CAA: दंगाइयों के आकाओं को जनरल रावत ने फटकारा, CPI व कॉन्ग्रेस ने बताया असंवैधानिक बयान

जनरल रावत ने एक अच्छे नेता की परिभाषा देकर उपद्रवियों की बोलती बंद कर दी

सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध की आड़ में हिंसा करने वालों को फटकार लगाई है। सेना प्रमुख ने कहा कि नेता वो नहीं होता है, जो भीड़ को हिंसा और आगजनी के लिए भड़काता है। जनरल रावत ने कहा कि भीड़ को गलत दिशा में ले जाने वाला लीडर नहीं होता है। पाकिस्तान की ओर से सीजफायर तोड़ने की घटनाओं को लेकर पूछे गए सवाल पर भारतीय सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा कि इसमें नया क्या है?

सेना प्रमुख ने साथ ही नागरिकता संशोधन कानून पर कहा कि नेता वे नहीं हैं जो भीड़ को गलत दिशा में ले जाएँ। उन्होंने कहा– “कई घटनाओं के गवाह हैं, जहाँ छात्र नेताओं ने गलत दिशा में भीड़ का नेतृत्व किया, जिससे आगजनी और हिंसा हुई।” एक सच्चे नेता की परिभाषा समझाते हुए जनरल विपिन रावत ने कहा कि लीडर वो होते हैं, जो जनता और टीम की देखभाल और सुरक्षा करते हैं। हिंसक भीड़ के नेतृत्वकर्ताओं के बारे में उन्होंने कहा कि वो सब लीडर नहीं हैं। आर्मी चीफ ने कहा कि सेना को अपनी संस्कृति पर गर्व है।

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वहीं सीपीआई सरीखे राजनीतिक दलों ने जनरल रावत के बयान की आलोचना की है। कॉन्ग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा कि नेता वो भी नहीं होते हैं, जो अपने लोगों को सांप्रदायिक हिंसा के लिए उकसाते हैं। साथ ही उन्होंने पूछा कि क्या ‘जनरल साहब’ उनकी बातों से सहमत हैं? कॉन्ग्रेस नेता बृजेश कलप्पा ने कहा कि जनरल रावत का सीएए के उपद्रवियों के ख़िलाफ़ बोलना असंवैधानिक है।

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वहीं हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि नेता होने का एक गुण ये भी है कि आप अपनी सीमाओं को पहचानों। इसके साथ ही उन्होंने संवैधानिक संस्थानों की स्वतंत्रता और जनता को प्राथमिकता दिए जाने का भी रोना रोया। योगेंद्र यादव ने कहा कि एक नेता को अपने लोगों को सही दिशा में ले जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पीएम के मन में भी शायद यही बात होगी।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया