कश्मीर से आप अगर फ़ल, खासकर कि कश्मीर की पहचान माने जाने वाले ‘कश्मीरी सेब’ खरीदने की सोच रहे हैं, तो सावधान हो जाइए। आपके सेबों पर ‘ज़ाकिर मूसा वापस आओ, ‘मेरी जान इमरान खान’ लिखा हो सकता है।
खबरों के मुताबिक कश्मीर से जो सेब जम्मू की मंडियों में पहुँच रहे हैं, उन पर इस्लामी आतंकी ज़ाकिर मूसा, बुरहान वानी जैसे जिहादियों से लेकर पाकिस्तान और उसके तालिबान-समर्थक प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थन के नारे लिखे हुए मिल रहे हैं। यही नहीं, सेबों पर ‘Go back India-Go back India’ जैसे हिंदुस्तान-विरोधी नारे भी लिखे हुए हैं। बताया जा रहा है कि काले मार्कर से यह संदेश अंग्रेज़ी और उर्दू में लिखे जा रहे हैं।
https://twitter.com/DeccanHerald/status/1184436828071518210?ref_src=twsrc%5Etfwकश्मीर के बहिष्कार की धमकी
इन संदेशों को पढ़ कर उबले जम्मू के फल व्यापारियों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। वे पाकिस्तान-विरोधी और जिहाद-विरोधी नारे लगाने लगे, और पुलिस और सरकार से यह हरकत करने वालों को ढूँढ़ने और उन पर कड़ी कार्रवाई करने की माँग करने लगे। साथ ही कश्मीर और कश्मीरी सेबों के बहिष्कार की भी धमकी दी। उनका नेतृत्व कठुआ होलसेल मार्केट के अध्यक्ष रोहित गुप्ता कर रहे थे।
कश्मीर पुलिस ने मामले की जाँच शुरू कर दी है, और वह फल विक्रेताओं से भी मिल रही है। डीएसपी माजिद ने लोगों से मिल कर जाँच और कार्रवाई का आश्वासन दिया।
सरकार को ‘करारा जवाब’?
सरकार की उनके ‘दिल जीतने’ की कोशिशों को कश्मीर घाटी के शांतिदूतों का यह ‘करारा जवाब’ है। पिछले ही महीने सरकार ने मुस्लिम-बहुल कश्मीर घाटी के सेब उत्पादकों को सही मूल्य दिलाने के लिए समर्थन-मूल्य आधारित खरीद योजना शुरू की थी- यह राज्य में पहली ऐसी योजना है। इसके पहले राज्य के दूर-दराज के हिस्सों में सेब उत्पादकों को फलों को बेचने के लिए भंडारण और परिवहन से जुड़ी कई समस्याओं से जूझना पड़ता था। 3 कार्य दिवसों (working days) के भीतर खरीद का मूल्य उत्पादकों के खाते में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफ़र प्रणाली के ज़रिए पहुँचाने का भी प्रावधान इस स्कीम में है। यही नहीं, सरकार ने जम्मू-कश्मीर के लिए 85 ऐसी जनकल्याणकारी योजनाएँ भी चिह्नित कर रखीं हैं जिनके लिए बजटीय प्रावधान असीमित होंगे।