महाराष्ट्र: 1814 अस्पतालों का ऑडिट, हर जगह ऑक्सीजन सेफ्टी भगवान भरोसे, ट्रांसफॉर्मर के पास स्टोर किए जा रहे सिलेंडर

ऑडिट से सामने आई महाराष्ट्र के अस्पतालों की दुर्दशा

महाराष्ट्र के अस्पतालों की दुर्दशा को उजागर करती एक रिपोर्ट सामने आई है। इसके मुताबिक राज्य के 1814 अस्पतालों का ऑडिट किया गया। हर जगह बड़ी लापरवाही सामने आई। सरकारी और प्राइवेट, दोनों तरह के अस्पताल इस मामले में एक जैसे हैं। क्या मुंबई और क्या सुदूर का नंदुरबार, हर जगह एक जैसे ही हालात मिले हैं। तकनीकी विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि प्रदेश के अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई सिस्टम के रखरखाव में ढिलाई हो रही है।

मिड-डे की रिपोर्ट के अनुसार जाँच में विशेषज्ञों को कहीं ऑक्सीजन सिलेंडर खुले मिले, तो कहीं पाइप लीक। हालात बिगड़ने या किसी मशीन के रुकने पर अस्पतालों के पास बैकअप की कोई सुविधा नहीं मिली। खराब हुई चीजों को ठीक करने वाले मूलभूत उपकरण भी नहीं थे। इसके अलावा अस्पतालों में प्रशिक्षित स्टाफ भी नहीं थे इस सिस्टम को मेंटेन कर सके।

विशेषज्ञों ने कई अस्पताल में पाया कि वहाँ फायर सेफ्टी के लिए ऑडिट भी नहीं किया गया था। कुछ अस्पतालों में तो ऑक्सीजन सिलेंडर बिजली ट्रांसफॉर्मर के पास रखे हुए थे।

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सबसे हैरान करने वाला केस आदिवासी बहुल नंदुरबर जिले के पहाड़ी इलाकों में बने अस्पतालों में सामने आया। वहाँ ऑक्सीजन की सप्लाई तक नहीं थी। बता दें कि राज्य के अस्पतालों में ऑडिट का निर्देश, ऑक्सीजन सप्लाई की किल्लत और नासिक के अस्पताल में 22 मरीजों की जान जाने के बाद दिया गया था।  

इसके बाद इजीनियरिंग, पॉलिटेक्विक और टेक्निकल संस्थानों के विशेषज्ञों ने अस्पतालों का निरीक्षण किया। जाँच के बाद नोडल ऑफिसर नियुक्त किए गए टेक्निकल एजुकेशन के निदेशक ने सरकार रिपोर्ट सौंप दी है। इस रिपोर्ट में 9 मई तक के हालात बताए गए हैं।

एक्सपर्ट्स की इस टीम ने अपनी जाँच में ऑक्सीजन को स्टोर करने वाली जगह, उसकी सुरक्षा, पाइप डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम, अन्य उपकरण व आपातकाल प्लॉनिंग में बैकअप सप्लाई जैसे चीजों को प्रमुखता से परखा। एक्सपर्ट्स की इस टीम को ये भी निर्देश थे कि ये जिलाधिकारी को जरूरी बदलाव और मरम्मत को लेकर सलाह दें।

कुल मिलाकर 335 सरकारी और 1,479 प्राइवेट अस्पतालों को ऑडिट किया गया। फिलहाल सिर्फ 254 सरकारी और 1465 निजी अस्पतालों की ऑडिट के निष्कर्ष सरकार को दी गई है। डॉ. वाघ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अगर लीकेज को रिपेयर कर दिया जाए तो राज्य में ऑक्सीजन में तीव्रता से कमी आने पर भी लोकल स्तर पर ज्यादा ऑक्सीजन उपलब्ध हो सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि इस ऑडिट रिपोर्ट से मिशन ऑक्सीजन में SOP बनाने में मदद होगी, जो राज्य को पर्याप्त मात्रा ऑक्सीजन उपलब्ध कराने में केंद्रित होगा।

ऑपइंडिया स्टाफ़: कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया