (गुरुवार 27 मई 2021) उत्तर प्रदेश के लखनऊ में गाजीपुर पुलिस ने बिहार के पटना और नवादा जिलों के दो युवकों सहित आठ लोगों को 340 ग्राम कैलिफोर्नियम के साथ गिरफ्तार किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस ने इन सभी को गाजीपुर थाना क्षेत्र में पॉलीटेक्निक चौराहे के पास से पकड़ा था। इनके कब्जे से कैलिफोर्नियम के अलावा दस हजार रुपए नकद, एक मारुति कार, स्कूटी व बाइक भी बरामद की गई थी।

कैलिफोर्नियम की जानकारी के लिए कई लोगों को भेजे यूट्यूब लिंक

बताया गया कि झारखंड से कुछ लोग इसको लेकर लखनऊ आए थे और कई दिनों से इसे बेचने की फिराक में थे। कई लोगों को उन्होंने यूट्यूब लिंक भी भेजा था, ताकि वो लोग जान सकें कि कैलिफोर्नियम क्या होता है और बाजार में इसका क्या दाम है। सोशल मीडिया पर कई लोगों के चैट सामने आए हैं। आरोपित सोशल मीडिया के माध्यम से धातु को बेचने की फिराक में थे। इसी बीच पुलिस के पास इनकी सूचना पहुँची। पुलिस ने जब छानबीन की तो उन्होंने इन युवकों को कैलिफोर्नियम समेत गिरफ्त में ले लिया। जाँच में अगर यह सही में कैलिफोर्नियम धातु ही निकला तो इसकी कीमत अरबों में हो सकती है। यानी 340 ग्राम कैलिफोर्नियम की कुल कीमत 61200000000 रुपए होगी, इतनी बड़ी रकम शायद ही किसी ने एक साथ देखी होगी।

क्या होता है कैलिफोर्नियम

कैलिफोर्नियम एक रेडियो एक्टिव पदार्थ है। न्यूक्लियर प्लॉन्ट में इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा सोने की खदानों, बारुदी सुरंगों का पता लगाने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। पूरी दुनिया में साल भर में केवल एक से आधे ग्राम ही कैलिफोर्नियम का उत्पादन होता है। 1 ग्राम कैलिफोर्नियम की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 26-27 लाख डॉलर डॉलर यानी करीब 18-19 करोड़ रुपए है।

कैलिफोर्नियम नाम कैसे पड़ा

पहली बार इसे 1950 में लॉरेंस बर्कल नेशनल लेबोरेटरी में बनाया गया था। ये यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैलिफोर्निया (अमेरिका) में है। कैलिफोर्निया के नाम पर ही इसे कैलिफोर्नियम नाम दिया गया था, जिसके बाद से यह पूरी दुनिया में मशहूर हुआ। इसकी खोज स्टेलने जी. थॉमसन, कीनिथ स्ट्रीट, अल्बर्ट ग्हेयरसो और ग्लेन टी. सीबॉर्ग ने की है। पीरियोडिक टेबल में इसे सीएफ (CF) के नाम से जाना जाता है और इसकी परमाणु संख्या (एटॉमिक नंबर) 98 है। अभी तक इसके दस आइसोटॉक्स मिले हैं।

कैलिफोर्नियम का इस्तेमाल परमाणु ऊर्जा, विस्फोटक के लिए होता है

एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा मोचन बल) के इंस्पेक्टर विनय कुमार के मुताबिक, रेडियो एक्टिव पदार्थ कैलिफोर्नियम 20 प्रकार का होता है। इसके 237 से लेकर 256 आइसोटॉक्स होते हैं। कैलिफोर्नियम जिस आइसोटॉक्स अथवा जिस प्रकार का होता है, उसके अनुसार ही प्रयोग होता है। यह दुनिया का दूसरा सबसे महँगा रेडियो एक्टिव पदार्थ है। उन्होंने बताया कि कैलिफोर्नियम का इस्तेमाल परमाणु ऊर्जा, विस्फोटक, खदानों में सोने, आयल रिफाइनरी, चाँदी और अन्य धातुओं की खोज (माइनिंग) के लिए होता है। इसके अलावा दवाओं के निर्माण में भी इसका उपयोग किया जाता है।

मानव और पशु-पक्षियों के लिए जानलेवा है कैलिफोर्नियम

कैलिफोर्नियम एक खतरनाक रेडियो एक्टिव मेटल है, जो इंसानों के साथ ही पशु-पक्षियों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। इसके संपर्क में आने से कैंसर हो सकता है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता नष्ट हो सकती है। कैलिफोर्नियम प्रजनन क्षमता पर भी असर डालता है, इसकी वजह से ल्यूकोमिया और मिसकैरिज जैसी समस्याएँ भी सामने आ सकती हैं।

मुंबई के भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर से ही कैलिफोर्नियम मिलता है

चाँदी जैसे रंग का कैलिफोर्नियम साबुन की तरह होता है, जिसे ब्लेड से काटकर टुकड़ों में कर सकते हैं। देश में आम आदमी रेडियो एक्टिव पदार्थ कैलिफोर्नियम की खरीद-फरोख्त नहीं कर सकता है। यह बहुत महँगा होता है, इसे सिर्फ लाइसेंसधारी ही बेच सकते हैं। देश में मुंबई स्थित भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर से ही कैलिफोर्नियम मिलता है।

डीसीपी नॉर्थ रईस अख्तर के मुताबिक, गिरोह का सरगना कृष्णानगर की एलडीए कॉलोनी निवासी अभिषेक चक्रवर्ती और पटना निवासी रामशंकर हैं। अभिषेक मूलत: पश्चिम बंगाल का रहने वाला है। पुलिस ने उसके साथ कृष्णानगर के मानस नगर निवासी अमित सिंह, बिहार के नेवादा निवासी महेश कुमार, बाजारखाला के गुलजार नगर निवासी शीतल गुप्ता, बस्ती निवासी हरीश चौधरी, रमेश तिवारी और श्याम सुंदर को भी पकड़ा है। फिलहाल पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ जालसाजी और ठगी का केस दर्ज किया है।

आरोपितों को पकड़ने के लिए ऐसे बिछाया जाल

वहीं, इंस्पेक्टर गाजीपुर प्रशांत मिश्रा ने बताया कि अभिषेक ने दो महीने पहले कैलिफोर्नियम की बिक्री का झाँसा देकर गोमतीनगर निवासी प्रॉपर्टी डीलर शशिलेश राय को भी अपने जाल में फँसाया था। अभिषेक ने वॉट्सऐप पर फोटो भेजे, जिसके बाद 10 लाख रुपए में सौदा तय हुआ। इस बीच अभिषेक ने शशिलेश से 1.20 लाख ऐंठ लिए थे। काफी दिन बाद भी शशिलेश को सामान नहीं मिला तो उनको ठगी का शक हुआ। ऐसे में उसने गुरुवार (27 मई 2021) की सुबह गाजीपुर पुलिस से संपर्क किया।

इंस्पेक्टर ने बताया कि पुलिस के कहने पर शशिलेश ने अभिषेक को फोन कर बकाया रकम देने का झाँसा दिया और धातु लेकर आने को कहा। पूछताछ में अभिषेक ने बताया कि महेश, रविशंकर, हरीश, रमेश और श्याम सुंदर धातु लेकर बिहार से लखनऊ के लिए निकले हैं, जबकि वह अमित और शीतल गुप्ता के साथ कृष्णानगर से पॉलिटेक्निक चौराहे के पास पहुँचा है। इस बीच सूचना मिलते ही मौके पर इंस्पेक्टर ने इन आठों को धर दबोचा।

देश की सुरक्षा को भी खतरा संभव

इस हालिया प्रकरण ने सबके समक्ष कई प्रश्न खड़े कर दिए हैं। पहला पकड़े गए इन लोगों के पास इतने बड़े पैमाने पर महँगा कैलिफोर्नियम कैसे पहुँचा? दूसरा क्या यह गिरोह पहले से ही ऐसे धातुओं की तस्करी में लिप्त है और ये लखनऊ में किन लोगों को कैलिफोर्नियम बेचेने की फिराक में थे? तीसरा यह मामला राष्ट्रीय न होकर अंतरराष्ट्रीय हो सकता है। अगर ऐसा कुछ है तो इससे देश की सुरक्षा को भी खतरा संभव है।