कोरोना के बदतर होते हालातों पर दिल्ली HC ने लगाई केजरीवाल सरकार की क्लास, पूछा- केस डबल होने का इंतजार कर रहे हो?

दिल्ली में बेकाबू होते जा रहे कोरोना के मामलें

दिल्ली में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बेकाबू हो चुके हैं। राजधानी दिल्ली में प्रतिदिन होने वाले संक्रमण के हिसाब से सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। एक तरफ जहाँ पिछले महीने दिल्ली में मात्र 8-9 हजार एक्टिव केस रह गए थे, वहीं अब इनकी संख्या 30 हजार से अधिक हो चुकी है। ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार (नवंबर 11, 2020) को अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार को कड़ी फटकार लगाई है।

हाईकोर्ट ने राजधानी में बढ़ रहे कोरोना मामले पर AAP सरकार को फटकार लगाते हुए पूछा कि क्या इस स्थिति से निपटने के लिए उनके पास कोई नीति या रणनीति है? जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने कहा कि पिछले 2 सप्ताह में कोरोना के मामले में दिल्ली ने महाराष्ट्र और केरल को भी पीछे छोड़ दिया है। ऐसे में AAP सरकार ने कोरोना से निपटने के लिए क्या कदम उठाए हैं?

कोर्ट ने केजरीवाल सरकार से सवाल किया कि क्या वह मामलों के दोगुने होने का इंतजार कर रही है। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया कि वह स्टेटस रिपोर्ट दायर कर बताए कि उसने कोरोना संक्रमण पर काबू पाने के लिए पिछले दो हफ्तों में क्या कदम उठाए हैं। मामले में अगली सुनाई 18 नवंबर को होगी।

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दिल्ली में कोरोना को बढ़ते मामलों पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने अपनी तल्ख टिप्पणी में कहा, “दिल्ली में आँकड़े प्रति दिन 8000 से ऊपर हैं। क्या हम आँकड़ों के डबल होने का इंतजार कर रहे हैं?” कोर्ट ने दिल्ली को अनलॉक किए जाने पर सवाल भी उठाए।

कोर्ट ने कहा, “ऐसी स्थिति में दिल्ली सरकार ने कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए क्या किया? स्कूलों को खोला जा रहा है। तहबाजारी और साप्ताहिक बाजार अपने पुराने रूप में लौट आए हैं। दिल्ली सरकार बताए कि हमें इस याचिका का दायरा टेस्ट से आगे बढ़ाते हुए किट की उपलब्धता या अन्य मुद्दों तक क्यों नहीं लेकर जानी चाहिए?”

अदालत ने 200 लोगों को सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल होने और सार्वजनिक परिवहन को पूरी क्षमता से चलाने की अनुमति के पीछे के तर्क पर भी सवाल किया। पीठ ने कहा कि इससे संक्रमण का प्रसार तेजी से हो सकता है।

दिल्ली सरकार ने अपने जवाब में हाईकोर्ट के सामने कहा कि कई जगह ऐसी है जहाँ कोरोना के मामले कम हैं। नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली इसमें शामिल है। हालाँकि नई दिल्ली और सेंट्रल दिल्ली में केस बढ़ रहे हैं। कोर्ट दिल्ली सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं नजर आया। कोर्ट ने कहा, “हम सभी मौजूदा स्थिति से वाकिफ हैं। हम में से कोई नहीं जानता कि क्या होगा। दिल्ली सरकार ने क्यों अपने सारे रास्ते खोल दिए हैं, जबकि दूसरे राज्यों में संक्रमण को रोकने के लिए बंदी पर काम हो रहा है।”

दिल्ली हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी तब की जब मामले में याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि वह कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं। बावजूद इसके न उन्हें बेड मिला और न कोई अस्पताल। आखिरकार एक दोस्त की मदद से एक नर्सिंग होम में दाखिला मिला। पर यहाँ एक ऑक्सीजन मीटर के अलावा कोई मदद नहीं है।

कोर्ट ने दिल्ली सरकार को चेताते हुए कहा कि त्योहारों के मौसम में बाजारों में बड़े पैमाने पर भीड़ जुटती नजर आ रही है, जो संक्रमण को और बढ़ाएगी। दिल्ली सरकार यदि कोरोना संक्रमण पर काबू पाने के लिए अपने नीति को लेकर गंभीर है तो उसे पब्लिक प्लेस पर मास्क के इस्तेमाल और भीड़ जमा होने से रोकना होगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया